19 दिसंबर, 2022: गोवा की आजादी के 61 साल

18 दिसंबर 1961 को भारतीय सैन्यबलों का हस्तक्षेप हुआ, 19 दिसंबर को 451 साल बाद सालाझारशाही का अंत हुआ तथा गोवा, दमन, दीव तथा दादरा नागर हवेली भारतवर्ष का हिस्सा बना। उल्लेखनीय बात यह है कि इस भूभाग पर 451 साल का सबसे लंबा विदेशी शासन रहने के बावजूद आजादी के समय यहाँ हिंदू बहुसंख्यक तथा ईसाई अल्पसंख्यक थे।

भारत में हर साल 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस मनाया जाता है।  पुर्तगाली शासन के 450 वर्षों से गोवा को मुक्त कराने वाले भारतीय सशस्त्र बलों की जीत को चिह्नित करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

पुर्तगालियों ने वर्ष 1510 में भारत के कई हिस्सों को अपना उपनिवेश बनाया था। हालांकि, 19 वीं शताब्दी के अंत तक उनके उपनिवेश दमन, दादरा, गोवा, दीव और नगर हवेली तक ही सीमित थे।

1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भी गोवा विदेशी शासन के अधीन था।  पुर्तगालियों ने गोवा और अन्य भारतीय क्षेत्रों को छोड़ने से इनकार कर दिया। स्वतंत्र भारत ने पुर्तगालियों के साथ असफल बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों के बाद सैन्य हस्तक्षेप शुरू करने का फैसला किया। भारत इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में भी ले गया। और अंततः18 दिसंबर, 1961 को भारत ने ऑपरेशन विजय नामक 36 घंटे का अपना सैन्य अभियान शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय थल सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के हमले शामिल थे।

इस तरह भारत ने 19 दिसंबर, 1961 को गोवा को पुनः प्राप्त कर लिया। गोवा के तत्कालीन राज्यपाल मैनुअल एंटोनियो वासालो ई सिल्वा ने पुर्तगाली शासन को समाप्त करते हुए आत्मसमर्पण के प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।

गोवा मुक्ति आंदोलन का इतिहास

19वीं शताब्दी में पुर्तगाली शासन के विरुद्ध गोवा में कई विद्रोह हुए। लेकिन 1926 तथा इसके उपरांत डॉ टीबी कुन्हा के नेतृत्व में चले शांतिमय लोकतांत्रिक प्रतिकार और जून 1946 में डॉ लोहिया के आक्रामक प्रतिकार ने आज़ादी के प्रयासों को जनांदोलन का रूप दे दिया। देश भर से लोगों ने गोवा की आजादी के आंदोलन में अतुलनीय योगदान दिया, कई शहीद भी हुए। अंतत्वोगत्वा 18 दिसंबर 1961 को भारतीय सैन्यबलों का हस्तक्षेप हुआ, 19 दिसंबर को 451 साल बाद सालाझारशाही का अंत हुआ तथा गोवा, दमन, दीव तथा दादरा नागर हवेली भारतवर्ष का हिस्सा बना। उल्लेखनीय बात यह है कि इस भूभाग पर 451 साल का सबसे लंबा विदेशी शासन रहने के बावजूद आजादी के समय यहाँ हिंदू बहुसंख्यक तथा ईसाई अल्पसंख्यक थे।

गोवा में उत्कीर्णन से पता चलता है कि लोग ऊपरी पुरा पाषाण या मेसोलिथिक काल के दौरान इस क्षेत्र में बस गए थे। लौह युग के दौरान गोवा पर मौर्य और सातवाहन साम्राज्य का शासन था। मध्ययुगीन काल के दौरान गोवा पर कदंब साम्राज्य, विजयनगर साम्राज्य, बहमनी सल्तनत और बीजापुर सल्तनत का शासन था। बीजापुर सल्तनत के शासन के दौरान पुर्तगालियों द्वारा गोवा पर आक्रमण किया गया था।

गोवा को 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था। गोवा राज्य दिवस 30 मई को मनाया जाता है।

-इस पोस्ट का कुछ अंश जीके टूडे से साभार लिया है

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