गर्मी के ये मौसमी फल रखेंगे हमें चुस्त-दुरुस्त

वैद्य डा शिव शंकर त्रिपाठी

डा0 शिव शंकर त्रिपाठी

आयुर्वेद  के  अनुसार ग्रीष्म ऋतु में सूर्य उत्तरायण होने के कारण वायु में रूक्षता अधिक बढ़ जाती है, जिससे शरीर में दुर्बलता उत्पन्न होती है। प्रकृति भी ऋतुओं के अनुसार आहार द्रव्यों को उपलब्ध कराती है। इस ऋतु में मधुर रस प्रधान द्रव्यों का सेवन लाभकारी होता है।

हर ऋतु में अलग-अलग समय पर अलग-अलग शाक-सब्जियाँ एवं फल हमें प्रकृति से मिलते हैं, जो शरीर के लिए सदैव अनुकूल रहते हैं। आजकल पूरे वर्ष हर मौसम के सभी फल, शाक-सब्जियाँ बाजार में उपलब्ध हो रही हैं, जिन्हें या तो किन्ही वातानुकूलित पाली हाउस में उगाया जाता है या फिर वे कोल्ड स्टोरेज में भण्डारण की हुई होती हैं।

बिना मौसम यानी ऋतु के प्रतिकूल पाई जानी वाली इन शाक-सब्जियाँ एवं फलों का प्रयोग स्वाद के अनुकूल तो जरूर होता है किन्तु स्वास्थ्य पर इनका अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता।

इस मौसम में पाये जाने वाले कुछ फल जो सर्व सुलभ एवं अमीर-गरीब सभी वर्ग की पहुँच के अन्दर होते हैं, सबको सेवन करना चाहिये, जिससे स्फूर्ति एवं जीवनीय शक्ति में अवश्य वृद्धि होगी।

(1) तरबूज – पका हुआ गूदा वाला तरबूज स्वाद में मधुर, गुण में शीतल, पित्त एवं गर्मी का शमन करने वाला, पौष्टिकता एवं तृप्ति देने वाला, पेट साफ करने वाला एवं मूत्रल होता है। पके एवं मीठे तरबूज का सर्वत भी सेंधा नमक, सूखे पौदीना एवं भुने जीरा का चूर्ण थोड़ी सफेद या काली मिर्च मिलाकर लिया जाय तो यह शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करता है तथा तरबूज पोटेशियम, जिंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि खनिज पदार्थों का अच्छा स्रोत होने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेन्स करता है। तरबूज के पके फल में अनेक फ्लेवोनाइड, किरोटिन्वाइड, लाइकोपेन एवं विटामिन-सी आदि प्राकृतिक एण्टीआक्सीडेन्ट पाये जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक हैं। ध्यान रखें कि वहीं कच्चा एवं अधपका तरबूज का सेवन कफ दोष को उत्पन्न करता है तथा मलावरोध कर शरीर में बैचेनी पैदा कर सकता है। इसके बीज (मगज) रक्तवर्धक एवं बल्य है जिसका प्रयोग पारम्परिक ठंडाई (सर्बत) में किया जाता है।

ख़रबूज़ा

(2) खरबूजा – खरबूजे का गूदा शरीर को पुष्टि प्रदान करता है और तरी पैदा करता है खरबूजा गरीबों का मेवा है इसे यदि बराबर लिया जाये तो दुबले पतले लोग हृ्रष्ट-पुष्ट हो जाते है। इसका सेवन का सर्वोत्तम काल दो आहारों के मध्य का काल है। यह सारक है, पेट को साफ रखता है तथा पीलिया, मूत्रमार्ग शोथ एवं वृक्काश्मरी (किडनी की पथरी) में इसका सेवन अत्यन्त लाभकारी है। चेहरे की झाॅई को दूर करने के लिए इसके गूदे को लेप के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके फल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, मैग्नीशियम एवं कोलेस्ट्राल की पर्याप्त मात्रा होती है, जो शरीर में देर तक उर्जा बनाए रखता है। साथ ही इसमें ए, बी, सी विटामिन भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक हैं। इसके बीज ठंडाई में प्रयोग किये जाते है तथा ताकत बढ़ाने वाले एवं पुष्टिकारक मोदक (लड्डू) में इसके बीज के मगज का प्रयोग बहुतायत में किया जाता है। खरबूजा को सुगमता से पचाने के लिए इसको मिश्री या शक्कर के साथ सेवन करें और मांस को यदि शीघ्र पकाना हो तो उसके साथ खरबूजे के कुछ टुकड़े मिला दें तो शीघ्र गला देगा।

 

बेल

(3) बेल – बेल की जड़, तने की छाल, पत्ती एवं फल सभी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हंै। यह ग्राही गुण प्रधान होता है। बेल फल के कच्चे गूदे को सुखाकर उसके चूर्ण का सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला तथा अतिसार (डायरिया) को रोकने वाला होता है इसके चूर्ण को ईसबगोल भूसी एवं सौंफ के चूर्ण के साथ मिलाकर नियमित सेवन किया जाय तो हैजा, कोलाइटिस, डायबिटीज एवं बवासीर से बचे रह सकते है। पके फल का सर्बत मल को साफ कर ताजगी एवं ऊर्जा प्रदान करता है। बेल में फाइबर, एल्केलाइड्स, पालीसेक्राइड्स, एण्टी आक्सीडेन्ट्स, वीटा कैरोटीन, विटामिन बी एवं सी तथा अनेक जैव रसायनिक पदार्थ भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही टैनिन, कैल्सियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। बेल में पैक्टिन प्रचुर मात्रा में होता है, जो अनेक खाद्य पदार्थों को गाढ़ा करने तथा उन्हंे संरक्षित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

फालसा

(4) फालसा – फालसा में विटामिन सी एवं कैरोटिन तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। गर्मियों के दिनो में फालसा का सर्बत शरीर में होने वाले दाह, जलन एवं मितली शान्त करता है। यह पेट को साफ कर पित्त विकारों को दूर करता है। फालसा के सर्बत का सेवन नक्सीर (नाक से खून आना) को दूर करता है। वहीं कमजोर हृ्रदय रोगियों के लिए यह उत्तम हार्ट टानिक है। लू लगने पर इसके शर्बत को पीने से आराम मिलता है। फालसा में एण्टी आक्सीडेन्ट तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को अनेक संक्रमण से बचाते हैं। इसमें मौजूद कैरोटीन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम, फास्फोरस, प्रोटीन, विटामिन ए एवं सी जैसे पोषक तत्व हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।

नीबू

(5) नींबू – यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, जिसे गर्म पानी के साथ सुबह खाली पेट लें या हर्बल काढ़ा को स्वादिष्ट बनाने हेतु भी मिलाकर दिन में एक या दो बार लेना चाहिए। नींबू की सिकंजी पित्त की गर्मी से होने वाले सिर दर्द में अत्यन्त लाभकारी होती है। यह उल्टी और मिचली को ठीक करती है तथा यह डिहाइड्रेशन से बचाकर शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को बैलेन्स करती है। सिकंजी बनाने के लिए एक गिलास पानी में दो चम्मच राब या खाँण्ड (ब्राउन सुगर) या चीनी, 2 से 3 चुटकी सेंधा नमक तथा एक नींबू का रस मिलाएँ।

(6) आम – पका आम गर्मियोें के दिनों में टानिक है दूध के साथ पके एवं मीठे आम का सेक (लस्सी) लेने से शरीर को उर्जा एवं अन्दरूनी शक्ति मिलती है । इसके रस में विटामिन ‘ए’, ‘सी’ एवं ‘के’ होते हैं तथा सोडियम,काॅपर, कैल्सियम, फास्फोरस एवं आयरन भी भरपूर होता है, जिसके लेने से शरीर में खून बढ़ता है और हड्डियां मजबूत होती हैं। इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होने से पेट ठीक रहता है। आम में ग्लूटामिन नामक एसिड भी पाया जाता है, जो याद करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। पके आम के सेवन से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है। लू से बचने के लिए कच्चे आम का सर्वत (पन्ना) प्रतिदिन सेवन करना चाहिए इसे गुणकारी एवं स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें भुना जीरा, पौदीना, सेंधा नमक, काली मिर्च एवं गुड़ या चीनी मिलाते हैं। कृत्रिम रूप से पकाये गये आम शरीर को हानि पहुंचाते है, अतएव प्राकृतिक रूप से पका एवं मीठा आम का सेवन ही करना चाहिए। पका एवं मीठा आम दुबले-पतले बच्चों, वृ़द्धों एवं कृश लोगों को पुष्ट एवं बलवान बनाने हेतु यह उत्तम औषधि एवं खाद्य फल है।

https://youtu.be/Ui6YFTMuPOk
https://www.youtube.com/watch?v=Ui6YFTMuPOk
डा0 शिव शंकर त्रिपाठी, -भू0पू0 क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी, लखनऊ
-भू0पू0 प्रभारी चिकित्साधिकारी (आयुर्वेद), राजभवन, उत्तर प्रदेश

One Comment

  1. कोरोना के कारण, मैं इस समय गांव में हूं और यहां मुझे रोजाना तरबूज ,आम ,खरबूजा ,बेल का शरबत ,सरस्वती दिन में दो तीन बार खाने का अवसर प्राप्त होता है!

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