मनीष गुप्ता हत्या कांड : हाथरस से गोरखपुर तक क्या बदला?

राम दत्त त्रिपाठी

राम दत्त त्रिपाठी
राम दत्त त्रिपाठी

मनीष गुप्ता हत्या कांड : यूपी के आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने हाथरस से गोरखपुर और फिर कानपुर तक साल भर में अपने काम करने के तरीक़े में क्या बदला? हाथरस में एक दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप को नकारने और युवती की मौत के बाद ज़िला प्रशासन ने उसका शव परिवार वालों को न देकर डीज़ल डालकर खेत में जला दिया था.

कानपुर के व्यापारी की गोरखपुर के होटल में पुलिस के हाथों मनीष गुप्ता हत्या कांड के मामले में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, क़ानून व्यवस्था प्रशांत कुमार का बयान आपने देखा? वह कह रहे हैं कि पीड़ित होटल में जाँच पड़ताल के दौरान भागने की कोशिश में बेड से नीचे गिर कर घायल हो गया. उसे इलाज के लिए अस्पताल ले ज़ाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी.

एक आला पुलिस अफ़सर घटना के तीन दिन बाद इतना झूठ तब बोल रहा है जबकि होटल का सीसी टीवी फ़ुटेज इस बात की गवाही दे रहा है कि कमरे में कोई भाग नहीं रहा. मृत युवक के साथ होटल में ठहरे लोग, उसका रिश्तेदार और पत्नी चिल्ला चिल्लाकर कह रहे हैं अपने युवा व्यापारी की मौत पुलिस की निर्मम पिटाई, संभवत: राइफ़ल की बात से हुई.

प्रशांत कुमार इसके बाद वह युवक की पत्नी द्वारा मनीष गुप्ता हत्या कांड में मुक़दमा लिखाने और मुआवज़े की बात भी कहते हैं. बताते हैं कि युवक का अंतिम संकार हो गया. और फिर यह भी कोई बख्शा नहीं जाएगा.

आपने वह वीडियो तो देखा ही होगा जिसमें मनीष गुप्ता हत्या कांड में गोरखपुर के ज़िला मजिस्ट्रेट और पुलिस कप्तान न्याय की गुहार लगा रही विधवा को मुक़दमा लिखाने के लिए हतोत्साहित करते हैं. उनका कहना है कि इससे बड़ी परेशानी होगी और बहुत समय लग जाएगा. यानी कुछ रुपए लेकर वह मामला छोड़ दे. वैसे अधिकारियों का यह कहना सही है कि मुक़दमे में सालों लग जाएँगे.

हाथरस में अभी तक मुक़दमा मुक़ाम तक नहीं पहुँचा. पीड़ित के परिवार वालों को नौकरी और मकान देने का वायदा सरकार ने पूरा नहीं किया. परिवार अर्ध सैनिक बलों की सुरक्षा में एक तरह से गृह क़ैद है. दोनों भाइयों की नौकरी छूट गयी है. घर वाले जानवर चराने या खेत भी नहीं जा सकते.

कानपुर में मनीष गुप्ता हत्या कांड पीड़ित परिवार माँग करता है कि मुख्यमंत्री जब तक उनके घर नहीं आएँगे, शव का अंतिम संकार नहीं होगा. अफ़सर किसी तरह समझाते हैं. संयोग से वृहस्पतिवार 30 सितम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कानपुर दौरा पहले से लगा है.

कृपया यह खबर भी पढ़ें : कानपुर के व्यवसायी की गोरखपुर में पुलिस के हाथों हत्या : विपक्ष हमलावर, मुख्यमंत्री योगी के लिए परेशानी

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर जाते हैं और आर्थिक सहायता भी देते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री पीड़ित परिवार के घर जाना ज़रूरी नहीं समझते. पुलिस पीड़ित परिवार को घर से लगभग जबरन मुख्यमंत्री से मिलाने ले जाती है.

मुख्यमंत्री से मिलने के बाद विधवा मीनाक्षी गुप्ता कहती है कि मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ ने उसे मुक़दमा लिखने, जाँच कानपुर ट्रांसफ़र करने और एक पैनल से पोस्ट मार्टम कराने का आश्वासन दिया है. खबरें हैं कि पीड़ित महिला को सरकारी नौकरी का आश्वासन भी दिया गया है.एक पीड़ित महिला इतनी मज़बूत सरकार से असंतुष्ट हो भी कैसे सकती है?

गोरखपुर घटना के आरोपी बख्शे नहीं जाएंगे- मुख्यमंत्री 

कानपुर की जनसभा अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर की दुखद घटना (मनीष गुप्ता हत्या कांड )के आरोपी बख्शे नहीं जाएंगे। बोले कि परिवार की पीड़ा के साथ हम जीवन पर्यंत जुड़े रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे कार्यक्रम से पहले घड़ियाली आंसू बहाने वाले से सावधान रहने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री का कहना है कि मैंने पहले दिन ही मनीष गुप्ता हत्याकांड में मुक़दमा लिखाने और पुलिस वालों के निलम्बन का आदेश दे दिया था. तो फिर पुलिस के आला अधिकारियों ने पीड़ित के भागने वाली कहानी क्यों गढ़ी? खबरें हैं कि पुलिस वाले वास्तव में होटल में तलाशी के बहाने व्यापारी का रुपया पैसा लूटने गए थे. फिर सवाल यह भी उठेगा कि अगर नीचे वाले गड़बड़ करते हैं तो ऊपर वाले कार्यवाही के बजाय बचाने की कोशिश क्यों करते हैं? मुझे यक़ीन है कि आपको यह राज मालूम है.

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