एक खास मुलाकात डॉ स्कन्द शुक्ला से, आर्थराइटिस के लक्षण और बचाव

अमन गुप्ता

आर्थराइटिस सबसे अधिक परेशान कर रही है, डॉक्टर स्कन्द शुक्ला ने बताया समाधान।

वर्तमान समय में आर्थराइटिस बीमारी का सामना भारत के सबसे अधिक लोग कर रहे हैं, आर्थराइटिस के बारे में बात करते हुए खुद डॉक्टर स्कन्द शुक्ला (RHEUMATOLOGIST ) ने अफ्थरिटिस से लड़ने और कण्ट्रोल करने का तरीका भी बताया है…

आमतौर पर बीमारियों की कोई कैटिगरी नहीं होती है। कोई-सी भी बीमारी किसी भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकती है। क्योंकि अब तो बीमारियां उम्र का फासला भी लांघ चुकी हैं। यानी जो बीमारियां पहले सिर्फ बढ़ापे में और 60 साल की उम्र के बाद हुआ करती थीं, वे आजकल 22 से 24 साल के युवाओं में देखने को मिल रही हैं, और अगर हम आर्थराइटिस की बात करें तो आर्थराइटिस एक जोड़ो के दर्द का समूह है। इसमें जोड़ो में दर्द, सूजन, अकड़न जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। कुछ आर्थराइटिस कुछ महीनों में समाप्त हो जाती हैं, लेकिन कुछ आर्थराइटिस ऐसी भी होती हैं जिसके लिए मरीज को जीवन भर दवाई खानी पडती है।

डॉ शुक्ला बताते हैं की आर्थराइटिस कई प्रकार की हैं, जैसे की ऑस्टिओ आर्थराइटिस, रेमोटाइड अफ्थरिटिस आदि।

-ऑस्टिओ आर्थराइटिस

यह आर्थराइटिस आमतौर पर शरीर के उन अंगों में मिलते हैं जिस शरीर अंग को हम ज्यादा इस्तेमाल करते है जिसकी वजह से वो घिस जाते हैं। जो भी जोड़ ज्यादा इस्तेमाल किया जायेगा उसमे वियर और टिअर -मतलब घिसने की वजह से वह जोड़ ख़राब हो जाता है। घुटनों में, अंगूठो के जड़ में या कई बार उँगलियों के छोटे जोड़ो में भी ऑस्टिओ आर्थराइटिस देखने को मिल सकता है। यह अक्सर बढ़ती उम्र के साथ या कई बार जोड़ो का ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से पायी जाती है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस क्या है?

यह एक ऑटो इम्मून बीमारी है, इसमें शरीर का जो प्रतिरक्षातंत्र जो होता है वो रोगी के अंगों पर आक्रमाद करना शरू कर देता है। वो अपने ही शरीर को ख़राब करना शुरू कर देता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस में प्रतिरक्षातंत्र ( immune system )जोड़ो पर हमला करके उनको ख़राब करने लगता है जिसके कारण मरीज के भीतर लक्षण पैदा होने लगते हैं।

डॉ शुक्ला का कहना है की कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं जो की जोड़ो के अलावा शरीर के अन्य अंगों पर भी अपना असर डालती हैं जैसे की आँखों पर, फेफड़ों पर, आंतो पर तो यह कहना सही नहीं होगा की आर्थराइटिस केवल जोड़ो की बीमारी है, आर्थराइटिस की वजह से जोड़ो के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं।

डॉ शुक्ला का मानना है की आर्थराइटिस बच्चों में भी होते हैं। बच्चों में होने वाले आर्थराइटिस अलग होते हैं। युवाओं में होने वाले आर्थराइटिस अलग प्रकार के होते हैं और जो आर्थराइटिस औरतों और बृद्धो में होते हैं वो आम तौर पर ओस्टेओ आर्थराइटिस के शिकार होते हैं। बच्चों में जो आर्थराइटिस पाया जाता है उसको हम JIEAERA ARTHRITIS बोलते हैं। यह सोचने की आर्थराइटिस बच्चों में नहीं हो सकता यह एक गलत धारणा है। बच्चों में होने वाले आर्थराइटिस का इलाज अलग तरीके से किया जाता है। आर्थराइटिस के रोगी किसी भी उम्र के हो सकते हैं। अलग अलग प्रकार के आर्थराइटिस अलग उम्र के लोगों में अपना असर दिखा सकते हैं।

आर्थराइटिस के लक्षण की अगर हम बात करें तो आर्थराइटिस के कुछ कॉमन लक्षण जोड़ो में दर्द का होना, सूजन होना, जोड़ो में अकड़न होना, कभी कभी जब आर्थराइटिस ज्यादा दिनों तक रहती है तब आर्थराइटिस की वजह से अंग टेड़े भी होने लगते हैं। अगर आपके शरीर में दर्द रहता है या जोड़ो में दर्द होता है तो आपको डॉ से संपर्क करना चाहिए, डॉ कुछ जाचे कराते हैं जिसके बाद आप इलाज शुरू किया जाता है। अगर आप गठिया के इलाज में देरी करते हैं तो वे हमेशा के लिए खराब हो जाते हैं।

आर्थराइटिस का इलाज बहुत ही आसान है।अलग अलग आर्थराइटिस के रोगों का इलाज अलग अलग है, दवाओं का इस्तेमाल करके इसको बढ़ने से रोका जा सकता है। बहुत सारे आर्थराइटिस ऐसे है जिसको जड़ से समाप्त करना संभव नहीं है। आर्थराइटिस वाले मरीज को कभी भी नशे का सेवन नहीं करना चाहिए, दवा समय पर लेना चाहिए और व्यायाम सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर रोगी यह सब करता है तो आर्थराइटिस को नियत्रित करने में सफलता मिल सकती है।

एक्सपर्ट की सलाह

डॉ. शुक्ला बताते हैं की अगर आपको आर्थराइटिस है तो आपको समय पर खाना खाना चाहिए, ठीक समय पर सोना और उठना चाहिए, नशा बिलकुल नहीं करना चाहिए, और अपना वजन नियंत्रित रखना चाहिए। उचित आहार, उचित व्यायाम, उचित प्रकार से तनाव मुक्ति, ठीक से नींद लेना और उचित दवाइयों का सेवन आडथरिटिस से लड़ने में मदद करता है।

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