‘कंसेंसुअल रेप’– पुलिस द्वारा अनोखी परिभाषा

महेश चंद्र द्विवेदी

‘गुनाहों के देवता’ का युग भावना-प्रधान युग था, जब चंदर और सुधा दोनो विवाहपूर्व शारीरिक सम्बंध बनाने की बात सोचना भी अक्षम्य अपराध मानते थे। आज शारीरिक सम्बंधों की वर्जना वैसी नहीं रह गई है। अब वयस्कों के बीच प्रेम सम्बंधों की प्रक्रिया में सामान्यतः तूफ़ान खड़े नहीं होते हैं। यह प्रक्रिया प्रायः निम्न चरणों में सम्पन्न होती है- नैन-मिलन, परिचय, मधु-भाषण, संदेशों का आदान-प्रदान, पुनर्पुनर्मिलन, आजीवन साथ निभाने (विवाह सहित) के वादे, शारीरिक निकटता, विवाह अथवा लिव-इन रिलेशनशिप अथवा बिछोह।

यह सर्वविदित है कि प्रेम प्रसंग के इन चरणों का अपरिहार्य अंग होता है एक-दूसरे की सुंदरता एवं गुणों की प्रशंसा, एक दूसरे के प्रति समर्पण का आवेग और प्रेमावेग के उद्वेलन में साथ-2 जीने (विवाह सहित) का ज्ञापन- चाहे वह तात्कालिक ही हो। इन क्रियाओं के बिना शारीरिक सम्बंध वेश्या से स्थापित किया जा सकता है, प्रेमिका से नही। इस प्रकार स्थापित शारीरिक सम्बंध में दोनो पक्षों की मर्ज़ी (कौंसेंसस) होती है अतः इसे कानूनी मान्यता है। ऐसे प्रेम प्रसंग का अंत विवाह में ही हो, ऐसा कोई कानून नहीं है।

हाल के कुछ वर्षों में नारी सशक्तिकरण के आंदोलन से प्रेरित कतिपय नारियों ने प्रेम प्रसंग के उपरांत पुरुष द्वारा विवाह से इन्कार करने पर उसे धोखा देने का आरोप लगाया है; और अज्ञानता, दबाव अथवा धनलिप्सा के वशीभूत पुलिस ने पुरुष के विरुद्ध बलात्कार का मुकदमा दर्ज़ कर उसे बंदी बना लिया है।

इसकी विपरीत स्थिति में नारी द्वारा पहले विवाह का आश्वासन देकर बाद में विवाह से इन्कार करने पर उसके विरुद्ध कभी कोई कार्यवाही नहीं की गई है। कानून की यह अनोखी परिभाषा न्याय-विरुद्ध पुरुष-प्रताड़ना तो है ही, किसी-किसी प्रकरण में नारियों द्वारा ब्लैकमेल का साधन भी बन गई है। इस विषय में निम्न विंदु विचारणीय हैं-

  1. क्या पुरुष द्वारा विवाह का आश्वासन किसी नारी को शारीरिक सम्बंध बनाने को विवश करता है? यदि नहीं, तो आश्वासन तोड़ने से बलात्कार का आरोप कैसे लगाया जा सकता है? यदि कोई आरोप बनता भी है, तो मात्र वादाखिलाफ़ी का बनता है, जो पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
  2. यदि विवाह का आश्वासन देकर शारीरिक सम्बंध बनाना बलात्कार है, तो विवाह कर लेने मात्र से यह गम्भीर अपराध समाप्त कैसे हो जाता है?
  3. यदि नारी विवाह का आश्वासन देकर किसी पुरुष से सम्बंध बनाये और बाद में विवाह न करे तो उसके विरुद्ध पुलिस क्या कार्यवाही करेगी?
  4. यदि पुरुष किसी नारी को विवाह का आश्वासन देकर उससे शारीरिक सम्बंध बनाये, और बाद में पाये कि स्त्री एक वेश्या, आतंकी अथवा पागल है, तो क्या उससे विवाह न करने पर बलात्कार का आरोप बनेगा और क्या तब भी उससे विवाह करना पुरुष की कानूनी मजबूरी होगी?

स्पष्टतः ऐसे प्रकरणों में पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी पुरुष का अनुचित प्रताड़न है। न्यायोचित स्थिति यह है कि इस प्रकार बलात्कार का अपराध बनाने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये।

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