बच्चों में Omicron वायरस के ये हैं लक्षण,जानें डॉक्टरों की राय
Omicron Virus: कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से प्रभावित बच्चे तीन साल से कम उम्र के भी हैं. सोमवार से 15 और 17 साल के बच्चों का टीकाकरण शुरू हो गया है.
Omicron Virus: कोरोना के नए वेरिएंट (Omicron Virus) के मामले भारत में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. इसका असर सबसे ज्यादा छह साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जा रहा है. ये बच्चे अभी कोरोना टीकाकरण (corona vaccination) अभियान में शामिल नहीं हो पाए हैं. लेकिन पिछले पांच दिनों में कोविड की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आए हैं. इन बच्चों में सांस लेने में तकलीफ, तेज बुखार और कमजोरी देखने को मिल रहा है. जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है.
वहीं कोरोना प्रभावित बच्चे तीन साल से कम उम्र के भी हैं. बता दें कि सोमवार से 15 और 17 साल के बच्चों का टीकाकरण शुरू हो गया है. डॉक्टरों और विशेषज्ञों की माने तो 12 से 14 साल के बच्चों का टीकाकरण अगली प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके बाद उनसे छोटे बच्चों की होनी चाहिए जो अब तक कोरोना टीकाकरण से बचे हुए हैं इसलिए संक्रमण की चपेट में आने के सबसे ज्यादा संभावना है. डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक अधिकांश बच्चों में हल्की बीमारी हुई है.
एक निजी अस्पताल के ऑन्कोलॉजिस्ट का कहना है कि बच्चे जो पांच साल और आठ महीने के हैं उनके बीच ओमिक्रॉन के लक्षण पाए गए हैं. यह और भी ज्यादा भयानक हो सकते हैं. मैं उन्हें भर्ती के लिए तैयार हूं. काश बच्चों को पहले टीका लगाया जाता. जिन बच्चों को कोविड हो जा रहा है उनके माता-पिता काफी असहाय महसूस कर रहे हैं. ऐसे कई परिवार हैं जिनमें वयस्क प्रभावित है उनमें बच्चे भी शामिल हैं. वहीं अस्पताल के प्रबंधक ने कहा कि मेरे 14 साल के बेटे का शनिवार को कोरोना टेस्ट कराया गया जो पॉजिटिव निकला. जबकि मेरा और मेरे पति का टीकाकरण हो चुका है. लेकिन मेरे बेटे का टीकाकरण नहीं हुआ है उसे लेकर बहुत चिंता हो रही है.
बच्चों में कोरोना के ये हैं लक्षण (Omicron symptoms in children)
बच्चों के विशेषज्ञों की माने तो उनमें कोरोना के लक्षण हल्का बुखार, खांसी और कमजोरी देखा जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे और किशोर ऑमिक्रॉन के सबसे ज्यादा शिकार हो सकते हैं क्योंकि वे अभी तक टीकाकरण से दूर रहे हैं. अप्रैल-मई की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मामले आए थे. जबकि इस बार बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण देखने को मिल रहा है. वहीं कुछ लोगों में ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रहा है. अगर कोरोना टीकाकरण में 12 से 15 साल के बच्चों को शामिल किया जाए तो अच्छा परिणाम आ सकता है.
इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के निदेशक ने क्या कहा
इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के निदेशक अपूर्वा घोष ने कहा कि यह कहना गलत होगा की ओमिक्रॉन के बाद कोरोना हल्का रहेगा. काश हम अब सभी बच्चों का टीकाकरण कर पाते. लेकिन एक साथ इतने टीके बनाना आसान नहीं होगा.
माइक्रोबायोलॉजिस्ट भास्कर नारायण चौधरी ने कहा कि यह नया वेरिएंट परिवार के साथ बच्चों को भी संक्रमित कर रहा है. यह पिछली कोरोना लहरों से काफी अलग है. इस बार बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित हुए हैं. दो महीनों में कोलकाता के कई स्कूलों में कोरोना के नए मामले सामने आए हैं.