अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का 9 दिन 9 मुद्दों  पर कार्यक्रम शुरू

पहले दिन किसानो की कर्ज़मुक्ति के मुद्दे पर किये गए ऑनलाइन कार्यक्रम में 3,898हज़ार हुए शामिल

–डॉ सुनीलम

  • सरकारों की किसान विरोधी नीतियों के कारण कर्जदार हुआ है किसान
  • किसानों की कर्ज़मुक्ति कानून संसद में पारित करने की मांग

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का 9 दिन 9 मुद्दों पर 9 अगस्त क्रांति दिवस पर होने वाले किसान मुक्ति आंदोलन से जुड़ा ऑनलाइन कार्यक्रम आज सुबह 11 बजे शुरू हुआ ,किसानों को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि सरकार ने लॉक डाउन के समय तीन अध्यादेश लाकर किसानों को बर्बादी करने की साजिश की है जिसका समन्वय समिति मुंहतोड़ जबाब दे रही है । उन्होंने कहा इन अध्यादेशों से किसानों को नहीं पूंजीपतियों को फायदा पहुंचने वाला है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से उद्योगपति और ठेकेदारों को फायदा होगा है। उन्होंने कहा कि किसानों को वन नेशन वन मार्केट नहीं वन नेशन वन एमएसपी चाहिए । एमएसपी से कम पर खरीद करने वाले को तुरंत जेल भेजा जाना चाहिए ।

इन अध्यादेशों के अनुसार अब व्यापारियों को जमाखोरी की छूट मिल गई है। छोटी जोत का किसान अपनी उपज को सैकड़ों किलोमीटर पर ले जाकर बेचने में समर्थ नहीं होगा उसे मजबूरन स्थानीय व्यापारियों को कम दाम पर ही अपनी उपज बेचना पड़ेगा। सरकार ने भुगतान की समस्या के निराकरण  के लिए कोर्ट जाने का रास्ता भी अब बंद कर दिया है ।

1760 रुपए मक्का का समर्थन मूल्य होने पर भी 700 से 800 में बिक रहा है। दूध पाउडर के आयात को मंजूरी मिलने से दूध उत्पादक किसानों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है।

पंजाब से वर्किंग ग्रुप सदस्य डॉ दर्शनपालसिंह ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध का मजबूत संदेश पंजाब के किसानों ने एकजुट होकर 27 जुलाई को ट्रैक्टर रैली के माध्यम से सरकार को दिया है । पहले किसान आंदोलन और रैलियों में सिर्फ बुजुर्ग लोग ही हिस्सा लेते थे लेकिन इस बार युवाओं ने आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।

उन्होंने कहा कि किसानों की संख्या मे कमी का कारण बढ़ती लागत और महंगाई है । लाखों किसान खेती करना छोड़ चुके है। किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा भी बढ़ा है जिसमें अधिकांश 5 एकड़ से कम जोत के किसान है । सरकार को एक बार सभी किसानों का कर्जा माफ करना चाहिए।

गुजरात से किसान नेता भारत सिंह झाला ने कहा कि गुजरात में किसानों और कृषि योग्य भूमि के रकबे लगातार घट रहे है। उद्योगपतियों को जमीन दी जा रही है जिसका उन्हें उचित मुआवजा भी किसानों को नहीं मिल रहा है । गुजरात सरकार उद्योगपतियों का कर्जा माफ कर रही है लेकिन एक भी किसान का कर्जा माफ नहीं किया है ना ही फसल बीमा का लाभ मिल पा रहा है । सरकार की 20 लाख करोड़ की योजना का तो अभी तक कोई लाभ किसानों को मिल ही नहीं पाया है । सरकार की आर्थिक नीति और महंगाई के कारण किसान बर्बाद हुए है ।

वर्किंग ग्रुप की सदस्य मेधा पाटकर ने किसानों से अपील की कि वे 9 अगस्त को अपने अपने गांव में कार्यक्रम आयोजित कर किस तरह सरकार किसानी को बर्बाद करना चाहती है यह समझाएं ,उन्होंने कहा किसानों को श्रमिको के साथ मिलकर इस लड़ाई को पूरी ताकत से लड़ना चाहिए।उन्होंने कहा कि किसानो की आत्मनिर्भरता खत्म करने के लिए सरकारों की नीतियां जिम्मेदार हैं।उन्होंने
किसानों की कर्ज़मुक्ति कानून संसद में पारित करने की मांग की ऑनलाइन कार्यक्रम का संचालन करते हुए वर्किंग ग्रुप के सदस्य डॉ सुनीलम ने कहा कि यदि किसानों को अपनी उपज का उचित दाम मिलता तो किसान कर्जदार नहीं बनता । अभी कई जिलों में बाढ़ से नुकसान हुआ है और कई जिले अभी से सूखे प्रभावित है। सरकार को बाढ़ प्रभावित और सूखा प्रभावित क्षेत्र के किसानों को लागत से डेढ़ गुना मुआवजा देना चाहिए। अतिथि श्रमिकों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अधिकांश अतिथि श्रमिक वे है जिनके पास खेती कम है ।कम खेती में गुजारा नहीं होने पर वे शहर काम की तलाश में जाते हैं ।कोरोना काल में सरकार के पास आवागमन के तमाम साधनों के बावजूद भी उन्हें अपने घर पैदल लौटना पड़ा। परिणामस्वरूप करीब 850 की मृत्यु हो गई। उन्हें सरकार की घोषणा के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के बराबर एक करोड़ रुपया मुआवजा दिया जाना चाहिए था। घर लौटने पर सरकार द्वारा उन्हें न रोजगार उप्लब्ध कराया ना ही राशन की समुचित व्यवस्था की गई इन्हीं सब मुद्दों को कॉर्पोरेट भगाओ ,किसानी बचाओ आन्दोलन 9 अगस्त को किया जा रहा है ।

आज के कार्यक्रम को 37 ,898 किसानों ने फेस बुक लाइव पर एआईकेएससीसी के फेस बुक पेज पर देखा,174 शेयर किए गए । तकनीकी कारणों से कर्नाटक मूल्य आयोग के पूर्व अध्य्क्ष डॉ टी एन प्रकाश ,तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से वर्किंग ग्रुप सदस्य किरण वीस्सा ,हरियाणा से प्रेम सिंह गहलावत ,ओडिसा से प्रफुल्ल सामंत रा और छत्तीसगढ़ से पारसनाथ साहू शामिल नहीं हो सके परंतु उनके वीडियो एआईकेएससीसी के फेस बुक पर देखे जा सकते हैं।कल एआईकेएससीसी के फेस बुक पेज पर 11 बजे से ‘किसानों का ये ऐलान, लेकर रहेंगे पूरा दाम’ ऑनलाइन कार्यक्रम 1 बजे तक देखा जा सकेगा।

सुनीलम

 

डॉ सुनीलम
द्वारा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति
9425109770

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