देवदार को बचाने की मुहिम
आओ सब मिलकर एक अदभुत अलौकिक देव वृक्ष देवदार को बचाने के लिए चलायें एक मुहिम।।।
आज आपको लिए चलते हैं गंगोत्री घाटी के एक अदभुत आलौकिक दिव्य वृक्ष देवदार के पास।। जिसकी बलि लेने के लिए वनविभाग आतुर है। बलि लेने के लिए इस देवदार के वृक्ष के ऊपर (जिउँदाल) भी डाले जा चुके हैं।
यानी इसका छपान कर घन लगाकर इसकी बलि देने का नंबर 530 भी पड़ चुका है।
देवदार को देवों का वृक्ष भी कहा और माना जाता है।। गंगोत्री घाटी में सघन देवदार के जंगल बहुतायत में हैं। ऊंचाई में आप पाएंगे कि यहां देवदार वृक्षों की ग्रोथ बहुत ही स्लो होती है। पेड़ ऊंचाई में कम हो सकते हैं लेकिन मोटाई में एक से बढ़कर एक पेड़ मौजूद हैं।
दरअसल उत्तरकाशी से भैरों घाटी तक गंगोत्री मार्ग का विस्तारीकरण होना है इसी के चलते गंगोत्री घाटी में हजारों देवदार के वृक्षों का पातन होना है।
गंगोत्री घाटी के कोपांग में ITBP चौकी के समीप ये एक ऐसा अदभुत आलौकिक वृक्ष है जो एक मे ही 20 विशाल देवदार के वृक्ष समेटे हुए है। जमीन से एक वृक्ष और ऊपर इसकी 20 शाखायें हैं जो 20 की 20 अपने आप मे सम्पूर्ण हैं और परिपक्व विशाल वृक्ष हैं।। जो दुनियाँ में कहीं भी मौजूद नहीं हैं।
इस जगज पर इस देवदार के अदभुत आलौकिक वृक्ष को बचाकर 50 मीटर चौड़ी सड़क बनाई जा सकती है लेकिन ऐसा लगता है कि वनभिभाग ने दुनियाँ के इस अनोखे वृक्ष को साफ करने का मन बना रखा है।।
जंगलों के कटान की पीड़ा को समझते हुए उत्तराखंड के मशहूर गायक नरेंद्र सिंह नेगी जी ने आज से कई वर्षों पहले पेडों को काटने से बचाने के लिए अपने गीत के माध्यम से संदेश भी दिया था। लेकिन इस गीत को वनभिभाग ने शायद ही कभी सुना होगा।
आज 19 मई को मैंने जिलाधिकारी उत्तरकाशी से मिलकर इस पेड़ को बचाने की गुहार लगाई। DM उत्तरकाशी ने भी इसको सकारात्मक ढंग से लिया और इस अदभुत आलौकिक पेड़ को बचाने का भरोसा दिया।।
—- लोकेंद्र सिंह बिष्ट।