किसान आंदोलन के संदर्भ में कैफ़ी आज़मी की विरासत पर परिसंवाद

 

लखनऊ 13 जनवरी/ ” आज पेट की लड़ाई कॉरपोरेट से है और मौजूदा केंद्र और प्रदेश भाजपा सरकार नए कृषि कानूनों के बहाने गरीबों का निवाला छीनने में लगी है।”यह बात  आज इप्टा कार्यालय लखनऊ में आयोजित परिसंवाद में आल इंडिया किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अनजान ने व्यक्त किये।

परिसंवाद का विषय था”आज का परिप्रेक्ष्य और साहित्य में किसान चेतना, संदर्भ कैफ़ी आज़मी की विरासत”. उन्होंने तीनों  कृषि कानूनों  को किसान एवम जनविरोधी बताया।कैफ़ी आज़मी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर इस परिसंवाद का आयोजन इप्टा, प्रलेस, जलेस, जसम तथा साझी दुनिया द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था जिसमे किसान, मज़दूर, छात्र, नौजवान एवं महिला संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सेदारी की।

परिसंवाद में दिल्ली में सिंघु और टीकरी बाजार सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन में देश भर के लेखकों और कलाकारों के साथ हिस्सेदारी के बाद लौटे इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश ने बताया कि किसान वहां आंदोलन की एक नई इबारत लिख रहे हैं, किसानों के एक हाथ मे नानक और सूफी संतों की करुणा का ग्रंथ है तो दूसरे हाथ मे भगत सिंह की क्रांति की तलवार है जिसकी धार विचारों की सान पर तेज होती है।

कैफ़ी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनका पूरा जीवन और कृतित्व किसानों और मजदूरों को समर्पित रहा। सुप्रसिद्ध आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि यह वर्ष किसान समस्या पर प्रेमचंद के पहले उपन्यास “प्रेमाश्रम”का शताब्दी वर्ष है।

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साहित्य में किसान चेतना कबीर, प्रेमचंद, राहुल सांकृत्यायन, नागार्जुन, कैफ़ी आज़मी से होती हुई आज के संदर्भों से जुड़ती हुई आज जेल में बंद वरवर राव, आनंद तेलतुबंड़े, गौतम नवलखा तक अपना विस्तार करती है। 

प्रो सूरज बहादुर थापा ने साहित्य में किसान चेतना के संदर्भ में कबीर और तुलसी की कई कविताओं का उदाहरण देते हुए कैफ़ी को किसान चेतना के शायर के रूप में याद किया।

कवि राजेन्द्र वर्मा ने कहा कि आज सरकार निजीकरण की प्रक्रिया में खेती को भी निजी कंपनियों के हवाले करने की साजिश कर रही है उससे लड़ने के लिए व्यापक एकता की जरूरत है।

परिसंवाद की अध्यक्षता  प्रो रूपरेखा वर्मा ने की तथा संचालन कवि और आलोचक कौशल किशोर ने किया।

परिसंवाद की शुरुआत में जाने माने युवा गायक कुलदीप सिंह ने कैफ़ी की नज़्म”आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है”की प्रस्तुति की तथा शावेज़ ने गौहर रज़ा की किसान आंदोलन पर लिखी नज़्म पेश की।

सभा के अंत मे तीनों  कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गईं।

सभा मे उत्तर प्रदेश किसान समन्वय समिति की ओर से शिवाजी तथा रामकृष्ण,एटक से सदरुद्दीन राना, डॉ वी के सिंह, चंद्र शेखर, यू पी बैंक इम्प्लॉइज यूनियन से  अनिल श्रीवास्तव, सुभाष बाजपेयी,एस के संगतानी, जनवादी महिला समिति से मधु गर्ग, महिला फेडरेशन से बबिता, छात्र नेत्री शिवानी, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कपूर, वरिष्ठ रंगकर्मी सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, वेदा राकेश, ज्ञान चंद्र शुक्ला, सुशील बनर्जी, शहज़ाद रिज़वी, एडवोकेट अभिषेक दीक्षित आदि उपस्थित रहे. 

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