नफरत, असहिष्णुता और पागलपन की एजेंट हैं कंगना रनौत : तुषार गांधी
वरुण गांधी के बाद कंगना के बयान की तुषार गांधी, कांग्रेस पार्टी और आप पार्टी ने की तीखी आलोचना
भारत की आजादी को लेकर बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के बयान ने अब बड़ी कंट्रोवर्सी का रूप ले लिया है. कंगना के इस बयान के बाद देशभर में उनकी आलोचनाओं का सिलसिला शुरू हो गया. वरुण गांधी के बाद कंगना के इस बयान की कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी तीखी आलोचना की. यही नहीं, आम जनता भी सोशल मीडिया पर कंगना के इस बयान को लेकर अपनी अपनी प्रतिक्रिया देती दिखी. खुद महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कंगना रनौत को नफरत की प्रतिमूर्ति बताया.
मीडिया स्वराज डेस्क
भारत की आजादी को लेकर बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के बयान ने अब बड़ी कंट्रोवर्सी का रूप ले लिया है. वरुण गांधी के बाद कंगना के इस बयान की कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी तीखी आलोचना की. यही नहीं, आम जनता भी सोशल मीडिया पर कंगना के इस बयान को लेकर अपनी अपनी प्रतिक्रिया देती दिखी. किसी को कंगना का यह बयान शर्मनाक लगा तो किसी ने रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाने वाली कंगना से ऐसे बयान बयान की उम्मीद नहीं की जा सकती, कहा. वहीं, कुछ ने तो कंगना को पद्म सम्मान वापस लौटाने की सलाह तक दे डाली. इन सबके बीच अब महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी का भी बयान आया है. उन्होंने कंगना रनौत को नफरत की प्रतिमूर्ति कह डाला. आइए, जानते हैं कंगना के इस बयान की किस तरह की जा रही है आलोचनाएं…
एनसीपी और आम आदमी पार्टी ने किया विरोध प्रदर्शन
एक्ट्रेस कंगना रनौत का बयान उनके लिए बड़ी मुसीबत बन गया है. कई पार्टियों के नेता खुलकर कंगना का विरोध रहे हैं. अब सड़कों पर भी कंगना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. पुणे में एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने कंगना के खिलाफ प्रदर्शन किया तो वहीं गाजियाबाद में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता कंगना के बयान के विरोध में सड़कों में उतरे.
गाजियाबाद के कवि नगर थाने में कंगना की फोटो पर स्याही पोती गई और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तहरीर दी गई. आपको बता दें कि हाल ही में कंगना ने एक इंटरव्यू में कहा था कि देश को आजादी 2014 में मिली. 1947 में तो भीख मिली थी. इसके बाद से ही देश में हर तरफ से कंगना को विरोध का सामना करना पड रहा है.
महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने कहा
महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने भी कंगना रनौत के बयान की तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि पद्मश्री कंगना रनौत नफरत, असहिष्णुता और पागलपन की एजेंट हैं. यह आश्चर्य की बात नहीं है कि उन्हें लगता है कि भारत को 2014 में स्वतंत्रता मिली थी. भारत में नफरत, असहिष्णुता, दिखावटी देशभक्ति और उत्पीड़न 2014 में आजाद हुए थे, जब एक बहुत ही जहरीली और शातिर विचारधारा ने भारत में प्रभुत्व हासिल किया था, जिसे प्रधानमंत्री ने मूर्त रूप दिया था.
तो स्वाभाविक है कि सुश्री रनौत जैसी शातिर और क्षुद्र व्यक्ति को यह महसूस होगा कि भारत को 2014 में आज़ादी मिली. नफरत फैलाने वालों को 2014 में आज़ादी से नफरत फैलाने की आधिकारिक मंजूरी जो मिल गई थी. ऐसा तब होता है जब एक जहरीली विचारधारा को आधिकारिक मंजूरी दी जाती है.
इसमें कतई भी आश्चर्य की बात नहीं है कि इस तरह के नफरत के समर्थकों को यह महसूस न हो कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान महत्वपूर्ण है. इसमें बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है कि इस तरह के बयान पीएम के एक समारोह में दिए गए. आखिर आज पीएमओ नफरत का झरना बन गया है, जो हमारे देश में बहुतायत से बहता है.’
भाजपा के वरिष्ठ नेता वरुण गांधी के बाद कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने भी कंगना के इस बयान को लेकर उन पर निशाना साधा. गुरुवार को उन्होंने कहा कि यह ‘देशद्रोह’ है और इसके लिए कंगना से पद्मश्री सम्मान वापस लिया जाना चाहिए.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘कंगना रनौत का बयान महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और सरदार पटेल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का ही नहीं, बल्कि सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के बलिदान का भी अपमान है.’’
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और देश को बताना चाहिए कि क्या वह कंगना रनौत की राय का समर्थन करते हैं. अगर नहीं करते हैं तो सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.
आनंद शर्मा ने जोर देकर कहा, ‘‘माननीय राष्ट्रपति को कंगना से तत्काल पद्म सम्मान वापस लेना चाहिए. ऐसे सम्मान देने से पहले मनोरोग संबंधी आकलन होना चाहिए ताकि ऐसे लोगों को ये सम्मान न मिले, जो देश और उसके नायकों का अपमान करते हैं.’’
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ का बयान
वहीं, कंगना की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, ‘‘मैं मांग करता हूं कि कंगना रनौत को अपने बयान के लिए सभी देशवासियों से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि इससे हमारे स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान हुआ है.’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘भारत सरकार को ऐसी महिला से पद्मश्री सम्मान वापस लेना चाहिए जिसने महात्मा गांधी, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, पंडित नेहरू, सरदार भगत सिंह का अपमान किया है. ऐसे लोगों को पद्मश्री देने का मतलब है कि सरकार इस तरह के लोगों को बढ़ावा दे रही है.’’ गौरव वल्लभ ने यह आरोप लगाया कि कंगना का बयान ‘देशद्रोह’ है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का बयान
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी कंगना के इस बयान को लेकर उन पर निशाना साधा और कहा कि उनका यह बयान उन लाखों लोगों का अपमान है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया. उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘कंगना ने जो कहा है, उसका हर भारतीय नागरिक विरोध करेगा.’’
आम आदमी पार्टी की नेता प्रीति शर्मा मेनन ने कहा
इस बीच आम आदमी पार्टी ने मुंबई पुलिस को आवेदन दिया है और कंगना के खिलाफ राजद्रोह और भड़काऊ बयान देने का मामला दर्ज करने की मांग की है.
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य प्रीति शर्मा मेनन ने कहा कि आईपीसी की धाराओं 504, 505 और 124ए के तहत कार्रवाई के लिए मांग की गई है. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि शांति भंग करने के मकसद से जानबूझकर अपमान किया गया है. मेनन ने मुंबई के पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को टैग करते हुए ये ट्वीट भी किया है कि उम्मीद है कि कुछ कार्रवाई होगी.
क्या था कंगना का बयान
बता दें कि टाइम्स नाउ के एक कार्यक्रम के दौरान कंगना ने कहा था कि भारत को असली आजादी 2014 में मिली, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. इससे पहले 1947 में जो आजादी मिली थी, वह भीख थी. कंगना ने अपने इंटरव्यू के दौरान कहा था कि 1857 में आजादी की पहली लड़ाई हुई, जिसे दबा दिया गया. इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत अपना अत्याचार और क्रूरता बढ़ाती गई. फिर एक सदी के बाद गांधी के भीख के कटोरे में हमें आजादी दे दी गई… जा और रो अब.
इसे भी पढ़ें:
वरुण गांधी ने दी थी प्रतिक्रिया
उनके इस बयान के बाद सबसे पहले बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने इसकी तीखी आलोचना करते हुए लिखा था कि इसे मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह?
वरुण गांधी ने कंगना का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान और अब शहीद मंगल पांडे से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार. इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह?’