काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के बीच रंग-रोगन UP की BJP सरकार के लिये बनी चुनौती

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार 9 दिसंबर को विकास प्राधिकरण द्वारा वाराणसी के मैदागिन चौराहे के बगल में स्थित पार्टी कार्यालय को गुलाबी रंग में रंगने का विरोध किया. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (UPCC) के उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने जिला विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर मैदागिन चौराहे के बगल में स्थित कांग्रेस कार्यालय को बिना सहमति के गुलाबी रंग में रंगने का कड़ा विरोध जताया.

मीडिया स्वराज डेस्क

वाराणसी: 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर श्री विश्वनाथ कॉरिडोर के आसपास के इलाकों को भगवा रंग में रंगना शुरू किया गया था. पूरे शहर को भगवा रंग में रंगने के क्रम में भाजपा सरकार यह भी भूल गई कि बीच में कांग्रेस पार्टी का दफ्तर या मस्जिद की दीवार भी आ रही है, और उन्हें भी इस सरकार ने मनमाने ढंग से भगवा रंग में रंग दिया. हालांकि, इसके बाद जब विरोध किया जाने लगा ​तो प्रशासन को माफी मांगकर उन्हें उनके पुराने रंगों में वापस रंगने पर उसे मजबूर होना पड़ा.

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार 9 दिसंबर को विकास प्राधिकरण द्वारा वाराणसी के मैदागिन चौराहे के बगल में स्थित पार्टी कार्यालय को गुलाबी रंग में रंगने का विरोध किया. उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (UPCC) के उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने जिला विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर मैदागिन चौराहे के बगल में स्थित कांग्रेस कार्यालय को बिना सहमति के गुलाबी रंग में रंगने का कड़ा विरोध जताया. उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला कांग्रेस कार्यालय की दीवारों को गुलाबी रंग में रंगवाने और पार्टी नेताओं के भारी विरोध के बीच वाराणसी विकास प्राधिकरण को दोबारा उसे सफेद करने पर मजबूर होना पड़ा. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इसकी जानकारी दी.

कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने बताया कि जिला कांग्रेस कार्यालय को गुलाबी रंग से रंगे जाने का कांग्रेस पार्टी द्वारा विरोध किये जाने के बाद वाराणसी विकास प्राधिकरण को बैक फुट पर आना पड़ा. उन्होंने बताया कि प्राधिकरण ने कांग्रेस कार्यालय को 24 घण्टे के अंदर ही दुबारा गुलाबी से सफेद करा दिया है.

राय ने कहा कि मैदागिन से गोदौलिया क्षेत्र के मकानों को गुलाबी रंग से रंगा जाना असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि मैदागिन स्थित कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन को बिना पार्टी की अनुमति के गुलाबी रंग में रंग कर बैनर पोस्टर और बोर्ड को हटा दिया गया.

राय ने आरोप लगाया कि यह सरकार सत्ता के नशे में चूर है इसलिये ऐसा कर रही है. कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी ने प्रशासन को 36 घण्टे का वक्त दिया था और कहा था कि यदि सरकार कांग्रेस कार्यालय को उसके पूर्व रंग में नहीं करती है तो हम सब आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के भारी विरोध के कारण 24 घण्टे के अंदर ही इसे दोबारा सफेद कर दिया गया. राय ने कहा कि यह सरकार आस्था के नाम पर झूठी मार्केटिंग कर रही है, पहले मंदिर को तोड़ कर सनातनी परंपरा के साथ खिलवाड़ किया गया और अब रंग रोगन, मार्केटिंग और झूठ के प्रचार के जरिये भाजपा सरकार अपनी कुनीतियों और गलत कार्यों को छुपाना चाहती है.

इससे ठीक एक दिन पहले 8 दिसंबर को भी रंग रोगन करने की इसी कड़ी में रास्ते में आने वाली एक मस्जिद को भी रातों रात भगवा रंग में रंग दिया गया था. इस पर मुस्लिम धर्म गुरुओं ने विरोध जताया जिसके बाद प्रशासन ने इसे गलती मान कर फौरन मस्जिद की सफ़ेद रंग में पुताई की.

बता दें कि इससे ठीक एक दिन पहले 8 दिसंबर को भी रंग रोगन करने की इसी कड़ी में रास्ते में आने वाली एक मस्जिद को भी रातों रात भगवा रंग में रंग दिया गया था. इस पर मुस्लिम धर्म गुरुओं ने विरोध जताया जिसके बाद प्रशासन ने इसे गलती मान कर फौरन मस्जिद की सफ़ेद रंग में पुताई की.

बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्री विश्वनाथ कॉरिडोर लगभग 5 लाख वर्गफुट में बनाया जा रहा है, जिसे तीन भागों में बांटा गया है. पहला मुख्य मंदिर परिसर उसके बाद मंदिर चौक और फिर घाट की तरफ जाने वाला वह रास्ता, जिसके दोनों तरफ इमारतें हैं और कुछ पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इसे अहमदाबाद की पीएसपी कंपनी तैयार कर रही है. इस पूरे प्रोजेक्ट में चुनार के बलुआ पत्थर और राजस्थान के बालेश्वर स्टोन ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है. ज्ञात हो ​कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर का लोकार्पण करने के लिये 13 दिसंबर यानि सोमवार को वाराणसी पहुंचेंगे। इसी बाबत ये तैयारियां जोरों शोरों से की जा रही है.

विश्वनाथ कॉरिडोर के मंदिर परिसर को सिर्फ बड़ा ही नहीं बनाया गया है बल्कि उसे भव्य रूप भी दिया जा रहा है. स्थापत्य में इसकी प्राचीनता भी झलकती है. बड़े-बड़े मेहराबदार चार द्वार, ख़ूबसूरत नक्काशी वाले स्तंभ और प्रदक्षिणा पथ जिसमें अलग-अलग इलाकों के पत्थर लगाए गए हैं. मंदिर के परिसर में 27 संगमरमर के पैनल हैं जिनमें काशी का पुराना इतिहास भी है.

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