इटली में कोरोना की रोकथाम में लापरवाही पर प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ जाँच शुरू

इटली के लोक अभियोजकों (प्रासिक्यूटर्स ) ने कोविड 19 बीमारी की रोकथाम में कथित लापरवाही के लिए प्रधान मंत्री ज्युसेप कॉन्टे से लम्बी पूछताछ की है. लोक अभियोजक इन आरोपों की जाँच कर रहे हैं कि क्या  कोरोना वायरस से फैली इस बीमारी के भयावह रूप लेने के लिए सरकारी लापरवाही ज़िम्मेदार है. आरोप है कि ताकतवर बिज़नेस लॉबी के दबाव में सरकार ने यह ढिलाई बरती थीप्रधानमंत्री ज्युसेप कॉन्टे पर कोविड 19 से बचाव के उपायों में लापरवाही बरतने के आरोप  एक राज्य द्वारा लगाए गए हैं जिस पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी है।

देश के उत्तरी भाग में स्थित लोम्बारडी क्षेत्र के 2 शहरों से दर्जनों शिकायतें आयीं,  जिनमें  कहा गया है कि इन शहरों को ‘रेड जोन’ घोषित करने में जानबूझ कर देरी की गई, जिसके कारण कोरोना ने वहाँ व्यापक तबाही मचाई।डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने भी इस बात पर अपनी सहमति जताई कि अल्ज़ानों और नेम्ब्रो नाम के इन शहरों को समय रहते अगर क्वारेंटीन कर दिया गया होता तो महामारी को सीमित रखा जा सकता था, उनका कहना है कि लापरवाही के चलते राज्य में औसत से 571 प्रतिशत तक मौतें ज्यादा हुईं।

 प्रधानमंत्री से पूछताछ 

इसी बाबत लोम्बारडी क्षेत्र के बेरगामो राज्य से अभियोजन अधिकारियों (prosecutors) का एक दल शुक्रवार को देश की राजधानी रोम पहुँचा और वहां प्रधानमंत्री से 3 घंटों तक जवाबतलब किया। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार उनके अतिरिक्त इटली के स्वास्थ्य मंत्री और गृह मंत्री से भी लंबी पूछताछ की गई। हालांकि अभियोजक दल की प्रमुख मारिया क्रिस्टीना रोटा ने बताया कि फिलहाल किसी पर आरोप तय नही किये गए हैं।

  यह भी एक जांच का विषय है कि किसी भी शहर को रेड जोन घोषित करके सील करने की जिम्मेदारी केंद्र की मानी जायेगी या फिर उस राज्य सरकार की। बताते चलें कि कोरोना वायरस में संक्रमण से जान गवां चुके दर्जनों व्यक्तियों के परिवारीजनों ने इस जांच के लिए कानून का दरवाजा खटखटाया था।यूरोपीय समाचार पत्रों के अनुसार इटली में 21 फरवरी को ‘लोडी’ नाम के शहर में कोविड 19 का पहला मरीज पाया गया था, जिसको देखते हुए लोम्बारडी क्षेत्र के 10 शहरों में तुरंत लॉक डाउन घोषित कर दिया गया था, जिससे कि वायरस के संक्रमण को रोका जा सके।अल्ज़ानों और नेम्ब्रो शहरों में इसके 2 दिन बाद यानी 23 फरवरी को पहले केस सामने आए, मगर इन दोनों शहरों को अगले 15 दिनों तक भी खुला ही रखा गया, इस वजह से यहां संक्रमण तेजी से फैल गया।

क्या सरकार उद्योगपतियों के दबाव में थी?

दोनों ही औद्योगिक शहर हैं। आरोप है कि ताकतवर बिज़नेस लॉबी के दबाव में सरकार ने यह ढिलाई बरती थी, जिनका उस समय कहना था कि हालात उतने खराब नहीं हैं, कोरोना संक्रमण को बहुत बढ़ चढ़ा कर बताया जा रहा है और यह सब भ्रम के अलावा कुछ नहीँ  है।

बेरगामो के मेयर ने भी भी शुरुआत में बड़े बिज़नेस घरानों द्वारा दिये जा रहे तर्कों से सहमति जताई थी, हालाँकि अब क्षमा मांगते हुए उन्होंने स्वीकार किया है कि लॉक डाउन में देरी हुई है। पर वह कहते हैं कि  यदि जनवरी के महीने से ही कोरोना के प्रति गंभीरता दिखाई गई होती तो इसका संक्रमण काफी हद तक रोका जा सकता था।  इटली के लिए उक्त दोनों शहरों समेत पूरे लोम्बारडी क्षेत्र का बहुत ज्यादा आद्योगिक महत्व है। इटली के सकल घरेलू उत्पाद का पांचवा हिस्सा अकेले इसी राज्य से आता है।

प्रधानमंत्री ने  सहयोग का भरोसा दिया

कानूनी रास्ता अपनाने वाले व्यक्तियों ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाना नही है, बल्कि वह तो सिस्टम की खामियां सामने लाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने स्वयं पर चल रही जांच में हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया है।

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