श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मौतें चिंताजनक

अनुपम तिवारी

अनुपम तिवारी, लखनऊ

 श्रमिक  स्पेशल ट्रेनों में   लगातार  यात्रियों की मौतों ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है. झांसी रेलवे स्टेशन के यार्ड में एक ट्रेन की सफाई के दौरान मिली एक प्रवासी मजदूर की लाश ने पूरे महकमे में हड़कंप मचा दिया.

मृतक के पास से बरामद उसके आधार कार्ड, और यात्रा टिकट से पता चला कि बस्ती निवासी, मोहन लाल शर्मा (37) नाम का यह शख्स झांसी से गोरखपुर के लिए उसी ट्रेन में गत 23 मई को सवार हुआ था. ट्रेन 24 तारीख शाम 4 बजे गोरखपुर पहुँची, वहां यात्रियों को उतार कर वह 27 मई को वापस झांसी आ गयी.

यहीं यार्ड में सफाई के दौरान मोहन लाल की लाश मिली. झांसी जीआरपी की इंस्पेक्टर अंजना वर्मा के अनुसार कई दोनों तक पड़े रहने के कारण लाश सड़ने लग गयी थी. झांसी के जिलाधिकारी ने बताया कि लाश की दशा बहुत खराब होने की वजह से पोस्टमॉर्टम में उसकी मृत्यु का सही कारण पता नही चल पाया है।

 28 मई को कानपुर और वाराणसी में 5 प्रवासी मजदूर यात्रियों की मौत होने की पुष्टि हुई है. राम अवध चौहान (45) और एक अन्य 35 वर्षीय यात्री जिसकी अभी पहचान नही हो पाई है, के शव महाराष्ट्र से गोरखपुर आने वाली श्रमिक एक्सप्रेस से कानपुर स्टेशन में उतारे गए. साथ ही एक अन्य व्यक्ति का शव कानपुर में ही एक अन्य श्रमिक ट्रेन से बरामद हुआ. इसी प्रकार वाराणसी के निकट मंडुआडीह में मुम्बई के लोकमान्य तिलक टर्मिनल से आ रही एक ट्रेन में भी 2 शव बरामद हुए. प्रयागराज जीआरपी के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इनकी पहचान कर ली गयी है और दशरथ प्रजापति(30) व राम रतन(63) नाम के इन शवों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है. 

यात्रियों पर गर्मी का कहर

मृतक राम अवध के परिजनों ने मीडिया को बताया कि इन ट्रेनों में सफर बहुत भयावह है, उत्तर और मध्य भारत मे इन दिनों पड़ रही प्रचंड गर्मी ने यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, उस पर यह श्रमिक ट्रेनें, सिग्नल न होने या ट्रैक पर भारी ट्रैफिक होने के कारण यहां वहां रोक दी जाती हैं. उन्होंने दावा किया कि राम अवध की मृत्यु गर्मी के कारण ही हुई, उनकी हालत बिगड़ती देख सहयात्रियों ने ट्रेन रोकने के लिए चेन खींचने का प्रयास किया था मगर वह व्यर्थ रहा। इसके अलावा साथ चल रहे मृतक के पुत्र ने सहायता के लिए रेलवे हेल्पलाइन को फोन लगाया जो कि, उनके कथनानुसार उठा नहीं।

भोजन-पानी की कमी

यात्रियों ने मीडिया कर्मियों को बताया कि ट्रेन में चढ़ते समय उनको कहा गया था कि भोजन पानी की सुविधा रेलवे उपलब्ध कराएगी, इस कारण ज्यादातर यात्री अपने साथ खाने पीने के समान ले कर नहीं आये. असल मे रेलवे की ओर से जो दिया गया वह नितांत अपर्याप्त था. इस भयंकर गर्मी में पानी और भोजन की कमी त्रासदी से कम नही है. उसने दावा किया कि पिछली बार ठीकठाक भोजन मध्य प्रदेश के ‘गुना’ में खाया था, और उसको भी गए 24 घंटे से ज्यादा हो गए हैं.

वाराणसी में 23 मई को एक श्रमिक ट्रेन से यात्रा कर रहे व्यक्ति का शव उतारा गया. मृतक के साथ चल रहे उसके भतीजे ने मीडिया को यह बता कर हैरान कर दिया कि उनको पिछले 60 घंटों से कुछ भी खाने पीने को नही मिला है और उसके चाचा इसी भूख और प्यास को बर्दाश्त नही कर पाए. हालांकि वाराणसी के एडिशनल डीआरएम रवि चतुर्वेदी इस आरोप से इनकार करते हैं और बताते हैं कि ट्रेनों में भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है.

डराती तस्वीरें 

मुज़फ़्फ़रपुर प्लेटफ़ार्म पर मृत माँ और अबोध बालक

25 मई को बिहार के मुज़्ज़फ्फरपुर से आई एक तस्वीर ने पूरे देश को झकझोर दिया था. अरवीना खातून नाम की 35 वर्षीय महिला स्टेशन पर मृत पड़ी थी, और उसका अबोध बच्चा, इस बात से अनजान की वह अब उठेगी नही, उसको उठाने की चेष्टा में उसके शव पर पड़े चादर को हटा रहा था. सोशल मीडिया में यह तस्वीर वायरल होते ही रेलवे से उसकी सफाई मांगी जाने लगी, जिसका स्पष्ट उत्तर देने में वह असमर्थ दिखता है. वह महिला अहमदाबाद से ऐसी ही एक श्रमिक एक्सप्रेस पर सवार हो कर कटिहार जाना चाहती थी, पर दुर्भाग्य से वह नही, उसका मृत शरीर ही पहुँचा.

भाजपा नेता रेलवे के बचाव में 

बंगाल के भाजपा अध्यक्ष श्री दिलीप घोष ने एक गुरुवार को  यह बयान दे कर सियासी तूफान ला दिया कि ‘यह बहुत छोटी और अलग थलग घटनाएं हैं’ और ‘भारतीय रेलवे को इस मे ज़िम्मेदार नही ठहराना चाहिए’.

उनके जवाब में सत्ताधारी तृण मूल कांग्रेस के सांसद सोगतो रॉय ने कहा कि ‘भाजपा के नेता घमंड में चूर हैं, उनको यह दिख ही नही रहा कि कितने लोग मारे जा रहे हैं”.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने  बयान  में कहा  कि “इस महामारी के दौर में, यह सारी मौतें केंद्र सरकार के घटिया निर्णयों की वजह से हो रही हैं”.

 

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