रामपुर में कड़े मुक़ाबले में फँसे आज़म खां
दिसंबर 2016 में हाईकोर्ट ने इस सीट पर निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया था।
रामपुर। जिले में पांच में से दो सीटें बिलासपुर और मिलक पर भाजपा का जबकि रामपुर और चमरौआ पर सपा का कब्जा है। स्वार सीट पर भी सपा का कब्जा था लेकिन, दिसंबर 2016 में हाईकोर्ट ने इस सीट पर निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया था।
सीट वाईज देखें तो रामपुर शहर आजम की परंपरागत सीट है। इस बार वह जेल से ही चुनाव लड़ रहे हैं। उनके मुकाबले पर भाजपा ने आकाश सक्सेना को तो कांग्रेस ने नवाब काजिम अली खां को चुनाव मैदान में उतारा है।
ये दोनों ही आजम के धुर विरोधी हैं। आकाश ने कई मुकदमें कराकर आजम को जेल भिजवाया है तो काजिम अली ने आजम के बेटे की विधायकी कानूनी जंग लड़कर शून्य घोषित करायी थी। यहां आप से फैसल लाला और बसपा से सदाकत अली चुनाव लड़ रहे हैं। सीट पर 60-40 का हिन्दू-मुस्लिम का अनुपात है। यहां मुस्लिम वोट चार जगह बंट रहा है, जिसका लाभ भाजपा को होता दिखाई दे रहा है।
आजम के सांसद बनने के बाद 2019 में यहां उप चुनाव हुआ था, जिसमें सपा-भाजपा के बीच महज सात हजार का अंतर था, ऐसे में इस सीट पर आजम-आकाश के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है।
बिलासपुर-विस सीट पर भाजपा ने सिटिंग विधायक राज्यमंत्री औलख को चुनाव में उतारा है। यहां सपा से जिपं सदस्य अमरजीत सिंह और कांग्रेस से संजय कपूर मैदान में हैं। बसपा से रामौतार कश्यप चुनाव लड़ रहे हैं। यहां किसान आंदोलन का असर अभी भी है, जिसकी नाराजगी औलख को भारी पड़ सकती है। सपा का प्रत्याशी कमजोर माना जा रहा है। ऐसे में यहां कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला है।
स्वार-टांडा सीट सुर्खियों में
स्वार-टांडा सीट सुर्खियों में है। क्योंकि, दिसंबर 2016 में यहां के विधायक आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन हाईकोर्ट ने शून्य घोषित कर दिया था, तब से यहां विधायक नहीं है। अब इस सीट पर सपा से एक बार फिर अब्दुल्ला आजम प्रत्याशी हैं तो भाजपा गठबंधन से अपना दल एस के हैदर अली उर्फ हमजा मियां चुनाव लड़ रहे है। यह उनका पहला चुनाव है। चूंकि, नवाब खानदान का इस सीट पर वर्चस्व रहा है, पूर्व में हमजा मियां के पिता नवाब काजिम अली यहां से चार बार विधायक रहे हैं, सो इस सीट पर अब्दुल्ला और हमजा मियां के बीच मुकाबला है। हालांकि, बसपा ने शंकर सैनी और कांग्रेस ने राजा ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है लेकिन दोनों का कोई खास जनाधार दिखाई नहीं दे रहा है।
चमरौआ-यह सीट 2012 में ही आस्तित्व में आयी थी। वर्तमान में यहां सपा ने सिटिंग विधायक नसीर खां को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस से यूसुफ अली प्रत्याशी हैं, यूसुफ 2012 में यहां से विधायक रहे हैं। यहां भाजपा से मोहन लोधी और बसपा से मुस्तफा हुसैन चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन, तुर्क बाहुल्य इस सीट पर सपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला माना जा रहा है।
मिलक-एससी-एसटी के लिए सुरक्षित इस सीट पर भाजपा से सिटिंग विधायक राजबाला प्रत्याशी हैं तो सपा से पूर्व विधायक विजय सिंह ने प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से कुमार एकलव्य और बसपा से पूर्व दर्जा राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह सागर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर मानी जा रही है।
मुद्दे
बाढ़ यहां का प्रमुख मुददा है। करीब 211 गांव बाढ़ से प्रभावित होते हैं। हर साल ही बरसात के मौसम में बाढ़ हजारों बीघा फसल नष्ट कर जाती है। बाढ़ का मुद्दा एक विधानसभा क्षेत्र को नहीं बल्कि स्वार, चमरौआ, रामपुर शहर और मिलक विधानसभा को प्रभावित करता है। आवारा पशु भी एक मुददा है। लेकिन, इसका असर सिर्फ बिलासपुर और मिलक विस क्षेत्र में दिखाई देता है। स्वास्थ्य क्षेत्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बढ़ा मुददा है।
हार जीत का अंतर
स्वार
विजेता-अब्दुल्ला आजम-सपा-106443
उप विजेता-लक्ष्मी सैनी-भाजपा-53347
अंतर-53096
चमरौआ
विजेता-नसीर अहमद खां-सपा-87400
उप विजेता-अली यूसुफ अली-बसपा-53024
अंतर-34376
बिलासपुर
विजेता-बलदेव औलख-भाजपा-99100
उप विजेता-संजय कपूर-कांग्रेस-76741
अंतर-22359
रामपुर
विजेता-मोहम्मद आजम खां-सपा-102100
उप विजेता-शिव बहादुर सक्सेना-भाजपा-55258
अंतर-46842
उप चुनाव-2019
विजेता-तजीन फात्मा-सपा-79043
उप विजेता-भारत भूषण गुप्ता-71327
अंतर-7727
मिलक
विजेता-राजबाला सिंह-भाजपा-89861
उप विजेता-विजय सिंह-सपा-72194
अंतर-16667
जातिगत आंकड़े
विस सीट हिन्दू मुस्लिम
चमरौआ 43% 57%
रामपुर 40% 60%
स्वार 44% 56%
मिलक 52% 48%
बिलासपुर 51% 49%