अब कोरोना प्रकोप गाँवों में, बिहार ने लगाया गंगा में जाल

कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप का केंद्र बिंदु भारत की ग्रामीण आबादी है, विशेषकर पूरा पूर्वांचल. गंगा में मिलने वालीं लाशों से एक सनसनी सी पैदा हो गई. लाशों की आमद रुक नहीं रहीं, हाँ कम जरूर हुई हैं. परसों भी यानि रविवार कों मुहम्मदाबाद, जमानियां और गहमर में लाशें मिली हैं.गंगा में बहते शवों को बिहार की सीमा में जाने से रोकने के लिए यूपी – बिहार सीमा पर गंगा में बिहार प्रशासन ने महाजाल लगवाया है, जिसमें फंसकर उतराती लाशों कि तस्वीरें भी सामने आई हैं.

बिहार के बक्सर प्रशासन ने उत्तर प्रदेश से आने वाली लाशों को रोकने के लिए गंगा नदी में जाल लगवाया.

गोवंश के शव

पिछले दो हफ्तों में कई गोवंशी पशुओं के शव दिखे. जैसे कल ही दो गायें गहमर बाबागंज के सामने गाज़ीपुर शहर को जाने वाली मुख्य सड़क पर मृत मिली.एक अन्य बछड़े का शव पूरी तरह सड़ चूका था, वहाँ से थोड़ी दूर आगे पड़ा था. एक अंजाना सा भय मन में लोगों के हैं की, क्या इन पशुओं की मृत्यु भी कोरोना से हुई, क्यूंकि अचानक इतने पशुओं की मृत्यु का कोई और कारण नहीं समझ आता. 

मरे पड़े जानवर

पूरे पूर्वांचल में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद लचर हालत में हैं. अभी भी दवाओं और ऑक्सीजन की उपलब्धता पूरी तरह सामान्य नहीं हुई है. वाराणसी और गाज़ीपुर कोविड संक्रमण और इससे होने वालीं मौतों से हलकान तो थे ही, कोढ़ में खाज वाली स्थिति अब ब्लैक फंगस की बीमारी के कारण पैदा हो गई है. बक्सर इनका नया हॉट स्पॉट बनता जा रहा है.

गंगा जी ग़ाज़ीपुर में

ग़ाज़ीपुर के सैदपुर सीएचसी पर तीन लाख आबादी कि निर्भरता हैं, किंतु ना तो यहाँ सफाई हैं, ना ऑक्सीजन कि पूर्ण उपलब्धता.इन हालातों में डॉक्टर्स की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग चुकी हैं. डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ के साथ मरीजों के परिजनों की मारपीट की घटनाएं रोजाना सुर्खियां बन रहीं हैं.

कुछ दिन पूर्व ही एक वायरल वीडियो में, बक्सर शहर के सदर हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ ज्ञानप्रकाश सिंह, द्रवित स्वर में कहते दिख रहें हैं कि, इन रोजाना की इन घटनाओं से हम अंदर से टूट रहें हैं. ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने एक गरीब परिवार के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था भी अपने पैसों से की. मेरी उनसे बात होने पर वे कहते हैं, “हम उपलब्ध संसाधनों से मरीजों को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं, अपने परिवार को छोड़कर हम समाज के प्रति पूर्ण निष्ठा से समर्पित हैं, इस जिम्मेदारी के निर्वहन हेतु हमने अपने पुत्र, पिता, पति जैसे अन्य दायित्वों का परित्याग कर दिया हैं. फिर भी मरीजों के परिजनों का हमारे प्रति हिंसक व्यवहार हमारी आत्मा को चोट पहुंचा रहा है.”

डॉ ज्ञानप्रकाश जी बताते है की उनकी दो छोटी बेटियां हैं, कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल में लगे होने के कारण वे अपनी बच्चियों से भी डेढ़ महीनों से नहीं मिलें हैं, इस डर से की कही उनके जरिये उनकी बेटियों तक संक्रमण ना पहुंच जाए.

हालांकि देखा जाए तो कही ना कही ये सरकार और प्रशासन की नाकामी हैं जिसका खामियाजा ये डॉक्टर्स और बाकी मेडिकल स्टॉफ भुगत रहा है.

इतने के बाद भी प्रशासन चेतने को तैयार नहीं हैं. एक मेडिकल टीम गहमर आई और राह चलते कुछ लोगों का टेस्ट किया और और आधे घंटे के अंदर इस निष्कर्ष पर पहुंच गये की गाँव में कोरोना का संक्रमण नहीं है.

शिवेंद्र प्रताप सिंह, शोध छात्र इतिहास , गहमर, ग़ाज़ीपुर

   

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