चलअ हो किसान गोईंया अजुध्या चलल जाई 

चलअ हो किसान गोईंया

अजुध्या चलल जाई 

काहै जियरा जलाई

काहै सुलिया चढ़ी

छोड़ खेती किसानी

सरयू किनारे राम लला के खोरिया

किसानन क डेरा धरी

रातौ दिनवा बस राम रामहि भजी

लोकउ सुधरी परलोकउ बनी

चलअ हो किसान गोईंया

अजुध्या चलल जाई

बिल त बिलाई है गोईंया

चाहे खेती किसानी क बिल होइ

चाहे फैकटरी मजूरी क बिल होइ

चाहे गेहूं दाल चाउर क बिल होइ

देशवा बिल से नाहक बिलबिलान बाटइ

बिलिया में  मूरख किसान गोईंया

कैसे हाथ डारि

कउने बिलवा में कइसन

कीरा बिछ्छी होहिहै

हम तू लंठ गोईंया कैसे जानि पाउब

काहे सोचि बिचारि की के बा तितुआ के बा मितुआ

बखत अब नाही बा कैसे जानि पाई

सबई रहवा किसानन क रुझि जात बाटइ

कइल तैयारी हो गोईंया विपतिया क मारी

चलअ अजुध्या चलत जाति बानी

खेती बारी सबै सौंपि द साहेब बाबा के गोईंया

चलअ सरजू किनारे कीर्तन करि मनमानी

खेती बारी करैं हो अडानी अम्बानी

हम किसान गुइंया

रामरस चाखि राम जनम के भुइँया

चलअ हो किसान गुइंया अजुध्या चलल जाई।

 

डॉ. चन्द्रविजय चतुर्वेदी, प्रयागराज

 

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