बनारस में उलटी दिशा में बहने लगी “रेत की नहर”

गंगा के रौद्र रूप धारण करने और जलस्तर बढ़ने से मीरघाट, ललिताघाट, जलासेन व मणिकर्णिका श्मशान के सामने धारा को बांधकर जो “विकास” किया गया था, वह पानी में डूब गया है. उधर, “रेत की नहर” के उलटी दिशा में बहने से जानलेवा भंवर बनने लगी हैं. भंवर के आसपास लगभग 20 फुट की परिधि में पानी का करेंट इतना तेज होता है कि यदि उसमें कोई फंस गया तो गहरे पानी में चला जाएगा. ऐसी भंवरों के बीच नाव चलाना भी घातक है.

जबकि गंगा अभी चेतावनी बिंदु से नीचे बह रही हैं. मिर्जापुर व चुनार से होते हुए गंगा दक्षिण दिशा से काशी में प्रवेश करती हैं. उसके बाद घाटों को छूते हुए गंगा का स्वरूप अर्धचंद्राकार बन जाता है. इसमें असि व वरुणा नदी की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन उनकी धारा के साथ भी छेड़छाड़ हुआ है. राजघाट पुल के आगे वरुणा-गंगा संगम के बाद फिर गंगा पूर्व दिशा का रुख करती हुई गाजीपुर, बलिया होते हुए बिहार की सीमा में प्रवेश करती हैं. फिलहाल जलस्तर बढ़ने का क्रम जारी है.

रेत की नहर

गंगाघाट के समानांतर उसपार बनी साढ़े पांच किलोमीटर लम्बी रेत की नहर का सामना पहली बार गंगा के रौद्र रूप से हुआ है. गंगा के तेज प्रवाह से पहले ही धक्के में “रेत की नहर” के दोनों किनारों पर लगा बालू का ढेर भहराकर जलधारा में समाहित हो गया है. उसपार गंगा ने नहर को अपनी आगोश में समेट लिया है. अब क्या होगा ?
काशी में गंगा दक्षिण से उत्तर दिशा में बहती हैं तो नहर उत्तर से दक्षिण बहने लगी है. जबकि जिलाधिकारी ने मानसून शुरू होने से पहले नहर के गंगाधारा की तरफ बालू हटाने के लिए कार्यदायी एजेंसी को नोटिस दिया था. बालू हटाने के लिए टेंडर भी हुआ था.

नदी के “सरकारी विद्वानों” की गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए बनाई गई “रेत की नहर” का असर क्या होगा ? इसका कुछ-कुछ अंदाजा मानसून के बाद दिखने लगेगा. वैसे किसी भी नदी के एक किनारे के प्रवाह को उलट दिशा में बहना ही खतरे का संकेत है. यह ठीक वैसे ही है, जैसे सड़क पर चलता कोई राहगीर या वाहन चालक आगे नाक की सीध में नहीं, बल्कि पीछे पीठ की दिशा में भागने लगे, तो फिर ट्रैफिक के सभी नियम बदल जाएंगे. जाम आगे नहीं लगकर पीछे लगने लगेगा.

हालांकि इंसान ऐसा नहीं कर सकता है, लेकिन नदियां कर सकती हैं. किसी नदी की धारा हमारी इच्छा से नहीं चल सकती है. उत्तराखंड में हम गंगा की धारा के साथ छेड़छाड़ करने का परिणाम भुगत चुके हैं. फिर भी “विकास” के नशे में नए-नए प्रयोग करने के आदती हो गए हैं. और परिणाम जो होगा, उसे भुगतने को भी तैयार हैं.

फिलहाल नहर के आसपास जानलेवा भंवरों के बनने का सिलसिला तेज हो गया है. नाविकों के लिए भी यह एक नया अनुभव है. नदी के जानकारों का कहना है कि इसका असर यह होगा कि गंगा घाट का किनारा छोड़कर आगे खिसक जाएंगी और घाट पर मलबा का ढेर लगने की प्रक्रिया पहले से भी अधिक हो जाएगी.

अभी इसी साल मई-जून के महीने में हम देख चुके हैं कि काई / शैवाल लगने से अस्सी से लेकर पंचगंगा घाट तक पानी का रंग हरा हो गया था. चुनार किला के पास भी काई लगने से गंगा का पानी हरे रंग का हो गया था. तब काई व शैवाल को खत्म करने के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधिकारियों के सुझाव पर दशाश्वमेध घाट के सामने 100 मीटर के दायरे में जर्मनी की आधुनिक तकनीक से बनी दवाई का छिड़काव किया गया था. दवा का छिड़काव करने वाले अधिकारियों का दावा था कि इसका असर अच्छा हुआ है.

छत पर हो रहा शवदाह व गंगा आरती

जलस्तर बढ़ने से अस्सी से राजघाट के बीच घाटों को जोड़ने वाले सभी रास्तों पर पानी भर चुका है. मणिकर्णिका श्मशान पर बन रहा “आधुनिक शवदाह स्थल” पूरी तरह डूब गया है. यहां शवदाह बाबा मसाननाथ के पास छत पर हो रहा है. हरिश्चंद्र घाट पर भी शवदाह का प्लेटफार्म पानी में डूब गया है. अस्सीघाट पर भी सांध्यकालीन आरती ऊपर हो रही है. दशाश्वमेध घाट की दोनों आरतियां छत के ऊपर की जा रही हैं. तीर्थपुरोहितों की चौकियां और छतरियां गलियों में पहुंच चुकी हैं.

गंगा में उफान के कारण चिरईगांव में ढाब क्षेत्र में रहने वालों की दिक्कतें बढ़ गई हैं. ढाब-मोकलपुर संपर्क मार्ग पानी में डूब गया है. रमचंदीपुर, गोबरहां, छितौना, रेतापार, चांदपुर के लोग नाव के सहारे आ-जा रहे हैं.

पूर्वांचल के कई जिलों में नदियां उफान पर हैं. बलिया, गाजीपुर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र समेत कई जिलों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. बलिया में घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर जबकि मऊ और आजमगढ़ में स्थिर हैं. वहीं सोनभद्र में बेलन और बकहर नदी में बाढ़ से कई इलाकों में आवागमन बंद हो गया है. फिलहाल बनारस में साढ़े 12 करोड़ की लागत से बनी “रेत की नहर” के लिए गंगा में आया उफान अग्निपरीक्षा है. यह देखना मजेदार होगा कि “विकास” की नहर के उलटी दिशा में बहती धारा का क्या असर होता है. रेत की नहर के लिए यह अग्निपरीक्षा की घड़ी है.
©️सुरेशप्रताप

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