आदि कैलाश यात्रा – पिथौरागढ़ उत्तराखंड में दिव्य हिमालय दर्शन
- 👉 उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में स्थित आदि कैलाश पर्वत की यात्रा का एक प्रेरणादायक और आध्यात्मिक अनुभव। जानिए गुंजी, कुटी, नावी गांव और शिव-पार्वती कथानक के अलौकिक दर्शन।
मेर एक मित्र केन्द्रीय पुलिस संगठन ( सशस्त्र सीमा बल) में अधिकारी है।मेरे प्रातः स्मरण के कुछ चुनिंदा अनुकरणीय इंसान में , वे भी एक अव्वल व्यक्ति है।गत वर्ष, उन्होंने भारत- तिब्बत और नेपाल सीमा पर अवस्थित कुछ तीर्थ स्थल जैसे नारायण आश्रम, आदि कैलाश और ओम पर्वत आदि का कुछ फोटो, मुझे भेजा था।
आदि कैलाश की ओर मेरी आध्यात्मिक यात्रा की प्रेरणा
मेरा पर्यटक मन मचल उठा! यह दुर्लभ और दुर्गम यात्रा दो प्रयास मे सफल हुआ। देश- विदेश का अनेक रोमांचक यात्रा करने के पश्चात, इन दिनो हम सोचते है वैसे लोग का तलाश किया जाए जो परमात्मा के बारे मे जानता हो या परमात्मा से जुड़ने का मार्ग बताए अलबत्ता स्वर्गारोहण कैसे संभव है?आदि- आदि ! मौलिक साधु- संत का खोज भी, मुझे सुदूर धार्मिक यात्रा के लिए प्रेरित करता है।
सम्पूर्ण उत्तराखंड देव भूमि है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र मे चारो धाम यात्रा है तो कुमाऊं क्षेत्र में आदि कैलाश और ओम पर्वत उल्लेखनीय धाम है। आदि कैलाश पर्वत जाने के लिए उत्तराखंड राज्य के काठगोदाम स्टेशन ( शहर) से भाया टनकपुर, पिथौरागढ, धारचूला होते हुए गुंजी गांव लगभग चार सौ तीस किलोमीटर है ।
गुंजी, नावी और कुटी – सीमा के अंतिम गांव और उनकी सांस्कृतिक विशेषताएं
गुंजी से पैंतालीस किलोमीटर पर तिब्बत सीमा से महज सात किलोमीटर पहले भारतीय सीमा मे आदि कैलाश पर्वत का दिव्य दर्शन होता है। गुंजी गांव के आगे आदि कैलाश पर्वत तक महज दो गांव नावी और कुटी है। कुटी गांव आदि कैलाश पर्वत से पहले अंतिम मानवीय बस्ती है।
गुंजी,नावी और कुटी गांव मे मंगोल प्रजाति के भुटिया लोग रहते है। इनका अपना देव पूजक संस्कृति है। परम्परागत गांव! स्थानीय मान्यता के अनुसार ,कुटी गांव में पांडव स्वर्गारोहण के पहले ठहरे थे। कुटी गांव मे टीला पर, एक प्राचीन महल का भग्नाबशेष आज भी उपलब्ध है।
उल्लेखनीय है कि गुंजी गांव से आदि कैलाश पर्वत तक अद्भुत दर्शनीय दृश्य है।सड़क के दोनो ओर, भोज पत्र और स्थानीय धूप का जंगल- झाड़, उंचा-उंचा नग्न अलौकिक वास्तुकला से संपृक्त पहाड़,कही विकराल तो कही शोभायमान पहाड़, निरव शांति! कथानक के अनुसार, यह भगवान शंकर का क्षेत्र है! सत्यम शिवम सुन्दरम!
आदि कैलाश का भौगोलिक मार्ग और वर्तमान सड़क सुविधा
वर्ष दो हज़ार बीस तक यह दुर्गम पैदल यात्रा था लेकिन वर्तमान सरकार गुंजी से आदि कैलाश पर्वत तक सुदूर मे भी सुन्दर सड़क बनाकर आदि कैलाश पर्वत यात्रा को सुगम बना दिया है। आदि कैलाश का दर्शन मौसम के सामान्य रहने पर ही संभव है वरना बादल आच्छादित रहने पर,कई दिनो तक दर्शनार्थी को निराश होना पड़ता है।
शिव-पार्वती की कथा और पार्वती सरोवर का रहस्य
यहां का कथानक है कि मानसरोवर जाने से पहले भगवान शिव परिवार ,यहां विश्राम किये थे। माता पार्वती के आग्रह पर, उनके स्नान के लिए भगवान शंकर ने यहां ,पार्वती सरोवर का निर्माण किये थे।
यहां शिव- पार्वती मंदिर का एक मंदिर है और मंदिर से ढाई किलोमीटर आगे गौरी कुण्ड है। गौरी कुण्ड से उपर दिव्य आदि कैलाश का बर्फ आच्छादित धवल पर्वत है जिसमे अपने भावना के अनुसार दर्शनार्थी विभिन्न धार्मिक आकृति का दर्शन करते है।
भीम की खेती और प्राकृतिक चमत्कार
इसी पठारी और बंजर भूमि मे, कथानक के अनुसार पांडव भाई (भीम )का खेती है, जहां प्राकृतिक तौर पर हर वर्ष बिना जोते- बोए धान जैसा फसल होता है। वास्तव मे इस स्थल पर अद्भुत उर्जा और अलौकिक आनंद महसूस होता है।
जाकि रही भावना जैसी, प्रभू मूरत देखी तिन तैसी।
“क्या आपने आदि कैलाश यात्रा की है? अपने अनुभव नीचे कमेंट करें!”

अनिल शंकर ठाकुर