गलवन घाटी में झड़प के पीछे चीन का लम्बा गेम -निगाहें अरब सागर में ग्वादर बंदरगाह तक
कर्नल प्रमोद शर्मा
युद्ध की स्थिति में पहाड़ों के ऊंचे वाले स्थान और सड़कों का विशेष और सामरिक महत्व होता है।जो पक्ष इन इलाकों पर पहले दबदबा बना लेता है उसका पलड़ा खुद ब खुद भारी हो जाता है।चीन को इस मामले में भरपूर फायदा मिला है।
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी पर लगने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के समानांतर पिछले दस वर्षों से भारत द्वारा बनाई जा रही सड़क इस खूनी झड़प का सबब बना।यह सड़क आगे जा के सियाचिन ग्लेशियर फिर काराकोरम दर्रे पर मिलता है जो आगे बेजिंग का रास्ता खोलता है।
पिछले कुछ वर्षों से चीन के साथ सैन्य तैयारियों से ज्यादा तवज्जो कमर्शियल और वाणिज्य विभाग को मिलने का फायदा चीन ने उठाया और कई स्थानों पर डोकलम की स्थिति पैदा किया।
इन हालात में चीन ने चुपचाप गलवान घाटी के स्ट्रेटेजिक ऊंचाइयों पर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाये फिर उन ऊंचाइयों पर अपना दबदबा कायम कर लिया।इन ऊंचाइयों वाले स्थानों पर पहले भारत और चीन दोनों गर्मियों में निरंतर पेट्रोलिंग किया करते थे और नज़र बना के रखते थे।भारत की तरफ से कुछ कॅरोना के चलते और कुछ अन्य कारणों के चलते उन ऊंचाइयों वाले स्थानों पर पहुंचने में कुछ विलंब हुआ जिसका लाभ चीन ने उठाया।
इस ख़बर के उजागर होते ही भारतीय सेना ने जवाबी कार्यवाही करते हुए उन स्ट्रक्चर को तोड़ने की कार्यवाही शुरू किया जो अंततः पांच जून को हिंसक और खूनी रूप में तब्दील हो गया।विश्व इतिहास में ऐसे विरले उदारहण मिलते हैं जहाँ बटालियन का एक कमांडिंग अधिकारी अग्रिम पंक्ति में अपने सैनिकों के साथ दुश्मनों से हैंड टू हैंड लड़ते हुए शहीद हुए है।
सरकार द्वारा स्थिति को जमीनी स्तर पर साफ करने की हिचकिचाहट राष्ट्र हित में नही है। कुछ जागरूक पत्रकार और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का पूरे मसले पर सकारात्मक रुख स्थिति को समझने में मददगार साबित हुआ है।कांग्रेस दल के साथ साथ सभी विपक्षी दल भी चीन के मसले पर सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं।
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इसके पहले की राष्ट्र की अस्मिता से जुड़े गलवान घाटी पर चीन अपना पूरा कब्जा जमाए, भारत सरकार को चाहिए कि वो चीन से बलपूर्वक पूरे गलवान घाटी को अपने कब्जे में ले या चीन को अप्रैल वाली वास्तविक स्थिति पर लौटने को बाध्य करे।
इस कार्य के लिए भारतीय सेना के साथ राजनयिक,खुफिया विभाग,राजनीतिक दल और मूल रूप से सत्ता में मौजूदा सरकार को जिम्मेवार बनना चाहिए।यदि हम समय रहते यह कार्यवाही नही करते तो भविष्य में कई नई सैन्य और आर्थिक समस्याओं को जन्म देंगे।
चीन में काशगर से काराकोरम दर्रा और इस्लामाबाद होते हुए ग्वादर बदरगाह तक की सड़क सामरिक दृष्टि से बेहद महत्व पूर्ण है।
यदि चीन और पाकिस्तान एक साथ भारत पर हमला करना चाहे तो इस सड़क के माध्यम से दोनों देश आसानी से बिना समय खोए सैन्य हथियार,साजो सामान भारत के उत्तर और पश्चिमी मोर्चे पर पहुंचा सकते हैं।
इसीलिए चीन बिल्कुल नही चाहता कि लद्दाख से जाने वाली सड़क पर भारत का किसी तरह भी दख़ल हो।
वास्तव में इस जगह को लेकर चीन का लम्बा गेम प्लान है. वह पाकिस्तान होते हुए इस सड़क को पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ना चाहता है. यह अरब सागर में ओमान के सामने पड़ता है. यहाँ से चीन के लिए अपना व्यापार बहुत आसान हो जाएगा.
कर्नल प्रमोद शर्मा का भारतीय सेना,नौसेना,डी आर डी ओ और भारतीय ऑर्डनेन्स फैक्ट्री का लंबा अनुभव रहा है।
वे स्वतंत्रता सैनानी के पुत्र हैं जो कृषक संगठन के संयोजक भी हैं।