5 G पर्यावरण के लिए गंभीर ख़तरा
डा चन्द्र विजय चतुर्वेदी , वैज्ञानिक . प्रयागराज
संचार क्रांति के इस युग में हमारे चरण अब 4 G से 5 G कीओर अग्रसर होरहे हैं \संचार जगत को 4 G की तुलना में 5 G प्रणाली में लगभग एक हजार गुना अधिक गति से अधिक से अधिक डाटा स्थान्तरित करने की क्षमता प्राप्त होगी .
डाटा की गति और डाटा की मात्रा में वृध्दि से वीडियो जगत –व्यापार जगत को अत्यधिक लाभ होगा .कृषि चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाएंगे.
यक्ष प्रश्न यह है की 5 G प्रणाली के उपभोग से पर्यावरण तथा मानव जीवन कितना प्रभावित होगा .विज्ञानजगत इस संवेदनशील प्रश्न के प्रति बहुत सचेत है.
कहना न होगा की अभी वैज्ञानिक यही निश्चित नहीं कर पाए की 4 G जो विगत दस वर्षों में अपना विस्तृत समाज स्थापित कर चुका है –उससे किंकिन पर्यावरणीय कारक कितने प्रभावित हुये और कितना विनाश हुआ है .
विज्ञानजगत के अधिकांश वैज्ञानिकों का मत है की जब तक 4 G के सम्बन्ध में पर्याप्त समीक्षा नहीं हो जाती तब तक 5 G की और तृष्णा में कदम बढ़ाना घातक भी हो सकता है .
उल्लेखनीय है की 5 G की फ्रीक्वंशी रेंज 2 4 .2 5 गीगा हर्ट्ज़ से लेकर 3 00 गीगा हर्ट्ज़ तक होगी .
इस सम्बन्ध में अक्टूबर 2019 में साइंटिफिक अमेरिका में प्रकाशित –जोयल एम मस्कोबिटज़ का लेख बहुत ही महत्वपूर्णहै जिसमे उन्होंने कहा है की हमारे पास कोई कारण नहीं है कि हम यह विश्वास करें की 5 G सुरक्षित है .
इसी लेख में कहा गया की माइक्रोवेब विकिरणों से कैंसर का खतरा बढ़ता है –जैविक कोशिकायों पर दबाव पड़ता है –हानिकारक फ्री रेडिकल बढ़ाते हैं –जेनेटिक डैमेज की संभावना बढाती है –प्रजननप्रणाली में सनरचनात्मक और क्रियात्मक परिवर्तन होते हैं .सीखने की प्रवृत्ति और स्मृति का क्षरण होता है –मस्तिष्क में न्यूरोलॉजिकल अव्यवस्था होतीहै तथा मानवीय प्रवृत्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है .
सितम्बर 2017 में स्वीडन के आरिबरो विश्वविद्यालय के आंकोलॉजी विभाग के प्रोफेशर एल हार्डल ने 180 वैज्ञानिकों कीओर से एक अपील जारी की जिसके द्वारा 5 G के खतरों की और विश्व का ध्यान आकृष्ट किया की 5 G का अवतरण इसके विकिरणों के सम्यक प्रभाव काअध्ययन किये बिना उचित नहीं है .
इसके पूर्वहि मई 2015 में यूनाइटेड नेशंस को विश्व के 215 वैज्ञानिकों द्वारा एक अपील कीगयी की मानवता तथा पर्यावरण के कल्याण के लिए आवश्यक है की वायरलेस स्रोतों से उत्पन्न होने वाले विद्युत् चुंबकीय क्षेत्र के विकिरणों को न्यून किया जाए .
5 G के सम्बन्ध में कुछ तथ्य तो स्पष्ट ही हैं की नार्मल 3 G और 4 G की अपेक्षा 5 G के द्वारा तीन गुना अधिक विधुत की खपत होगी जिसके लिए अधिक विद्युत् ऊर्जा का उत्पादन करना होगा \ऊर्जा का उत्पादन किन विधियों से हो पायेगा वे निश्चित रूप से पर्यावरण को प्रभावित करेंगे.
5 G के सम्बन्ध में बहुत से देशों में अनेक प्रकार के भ्रामक प्रचार भी हो रहे हैं –तात्कालिक तो यु के में 5 G के साथ भी जोड़ा गया –वहां यह अफवाह फैली की 5 G के कारण कोरोना वाइरस फ़ैल रहा है जिसके चलते बहुत से टावर तोड़ दिए गए और संचार व्यवस्था भी प्रभावित हुयी .
इस सम्बन्ध में नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट 2018 में अरनोविलेन्स के लेख में कहा गया है की -मानवीय प्रजाति और अन्य स्तनधारी प्राणियों पर 5 G विकिरण का कोई विनाशक प्रभाव नहीं पडेगा पर यह कीट पतंगों के विनाश का कारन बन सकता है जो पर्यावरण के सम्बन्ध में एक बड़ी चेतावनी है .
कृपया इसे भी पढ़ें : https://www.bbc.com/news/newsbeat-52395771
A good article highlighting the pros and cons of the advent of the 5 G era.