सविनय अवज्ञा और सत्याग्रह

आंसू गैस, लाठी, गोली,इन सबके मुकाबले में आंदोलनकारियों को तो हमेशा शांत ही रहना है


आंदोलन के संदर्भ में सविनय अवज्ञा का एक प्रश्न भी विचारणीय है।आमतौर पर आंदोलन में सविनय अवज्ञा आदि का समावेश होता नहीं है। किंतु असाधारण परिस्तिथियो में कि जब सरकार भ्रष्टाचार आदि की अपनी बुराइयों से हठ पूर्वक चिपकी रहती है, और तात्कालिक
महत्त्व की आवश्यकताओं के बारे में जनता के उचित आंदोलन को दमन का दौर चलाकर कुचल देना चाहती है, (जैसा कि बिहार के विद्यार्थी आंदोलन में हुआ था) तो वैसी परस्थिति में सविनय अवज्ञा के हथियार का उपयोग करना कर्त्तव्य_ रूप बन सकता है।
इसके अलावा, ऐसे क्षेत्र कि जहां प्रभावकारी ढंग से सविनय अवज्ञा के हथियार का उपयोग नहीं किया जा सकता, वहां सत्याग्रह की आवश्यकता भी पड़ सकती है। जैसे, सामाजिक अथवा आर्थिक शोषण के विरोध में। यदि ऐसे मामलों में सरकार सोषको का पक्ष लेकर बाधक बनती है, तो इस प्रकार के सत्याग्रह सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा का स्वरूप भी ले सकते हैं देश के कई हिस्सों में,कई बार, ऐसी परिस्थिति खड़ी होती ही रही हैं।
एक सवाल यह भी है कि किसी भी चुनी हुई सरकार को
और विधान सभा को भंग करवाने के लिए सविनय अवज्ञा का उपयोग किया जा सकता है या नहीं?

इसके विषय में संविधान के विशेषज्ञों और विधि_ वेत्ताओ ने संविधान की दृष्टि से इसके ओचित्य की छानबीन की है। विधानसभा को विसर्जित करने की मांग असैमधानिक नहीं है।भले ही उसे संविधान के बाहर की चीज माना जाय, किंतु वह लोकतंत्र_ विरोधी तो है ही नहीं।बेशक, यहां यह कहा जाना चाहिए कि चुनी हुई सरकारों को और विधान सभाओं को भंग करने के लिए सविनय अवज्ञा का उपयोग आमतौर पर नहीं किया जाना चाहिए।

इस मार्ग अवलंबन तो असाधारण परिस्थिति में ही किया जाना चाहिए। और, सविनय अवज्ञा का या कानून_ भंग का यह कार्यक्रम भी पूरी
तरह शांतिपूर्ण रीति से ही संपन्न होना चाहिए।
हमें यह बात कभी भूलना नहीं चाहिए कि आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण ही रहना चाहिए।परस्थिति कैसी भी क्यों न हों, फिर भी लोगों को उत्तेजित होकर, हिंसा का सहारा नही लेना चाहिए। क्योंकि यदि ऐसा हुआ, तो उससे आंदोलन को नुकसान पहुंचेगी।

सरकार की तरह से कितना ही दमन क्यों न हों,फिर भी आंदोलन को तो अपने हर एक स्तर पर शांतिपूर्ण ही रहना चाहिए। आंसू गैस, लाठी, गोली,इन सबके मुकाबले में आंदोलनकारियों को तो हमेशा शांत ही रहना है।

बिहार_ आंदोलन का यह नाराहमला चाहे जैसा होगा,हाथ हमारा नहीं उठेगा! हमारे हर एक_ आंदोलन का शांति_ मंत्र बन जाना चाहिए।


-लोकनायक जय प्रकाश नारायण

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