बजट में नहीं सरसों का तेल, कैसे रौशन होगी दिवाली!

आसमान छूती सरसों तेल की कीमत, कैसे रौशन होगी दिवाली

देश के किसी भी राज्य में बजट में नहीं है सरसों का तेल. खबरों के मुताबिक, सरसों तेल की कीमतें प्रति लीटर 200 रुपये के पार है. तकरीबन 235 से 265 रुपये में बिक रहे सरसों तेल का उपयोग न केवल खाने के लिए बल्कि दिवाली पर दीयों से घर आंगन जगमगाने के लिए भी प्रयोग​ किया जाता है. लेकिन आम जनता परेशान है कि इतने महंगे सरसों के तेल का प्रयोग वह खाने में करे या फिर दीये जलाने में. आइए, जानते हैं कि महंगे सरसों तेल को लेकर क्या कहती है आम जनता…

सुषमाश्री

देश में हर जगह दिवाली की धूम है. कोरोना और लॉकडाउन के बाद धनतेरस पर सारे बाजार ठसमठस दिखे. लोगों ने खूब जमकर खरीदारी की. हालांकि इसका यह अर्थ नहीं कि महंगाई कम हुई है. बाजार में जरूरत का सामान आज भी आम जनता के बजट से बाहर ही है, लेकिन इस साल भर के इस त्यौहार में कहीं कोई कमी न रह जाए, इसलिए लोग धनतेरस पर जरूरी खरीदारी करने के लिए बाजार पहुंचे.

बजट में नहीं सरसों का तेल: दिवाली यानि दीयों से घर आंगन रौशन करने का त्यौहार. रौशनी के लिए ​दीयों में घी और तेल डालने का रिवाज है. लेकिन तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. बेशक पिछले कुछ दिनों में खाद्य तेलों की कीमतें नहीं बढ़ी हैं, लेकिन जून से लेकर अक्टूबर तक, जिस तरह से महंगाई का ग्राफ ऊपर गया है, उसने पहले ही घरेलू बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है.

बजट में नहीं सरसों का तेल: तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. बेशक पिछले कुछ दिनों में खाद्य तेलों की कीमतें नहीं बढ़ी हैं, लेकिन जून से लेकर अक्टूबर तक, जिस तरह से महंगाई का ग्राफ ऊपर गया है, उसने पहले ही घरेलू बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है.

यही नहीं, एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम, पेट्रोल डीजल के दाम समेत सब्जियों और दालों की कीमतों में भी पिछले कुछ महीनों में लगातार बढ़ोतरी हुई है. इन सबकी कीमतें तो अब भी आसमान छू रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि दिवाली को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों की कीमतों में कुछ कमी आ सकती है, जिसे दिवाली उपहार की तरह माना जा रहा है.

बजट में नहीं सरसों का तेल : दिवाली को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों की कीमतों में कुछ कमी आ सकती है, जिसे दिवाली उपहार की तरह माना जा रहा है.

बजट पर बहुत ज्यादा फर्क तो नहीं आ जाएगा

हालांकि, झारखंड के बोकारो की एक गृहिणी सपना इसे दिवाली गिफ्ट नहीं मानतीं. उनका कहना है कि बजट में नहीं सरसों का तेल. पहले से ही घर का बजट इतना हिला हुआ है कि हम त्यौहार पर भी कुछ खास पुआ पकवान बनाने के बारे में सोच नहीं पाते. जून के बाद से लगातार खाने पीने की चीजों में इजाफा हो रहा है. ऐसे में हमारा हर रोज का खर्च भी मुश्किल से चल पा रहा है. अब अगर खाद्य तेलों में 4-5 रुपये कमी भी आ जाए तो इससे हमारे बजट पर बहुत ज्यादा फर्क तो नहीं आ जाएगा.

बजट में नहीं सरसों का तेल : दिवाली पर सस्ता तेल कहां मिल पा रहा है. और बात सिर्फ खाद्य तेल की तो है नहीं, घरों में दीये जलाने के लिए जितने तेल की खपत होती है, उसका अनुमान अगर लगाया जाए तो क्या इस कीमत को हम सस्ता कह पाएंगे?

बात सिर्फ खाद्य तेल की नहीं

धनतेरस पर बाजार से खरीदारी कर रहे आदेश की मानें तो खाद्य तेलों में वैसे भी अब भी कोई कमी नहीं आई है, हालांकि दुकानदारों का कहना है कि अगला प्रिंट रेट कुछ कम जरूर आ रहा है. ऐसे में हमें दिवाली पर सस्ता तेल कहां मिल पा रहा है. बजट में नहीं सरसों का तेल. और बात सिर्फ खाद्य तेल की तो है नहीं, घरों में दीये जलाने के लिए जितने तेल की खपत होती है, उसका अनुमान अगर लगाया जाए तो क्या इस कीमत को हम सस्ता कह पाएंगे? एक ही बार में तकरीबन दोगुनी हो चुकी तेल की कीमत में अब जाकर अगर चार से पांच रुपये कम कर भी दिये जाएं तो इससे हमारा घरेलू बजट बहुत बेहतर नहीं हो सकता.

बजट में नहीं सरसों का तेल: खाद्य तेलों समेत पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सब्जियां और दालें तो पहले से ही महंगी थीं, अब दिवाली पर घर आंगन रौशन करने के लिए दीयों में तेल कौन सा डालें, सोचकर ही हम परेशान हैं.

अब तक नहीं मिल पाया इसका लाभ

नई दिल्ली स्थित एम्स में कार्यरत अनुपम कहते हैं कि बजट में नहीं सरसों का तेल. पिछले कुछ दिनों से सुनने को मिल रहा था कि उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के सदस्यों ने त्यौहारी सीजन में हम उपभोक्ताओं को कुछ राहत पहुंचाने के उद्देश्य से खाद्य तेलों की कीमतों में कुछ कमी करने पर विचार किया है, हालांकि हमें अब तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है. खाद्य तेलों समेत पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सब्जियां और दालें तो पहले से ही महंगी थीं, अब दिवाली पर घर आंगन रौशन करने के लिए दीयों में तेल कौन सा डालें, सोचकर ही हम परेशान हैं. आप ही बताएं, ऐसे में हमारी दिवाली अच्छी कैसे हो सकती है भला!

कांग्रेस पार्टी का ट्वीट

कांग्रेस पार्टी की ओर से महंगाई को देखते हुए ट्वीट किया गया.

राहुल गांधी का ट्वीट

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिवाली पर महंगाई को लेकर ट्वीट किया.

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इस दिवाली पटाखों से नहीं, दीयों से करें घर-आंगन रौशन

बजट में नहीं सरसों का तेल : हालांकि, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मुताबिक, आम जनता को दिवाली पर कुछ राहत पहुंचाने के उद्देश्य से उपभोक्ता मंत्रालय ने कुछ आंकड़े पेश किए हैं, जो दिखाता है कि पिछले कुछ दिनों में तेल की कीमतों में कुछ कमी की गई है.

पाम तेल की कीमतों में गिरावट

जहां तक पाम तेल की बात है तो 1 अक्टूबर को इसकी कीमत 169.6 रुपये प्रति किलोग्राम थी, लेकिन उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 31 अक्टूबर को इसकी औसत खुदरा कीमत 21.59 फीसदी घटकर 132.98 रुपये किलो हो गई है.

सरसों और सूरजमुखी तेल का भाव

सोया तेल का औसत खुदरा मूल्य इस दौरान 155.65 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 153 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है. हालांकि, मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो मूंगफली तेल, सरसों तेल और सूरजमुखी तेल की औसत खुदरा कीमत 31 अक्टूबर को क्रमश: 181.97 रुपये प्रति किलोग्राम, 184.99 रुपये प्रति किलोग्राम और 168 रुपये प्रति किलोग्राम थी.

5000 रुपये प्रति टन सस्ता होगा तेल

उपभोक्ताओं को आगे और राहत देने के लिए, SEA ने कहा, ‘‘एसईए के सदस्यों ने दिवाली उत्सव को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेलों की कीमतों में 3,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति टन की कमी करने का फैसला किया है.’’

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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा…

रिफाइंड 11 फीसदी हुआ सस्ता

एसईए ने कहा कि शुल्क में कटौती के बाद 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच पामोलीन, रिफाइंड सोया और रिफाइंड सूरजमुखी की थोक कीमतों में 7-11 फीसदी की कमी आई है. SEA ने कहा, ‘‘हालांकि इन सभी खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, सरकार द्वारा शुल्क में कमी ने उपभोक्ताओं पर होने वाले प्रभाव को कम किया है.’’

अन्य देशों में तेल का हाल

इंडोनेशिया, ब्राजील और अन्य देशों में जैव ईंधन के लिए स्थानांतरण के बाद खाद्य तेलों की कम उपलब्धता के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में हुई बढ़ोतरी के अनुरूप घरेलू खाद्य तेल कीमतों में भी तेजी आई है. भारत अपनी 60 फीसदी से अधिक खाद्य तेलों की मांग को आयात से पूरा करता है. बता दें कि वैश्विक कीमतों में किसी भी वृद्धि का स्थानीय कीमतों पर सीधा प्रभाव पड़ता है.

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