ट्रंप के पूर्व सुरक्षा सलाहकार बोल्टन की बुक ‘द रूम व्हेयर इट हैपेंन्ड’ पर फिलहाल रोक नहीं

(मीडिया स्वराज़ डेस्क) 

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन की 577 पन्नों की किताब ‘ द रूम व्हेयर इट हैपेन्ड’ चर्चा में है। इस किताब के प्रकाशन को ट्रंप के वकीलों ने कोर्ट में वाद दायर कर रोकने का अनुरोध किया था। उनकी दलील थी कि बोल्टन ने अंतिम मंजूरी मिले बिना ही अपनी किताब को प्रकाशित करने का फैसला लेकर स्वयं परेशानी खड़ी की है। उन्होंने इस बात की मंजूरी नहीं ली कि किताब में गोपनीय सूचनाएं नहीं हैं।
हालांकि बोल्टन की ओर से पेश दलील ने सरकार के अनुरोध को अवास्तविक और अव्यावहारिक बताया, खासतौर से तब, जब इस किताब की प्रतियां पहले ही प्रमुख मीडिया संस्थानों को जारी कर दी गई हैं और यह काफी चर्चा में आ चुकी है। इस बात से कोर्ट ने भी सहमति जताई है।

वहीं, अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट जज रॉयस लैमबर्थ ने तत्काल फैसला सुनाने से इन्कार करते हुए मामले से जुड़ी कुछ और जानकारी मांगी है।
जानकारी के मुताबिक ट्रंप सरकार के न्याय विभाग ने ‘द रूम व्हेयर इट हैपेंड’ किताब के अगले हफ्ते होने वाले विमोचन पर रोक लगाने के लिए मुकदमा दायर किया है। विभाग ने दलील दी कि इस किताब में गोपनीय सूचनाएं हैं जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंच सकता है और कहा कि बोल्टन ने इस किताब के प्रकाशन से पूर्व की समीक्षा प्रक्रिया पूरी नहीं की है।

बोल्टल ने अपनी किताब में दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीतने के लिए चीन की मदद मांगी थी। इतना ही नहीं उन्होंने चीन के नेताओं के खिलाफ आपराधिक जांच भी रुकवाने का लालच दिया था। हालांकि ट्रंप ने किताब को झूठ का पुलिंदा करार दिया था। विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने भी किताब में दी गई जानकारियों का खंडन किया था। उन्होंने उसे अतिश्योक्तियों से भरा बताया है।

इसके अलावा पुस्तक में डोनाल्ड ट्रंप पर एक ओछे कृत्य का आरोप भी लगाया गया है और बोल्टन ने ट्रंप को राष्टपति पद के लायक नहीं बताया है। वहीं, पोम्पियो ने जॉन बोल्टन को ‘देशद्रोही’ करार दिया था। पोम्पियो ने एक बयान में कहा था, ‘यह दुखद और खतरनाक दोनों है कि जॉन बोल्टन की अंतिम सार्वजनिक भूमिका एक गद्दार की है जिन्होंने अपने लोगों के साथ एक पवित्र विश्वास का उल्लंघन करके अमेरिका को नुकसान पहुंचाया है।’

हालांकि इस केस की सुनवाई के वक्त जज ने यह माना कि 23 जून की पब्लिकेशन तिथि के बावजूद बोल्टन ने जल्दबाजी में यह किताब लांच की है और इसके कई महत्वपूर्ण अंश लीक भी हो चुके हैं।

 

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