हमारे करीबी रिश्तेदार The Great Apes की भावनाएँ मानव को अपने बारे में क्या बता सकती हैं?
हाल में किए गए शोध यही बताते हैैं कि मानव और अन्य प्राइमेट्स के पूर्वज एक ही थे जो लाखों वर्ष पहले विकास क्रम में अनेक प्रजातियों में बंट गए. इसमें कई मानव प्रजातियाँ भी हैं जो अब विलुप्त हो चुकी हैं.
विकास कुमार
जानवरों की भावनाएँ हमें अपने बारे में क्या बता सकती हैं? क्या आप जानते हैं कि चिंपैंजी युद्ध छेड़ते हैं? इतना ही नहीं, बल्कि वे करुणा भी दिखाते हैं, सहकारी ( cooperation ) व्यवहार में संलग्न होते हैं, और निष्पक्षता को महत्व देते हैं। चिम्पांजी लड़ाई के बाद सुलह करते हैं और एक दूसरे को दिलासा देते हैं। चिंपैंजी समुदायों में रीति-रिवाज और परंपराएं भी हैं जो जनजाति से जनजाति में भिन्न होती हैं। वहीँ मानव के नजदीकी रिश्तेदार बोनोबो में मातृसत्ता देखा जाता है. इससे सवाल उठता है कि क्या नैतिकता और संस्कृति जैसी चीजें केवल मानवीय उपलब्धियां हैं? एक नई फिल्म हमें पश्चिम अफ्रीका के जंगलों में से एक में हमें ले जाता है – नाइजीरिया के पहाड़ी जंगलों, जहाँ चिंपैंजी द्वारा पेड़ों के पास या खोखले में छोड़े गए रहस्यमय पत्थरों के ढेर का क्या महत्व है? क्या वे धर्म का एक रूप हैं? जानवरों के साम्राज्य में हमारे सबसे करीबी रिश्तेदार कितने बुद्धिमान हैं? हमारे सामान्य पूर्वज किस प्रकार के समाजों में रहते थे? और ज़ेनोफ़ोबिया ( Xenophobia ) और उससे जुड़े हिंसा की घटना कहाँ से आती है?
बीते दिनों जर्मन टेलीविज़न चैनल की नई डाक्यूमेंट्री ‘ Great apes – How intelligent are our closest relatives? को देखने का मौका मिला जो इन्हीं सवालों के जवाब तलाशती है और हाल के शोध से हमारी करीबी रिश्तेदारों के बारे में रोचक तथ्य बताती है और इसी क्रम में मानव विकास से जुड़े कई सवालों को टटोलती है .
मानव के रिश्तेदारों में Gorillas, Chimpanzee , Orangtun, Bonobos गिने जाते हैं. इन्हें Great Apes भी कहा जाता है . इसमें चिंपांज़ी और बोनोबो से हमारी ज्यादा नजदीकियां है . मानव के genes सबसे ज्यादा इन्ही प्राइमेट्स से मिलते हैं. हाल में किए गए शोध यही बताते हैैं की मानव और अन्य प्राइमेट्स के पूर्वज एक ही थे जो लाखों वर्ष पहले विकास क्रम में अनेक प्रजातियों में बंट गए. इसमें कई मानव प्रजातियाँ भी हैं जो अब विलुप्त हो चुकी हैं . इन सभी प्रजातियों में आपस में मैटिंग भी हुई थी . हज़ारों वर्षो तक मानव ने प्रकृति में अन्य प्रजातियों से खुद को अलग किया. ब्रह्माण्ड में अपने आप को खुद को श्रेष्ट बताया. डार्विन ने इन सारे भ्रम को अपने Theory of Evolution से दूर किया और कहा की मानव प्रकृति में हुए क्रमिक विकास का हिस्सा मात्र है. हाल के सालों में Genetic Sciences भी काफी तेज़ी से आगे बढ़ा है और हर दिन नया रिसर्च मानव और उसके पूर्वजों के रहस्य को बता रहा है.
शोध बता रही, चिंपांज़ी में भी मानव की तरह भावनाएं
डाक्यूमेंट्री Great apes – How intelligent are our closest relatives की शुरुआत एक विडियो के ज़रिये होती है जो सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ था और लाखों लोग इसे देख चुके होते थे . इस विडियो में एक बीमार और मरने की स्तिथि में पहुचे मादा चिंपांज़ी बेड में पड़ी होती है और एक परिचित प्रोफेसर जब उससे मिलने जाते हैं , वो उससे गले लगती है और उसके चेहरे की संवेदनाएं विचलित करती हैं क्यूंकि मुख्यत: इस तरह की भावनाएं हम सिर्फ़ इंसानों में देखते हैं.
फिल्म बताती है की हमारे मानव बनने की प्रक्रिया में भावनाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है और Apes के व्यवहार को समझने पर हम अपने विकास की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझ सकते है. Netherlands के एक zoo में जहाँ कई चिम्पंजियो को कैद रखा गया है , वहां हमारी मुलाकात Franz de Waal से होती है जो Primatology के क्षेत्र में दुनियाभर में बड़े एक्सपर्ट गिने जाते है . उन्होंने Netherlands की इसी zoo में 1975 से ही चिम्पांजी पर रिसर्च किया और पाया की मानव से पहले ही नैतिकता और संस्कृति जानवरों में थी. जैसी की Chimpanzee , Bonobos और मानव के hand gestures में समानताएं है जैसे की भीख मांगने के लिए वे हाथ फैलाते है .इसके गले मिलते हैं या शाबाशी देने के लिए पीठ थपथपाते हैं . अफ़्रीकी देश Tanzania में Chimpanzees पर महिला शोधार्थी द्वारा किया गया रिसर्च बताता है की चिमापंज़ी भी मानव की तरह ख़ुद से ही औज़ार बनाते हैं. अपने शोध में उन्होंने जंगलो में चिम्पांजी के एक समूह द्वारा दूसरे समूह का किया गया नरसंहार देखा.
अपने ही प्रजाति को मारना Chimpanzee , Bonobos और मानव में ही देखा गया है. विश्व युद्ध – 2 के बाद मानव में हिंसा के उद्गम को समझने के लिए Apes पर भी रिसर्च हुआ और Franz de waal ने चिम्पांजी में आक्रामक व्यवहार पर शोध किया और चौंकाने वाला खुलासा किया की झगड़ों के बाद चिम्पांजी में गले लगना और एक दूसरे को चूमना आम बात थी. सुलह करने की यह प्रवत्ति रिश्तों को बनाए रखने और सहभागिता के लिए ज़रूरी है . चिम्पांजी पर किए गए अनेक experiments यही बताते हैं की उनमे दयालु एवं सहानुभूति प्रवृति , सहभागिता , प्रतिफल चुकाना ( Reciprocation ) पायी जाती है . पहले माना जाता था इस तरह की भावनाएं सिर्फ़ इंसानों तक सिमित था , लेकिन इन शोधों ने लोगो को गलत साबित किया. लेकिन कुछ जटिल व्यवहार, जैसे की न्याय का विकास मानव में क्रमागत उन्नति का हिस्सा रही है. Apes के व्यवहार में यह कम ही दीखता है और कई सवाल छोड़ता है .
Bonobos प्रजाति में दिखती है मातृसत्ता
फिल्म हमें जानकारी देती है की Bonobos की आबादी अफ्रीका के Congo के Rainforests तक सिमित हैं . 1929 तक उन्हें अलग प्रजाति नहीं माना जाता था . वे चिम्पांजी की तुलना में छोटे कद के होते हैं. नामी एक्सपर्ट Dr. Volker Sommer बताते हैं की जहाँ एक तरफ चिंपांज़ी की सामाजिक संरचना में पितृसत्ता हावी होती है , वही Bonobo में मातृसत्ता देखी जाती है और ज्यादा शांतिप्रिय समाज देखा जाता हैं . बोनोबो महिलायों में आपस में काफी प्यार देखा जाता भले उनमे खून का रिश्ता ना हो . उन्हें आपस में गठबंधन बनाकर व्यक्तिगत पुरुषों पर हमला भी करते देखा गया है. लेकिन बोनोबो खाद्य संपद्दा से भरे हुए क्षेत्र में वास करते है, जिस कारण संसाधन पर कब्जे के लिए कम संघर्ष होता है , जबकि चिम्पांजी में यह उलट है . एक सवाल उठता की क्या इसका मानव के क्रमागत विकास के प्रभाव पड़ा है ? पितृसत्ता एक प्राकृतिक प्रक्रिया है या नहीं ? हमारे सामान्य पूर्वज किस प्रकार के समाजों में रहते थे? क्या वह ज्यादा शांतिप्रिय समाज था ?
Dr. Volker Sommer आगे बताते है की एक चीज़ जो चिम्पांजी और बोनोबो को मानव से अलग करता है, वह हैं चिम्पांजी और बोनोबो में बच्चो की परवरिश माँ द्वारा होती है और पुरुष का उसमे सहयोग नहीं होता. बोनोबो में युवा लडकी को बचपन में परिवार छोड़ने के लिए बाध्य किया जाता है और वे दूसरे समूह में जाकर जुड़ते हैं . जबकि यह चीज़ मादा बच्चे के लिए नहीं किया जाता . इसके अलावा नौजवान पुरुष अपने बीवी से ज्यादा अपने माँ से करीब होते हैं . जो दर्शाता है की बोनोबो में माँ – बेटे का रिश्ता ज्यादा घनिष्ट होता है माँ बेटी के तुलना में.
क्या Apes भी बुद्धिमान हैं ?
नई टेक्नोलॉजी Apes के कई नए व्यवहार पर शोध कर रही . हिडन कैमरा टेक्नोलॉजी से इन जानवरों के हर गतिविधि पर नज़र रखी जा सकती है जिससे नई जानकारियां वैज्ञानिकों को मिल रही है . ऐसे ही रिसर्च प्रोजेक्ट में हम देखते हैं की पश्चिम अफ्रीका के नाइजीरिया के पहाड़ी जंगलों चिंपैंजी द्वारा पेड़ों के पास या खोखले में रहस्यमय पत्थर के ढेर छोड़े गए हैं। यह उनके औज़ार हैं जिसका इस्तेमाल वे भविष्य में दीमक पकड़ना, अखरोठ निकालना आदि के लिए करते हैं. आम तौर पर माना जाता रहा हैं कि जानवर वर्त्तमान में जीते हैं , लेकिन Apes का यह व्यवहार दिखता है भविष्य के लिए योजना बनाते हैं . चिंपांज़ी खुद को आईने में देखकर पहचान सकते हैं , वे पुरानी बातें याद रखते हैं. यह सभी चीज़ें उनकी बुधिमत्ता के बारे में बताता है .
मानव और Apes की बुद्धिमता में कितना फर्क ?
वैज्ञानिक Franz de Waal कहते हैं कि भाषा की जटिलताएं ही वह चीज़, वह मनुष्य की बुधिमत्ता को Apes से अलग करता है . मानव की भाषा की क्षमताएं जैसे की प्रतीकीकरण ( Symbolization ) , वर्गीकरण ( categorization ) उसकी खासियत है . इससे उन्हें जानकारी रिकॉर्ड करके उसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुचाने में मदद मिलती है . भाषा के इस विकास से मानव को सांस्कृतिक विकास में मदद मिली. दूसरी तरफ apes से अलग मानव की पारिवारिक संरंचना भी अलग रही है जहाँ पुरुष भी बच्चों की पालन पोषण के लिए संसाधन जुटाने या देखभाल में मदद करते. इस कारण मानव में जनसँख्या वृद्धि भी अधिक रही , इसकी तुलना में Bonobos और Chimpanzees में प्रजनन दर कम है क्यूंकि माँ एक समय मे एक ही बच्चे की परवरिश कर सकती है।.
मनुष्य की बुद्धिमता ही उसके विनाश का कारण ?
फ़िल्म के अंत में वैज्ञानिक चिंता व्यक्त करते हैं कि पश्चिमी भौतिकवाद से उत्पन्न हुए मानव लालच ने उसे प्रकृति से अलग किया और प्रारंभिक काल में Apes की तरह शांतिप्रिय समाज में जीते थे, लेकिन आज हम विध्वंश की तरफ आगे बढ़ रहे हैं कुछ रिसर्चर जंगलों में हो रहे उत्खनन पर दुःख व्यक्त करते हैं जिससे इस प्राकृतिक संपदा के विनाश के खिलाफ लड़ने की बात करते नहीं तो बहुत देर हो जायेगी . मानव और apes में भावनाओं और बुद्धिमता के विकास की प्रक्रिया में काफी समानताये हैं , लेकिन मानव की प्रचंड बुधिमत्ता उसे अपने नजदीकी रिश्तेदारों से अलग करती है. हमारी बुद्धि के विकास से हम चाँद तक पहुच चुके. लेकिन मानव के पास अपने कार्य से भविष्य में होने वाले नुकसान का भी अंदाज़ा रहता है. लेकिन तब भी आज प्राकृतिक संपदा को खत्म कर रहे हैं. बौधिक क्षमता की तुलना में हमारी भावनाओं का उस कदर विकास नहीं हुआ जिसके कारण इस भूमंडलीकरण के दौर में धरती के 8 अरब आबादी के साथ संवेदना की भाषा को व्यक्त करने में हम असक्षम है . मानव अपनी बुद्धि का इस्तेमाल धरती को बचाने के लिए कैसे करेगा , यह एक बड़ा सवाल है .
(विकास कुमार स्वतंत्र पत्रकार और रिसर्चर है.)
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