2012 Delhi Nirbhaya case: पटियाला हाउस कोर्ट और SCने दोषियों की अलग-अलग याचिकाओं को किया खारिज
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इन याचिकाओं के खारिज होने के बाद दोषियों की फांसी का रास्ता लगभग साफ हो गया है। गुरुवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की फांसी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। दोषियों ने डेथ वारंट पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी। अब तय समय के अनुसार, निर्भया के चारों दोषियों को शुक्रवार सुबह 5:30 बजे फांसी दी जाएगी।
दोषियों की याचिका खारिज होने के बाद निर्भया के परिजनों की वकील सीमा कुशवाहा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि चारों दोषियों को शुक्रवार सुबह हर हाल में फांसी होगी।
सुप्रीम कोर्ट से मुकेश और अक्षय को झटका
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें उसने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। मुकेश ने याचिका दायर कर दावा किया था कि 16 दिसंबर 2012 को वारदात के वक्त वह दिल्ली में मौजूद ही नहीं था।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय की भी याचिका को खारिज कर दी है। अक्षय ने राष्ट्रपति के दया याचिका ठुकराने के फैसले को चुनौती दी थी।
अलग-अलग याचिकाओं का दिया था हवाला
बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में दायर अर्जी में एक दोषी की दूसरी दया याचिका और अन्य दोषियों की अलग-अलग विचाराधीन याचिकाओं का हवाला दिया गया था। इसके साथ ही कोरोना वायरस से फैली महामारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह समय फांसी के लिए सही नहीं है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
अधिवक्ता एपी सिंह की तरफ से दायर अर्जी में कहा गया था कि अक्षय सिंह ने दूसरी दया याचिका दायर की है। जबकि पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में निचली अदालत के उस फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव याचिका दायर की है, जिसमें वारदात के समय उसे नाबालिग मानने से इनकार कर दिया गया है। इसके अलावा दोषियों ने इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भी याचिका दायर की हुई है। वहीं अक्षय की पत्नी ने बिहार के औरंगाबाद की अदालत में तलाक की अर्जी दायर की हुई है। इसके अलावा पवन की एक याचिका हाई कोर्ट और चुनाव आयोग में विचाराधीन है। इसलिए जब तक सभी याचिकाओं पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक फांसी नहीं दे सकते।