हे सरकार!आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है

यशोदा श्रीवास्तव
यशोदा श्रीवास्तव

:याद करिए,गत वर्ष पीजीआई लखनऊ में योगी मंत्रिमंडल के कैविनेट मंत्री,सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान की मौत कोरोना से हुई थी,पीजीआई के कोविड वार्ड में भर्ती चेतन चौहान का इलाज किस गंभीरता से हुआ था,सपा एमएलसी सुनील सिंह साजन ने विधान परिषद में बड़े ही तर्क संगत ढंग से धरती के भगवान और चेतन चौहान के मध्य चिक्तसकीय व्यवहार का वर्णन किया था।

उनकी बात सरकार के तरफ हवा में उड़ा दी गई थी और उनके इस खुलासे को सपा द्वारा प्रायोजित सरकार को बदनाम करने जैसा षडयंत्र बताया गया था। सुनील सिंह साजन के आरोपों के कुछ अंश पर भी यकीन करते हुए यदि सरकार अमल की होती तो आज कोरोना के इस दूसरी जानलेवा लहर को लेकर हम सतर्क रहते। लेकिन नहीं। सरकार ने ऐसा इसलिए नहीं करना चाहा क्योंकि उसकी ब्रांडिंग धूमिल होती। हालांकि अस्पताल से लेकर श्मशानघाट तक जो मंजर है उससे सरकार की व्यवस्था का भंडाफोड़ हो ही रहा है। कहना न होगा कि कोरोना की पहली लहर में भी मरीज अस्पताल में दाखिले और इलाज को लेकर तड़प रहे थे और मर रहे थे।

माना कि पिछली बार हम कोरोना की जानलेवा भयावहता को लेकर बहुत सचेत नहीं थे और न ही मुकम्मल जानकारी थी सो सरकार ने लाकडाउन या अन्य जो भी उपाय किए थे उसकी आलोचना आज की जरूरत नहीं है। आजकी जरूरत यह है कि बीच में जब कोरोना थोड़ा कमजोर हुआ था तब हम इससे बचने के लिए क्या किए? दुनिया देख रही है भारत की यह पहली सरकार है जिसकी प्राथमिकता चुनाव और सत्ता है। लोग जब कोरोना से मर रहे हैं, अस्पताल नहीं दवाएं नहीं यहां तक की श्मशानघाट में अंतसमय में भी जगह नहीं तब देश के प्रधानमंत्री प.बंगाल में बीस बीस रैली कर एक महिला मुख्यमंत्री को ऐसे ललकार रहे हैं जैसे अपने किसी दुश्मन देश के

हुक्मरान को चुनौती दे रहे हैं। गृहमंत्री देश के श्मशानघाटों पर जलती चिताओं के बीच प.बंगाल में 200 सीटें जीतकर वहां की सत्ता हथियाने का ऐलान कर रहे हैं। बीजेपी की प.बंगाल में चुनावी बिसात को देख कहा जा सकता है कि ऐसी बिसात तो इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान पर विजय पाने के लिए नहीं बिछाई थी।

कोरोना के प्रति सरकार के तरफ से जो भी दावे हैं, उसकी पोल सरकार के अपने लोग ही कर रहे हैं।. अब केंद्रीय मंत्री जनरल बीके सिंह को यदि कोरोना पीड़ित अपने भाई के लिए गाजियाबाद के किसी अस्पताल में बेड के लिए बजरिए ट्विटर गुहार लगानी पड़े तो इसे क्या कहेंगे? प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र बाराणसी में अफसरों और कुछ मंत्रियों की बर्चुवल मीटिंग में डाक्टरों का आभार व्यक्त कर रहे होते हैं वहीं गोरखपुर के योगी सेवक व बीजेपी नेता राकेश सिंह पहलवान अस्पतालों में सीसीटीवी की मांग कर रहे होते हैं ताकि मरीज के परिजन जान सकें कि उसके मरीज का इलाज कैसा चल रहा है?

आखिर धरती के भगवान के प्रति लोगों में अविश्वास की ऐसी धारणा क्यों पैदा हुई। गत वर्ष का एक उदाहरण काफी है।सिद्धार्थ नगर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का गृह जिला है।यहां जिला अस्पताल के गेट पर कोरोना पीडित एक मरीज दम तोड़ दिया लेकिन उस रास्ते आने जाने वाले डाक्टरों ने उसके तरफ झांका तक नहीं। कोरोना मरीजों को आनलाईन चिक्तसकीय सुविधा मिलती रहे इसके लिए तमाम हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। इसकी हकीकत मोहनलाल गंज के बीजेपी सांसद कौशल किशोर के उस बयान से उजागर होता है जिसमें उन्होंने कहा है कि हेल्पलाइन का नंबर नहीं उठता।

ऐसा नहीं है। कभी कभी उठता भी है और जब उठता है तो कोई मोहतरमा पीड़ित को गंवार बताते हुए मर जाने की श्राप देती हैं। हे सरकार आम जनमानस की न सही लेकिन अपने सांसद विधायक और मंत्रियों की बातों पर तो यकीन करके व्यवस्था पर ध्यान दीजिए। कानून मंत्री बृजेश पाठक यदि अस्पतालों में खामियों की बात करते हैं तो यह जवाब बिल्कुल ही गैरजिम्मेदाराना है कि यह उनका मंत्रालय नहीं है। आखिर यह कैसे भूला जा सकता है कि व्हीलचेयर पर बैठे एक वयोवृद्ध पत्रकार ने अपनी बेटी को अस्पताल में बेड दिलाने की भागदौड़ में दम तोड़ दिया। कोरोना से पीड़ित लखनऊ के पत्रकार विनय श्रीवास्तव को एंबुलेंस नहीं मिला और वे मर गए। अपनी हालत बताते हुए उन्होंने सरकार तक से ट्वीट कर गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हैरत है पत्रकार से मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार बने एक महाशय ने पत्रकार विनय को सुविधा उपलब्ध कराने की पहल करने के बजाय उनसे और डिटेल की जानकारी मांग रहे थे।

पिछले साल पीएम मोदी द्वारा ऐलान किए गए बीस लाख करोड़ के पैकेज और पीएम केयर फंड में जमा अरबों रूपये के बारे में सोचने तक का कोई मतलब नहीं है लेकिन सीएम योगी के हवाई जहाज से दवाएं मंगाने की सच्चाई जानने का हक है। हम यह क्यों न पूछें कि मौत के तांडव के बीच नए आक्सीजन प्लांट का खयाल क्यों आया? पहले क्यों नहीं? टीन सेड से अंतेयष्टिस्थल पर धधकती लाशों को छिपाकर आखिर सरकार किसकी नाकामी छिपा रही है? हे सरकार स्वास्थ्य हमारा संवैधानिक अधिकार है और जब सरकार इसे उपलब्ध कराने में फेल होती है,लचर स्वास्थ्य सुविधा के कारण जब मौत होती है तो यह मेडिकल मर्डर की श्रेणी में आता है। हे सरकार आखिर ऐसी मौतों का जिम्मेदार कौन है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

5 × 5 =

Related Articles

Back to top button