प्रशासन और पत्रकारिता पर 2nd day हुई चर्चा

मीडिया एवं पत्रकारिता निःशुल्क कार्यशाला का तीसरा दिन

प्रशासन और पत्रकारिता के परिप्रेक्ष्य में मीडिया एवं पत्रकारिता निःशुल्क कार्यशाला के तीसरे दिन चर्चा की गयी. स्वराज विद्यापीठ में आयोजित आज की कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. विनोद कुमार मल्ल प्रतिभागियों से प्रशासन और पत्रकारिता पर चर्चा कर रहे थे.

स्वराज विद्यापीठ में आयोजित मीडिया एवं पत्रकारिता निःशुल्क कार्यशाला के तीसरे दिन प्रशासन और पत्रकारिता के परिप्रेक्ष्य में चर्चा की गयी.

आज मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. विनोद कुमार मल्ल प्रतिभागियों से संवाद के लिए मौजूद थे. मल्ल ने एक सामाजिक आंदोलन “बुद्ध से कबीर तक” नाम से शुरू किया है, जो भारतवर्ष की विविधता और सांझी संस्कृति को मजबूत करने के लिए देश भर में सतत प्रयासरत है.

एक पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य करते हुए भी मल्ल लगातार सड़कों पर उतरकर, लोगों से सीधे संवाद स्थापित कर देश की साँझी संस्कृति को मजबूत करने में लगे हुए हैं, जिसकी झलक आज मीडिया व पत्रकारिता कार्यशाला में भी दिखी. अपने अनुभवों और मीडिया की भूमिका पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम सभी का एक उद्देश्य है कि सभी को यथोचित न्याय व सम्मान मिले.

आज मीडिया, पुलिस, बिजनेस मैन, कोर्ट और आमजन, सभी इसकी बात करते हैं परन्तु इसे लेकर समाज में एक विरोधाभास बना हुआ है.

व्यक्ति, सामाजिक संगठन, राजनैतिक संगठन अथवा सभी प्रकार की संस्थाएं, समाज पर अपना प्रभाव थोपने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं और इसके लिए तरह तरह के हथकण्डे भी इस्तेमाल किये जा रहे हैं, जिस कारण इक्कीसवीं शताब्दी में होते हुए भी हमारा ध्रुवीकरण हो रहा है.

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जाति, धर्म को लेकर ऐसी धारणाएं बन रही हैं, जो समाज को संकीर्णता की ओर ले जा रही हैं. आज ज़रूरत है ऐसी समझ पैदा करने की, जो हिन्दुस्तानी संस्कृति को सही तरीके से समाज में फैलाने का काम कर सके. हम सदा से ही सत्यान्वेशी रहे हैं और संवेदना व समभाव की भावना से ओत प्रोत रहे हैं.

वैदिक काल से लेकर अब तक बुद्ध, महावीर, कबीर व गांधी जैसे सत्यान्वेशी लोगों ने इसी भावना को समाज में फैलाने का काम किया है. पत्रकारिता वह माध्यम है, जिसके द्वारा हम सत्य शोधक समाज का निर्माण कर सकते हैं, जिसके मर्म में संवेदना हो.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुनील उमराव ने प्रतिभागियों को बताया कि हमें अपने मानवीय मूल्यों के साथ सत्य का पक्ष लेते हुए मीडिया एवं पत्रकारिता की गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए.

बदलते समय में मीडिया एवं पत्रकारिता के क्रिया-कलाप के बदलाव को समझते हुए हम अपने समाज में होने वाले समस्याओं को सही दिशा देकर उचित निर्णय की ओर ले जा सकें.

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