काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के बहाने Dec 15 को रामलला के दरबार पहुंचेंगे BJP के 18 CMs
रामलला के रथ पर सवार भाजपा धर्म और आस्था के नाम पर अपना प्रचार करने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। इसके चलते भाजपा अपने सभी शीर्ष चेहरों को अयोध्या लाकर यह संदेश देने में जुटी है कि आस्था स्थलों के विकास, सम्मान व गौरव की स्थापना उसके लिए सर्वोपरि है।
पांच साल पहले तक अयोध्या से परहेज के बीच ‘सेक्युलर’ विपक्षी चेहरे 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए अयोध्या सहित यूपी के दूसरे आस्था स्थलों की ओर खूब रुख कर रहे हैं। इनके बीच भाजपा अपने सभी शीर्ष चेहरों को अयोध्या लाकर यह संदेश देने में जुटी है कि आस्था स्थलों के विकास, सम्मान व गौरव की स्थापना उसके लिए सर्वोपरि है। जाहिर तौर पर सियासी कुरुक्षेत्र में भी इस समर्पण का ‘प्रसाद’ मिलने की उम्मीदें रहेंगी।
लखनऊ: ‘रामरथ’ पर सवार होकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंची भाजपा ने राम मंदिर के निर्माण को अपनी उपलब्धियों की सूची में सबसे ऊपर रखा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही केंद्र से लेकर प्रदेश तक सरकार-संगठन के प्रमुख चेहरों के भाषण बिना राम मंदिर के उल्लेख के पूरे नहीं होते। सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासत में जुटे विपक्ष को उसके पुराने फैसले, बयान याद दिलाकर भाजपा उन्हें ‘रामद्रोही‘ बताने से भी नहीं चूक रही है।
पांच साल पहले तक अयोध्या से परहेज के बीच ‘सेक्युलर’ विपक्षी चेहरे 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए अयोध्या सहित यूपी के दूसरे आस्था स्थलों की ओर खूब रुख कर रहे हैं। इनके बीच भाजपा अपने सभी शीर्ष चेहरों को अयोध्या लाकर यह संदेश देने में जुटी है कि आस्था स्थलों के विकास, सम्मान व गौरव की स्थापना उसके लिए सर्वोपरि है। जाहिर तौर पर सियासी कुरुक्षेत्र में भी इस समर्पण का ‘प्रसाद’ मिलने की उम्मीदें रहेंगी।
काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के अवसर पर बनारस आ रहे भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों का अगला पड़ाव अयोध्या होगा। महादेव के दर्शन के बाद ये नेता अयोध्या में रामलला के दर पर हाजिरी लगाएंगे। चुनावी साल में इस आयोजन को सरकार-संगठन आस्था के सम्मान व विकास के शो केस के तौर पर पेश करने में जुटा हुआ है।
पीएम नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को बनारस में काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे। करीब 32 महीने में तैयार हुए इस कॉरिडोर ने विश्वनाथ मंदिर की तस्वीर बदलकर रख दी है। इससे गंगा के किनारे से मंदिर तक पहुंचना आसान हो गया है। साथ ही परिसर में 27 पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार कर दर्शन की एक लंबी श्रृंखला तैयार की गई है। पीएम जब इसका लोकार्पण करेंगे, उस दौरान भाजपा शासित राज्यों के सीएम व डिप्टी सीएम भी मौजूद रहेंगे।
शाम को अस्सी घाट से शुरू होकर बनारस के सभी प्रमुख घाटों पर ये सीएम और डिप्टी सीएम नाव व क्रूज से गंगा की यात्रा का आनंद लेंगे और आरती में भी शामिल हिस्सा होंगे। इसके अगले दिन 14 दिसंबर को मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन होगा। योगी सरकार की मेजबानी में हो रहे इस सम्मेलन को नरेंद्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी संबोधित करेंगे। इसके बाद पीएम के अलावा बाकी नेता अयोध्या का रुख करेंगे।
सूत्रों के अनुसार 14 दिसंबर को सम्मेलन खत्म होने के बाद वहां मौजूद मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बस से अयोध्या आएंगे। हालांकि, 15 दिसंबर के लिए भी विशेष बस की व्यवस्था की गई है, जिससे अगर कुछ लोग सुबह आना चाहें तो वे आसानी से आ सकें। एक दिन पहले पहुंचे लोग शाम को सरयू आरती का हिस्सा बनेंगे। अगले दिन सुबह सभी रामलला के दर्शन करेंगे और हनुमान गढ़ी में भी सिर नवाएंगे।
इस दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ मेजबान के तौर पर वहां मौजूद रहेंगे। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से लेकर आने की योजना है। इससे आस्था स्थलों की बदलती तस्वीर के साथ ही यूपी में बदलते इंफ्रास्ट्रक्चर की भी ब्रैंडिंग हो सकेगी। कुछ नेता अयोध्या तो कुछ लखनऊ से 15 को ही अपने-अपने राज्यों के लिए रवाना हो जाएंगे।
वाराणसी में 18 दिसंबर को महापौर सम्मेलन भी आयोजित किया जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करेंगे। प्रदेश के 247 नगर निगमों के महापौर इस सम्मेलन का हिस्सा बन रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इन्हें भी काशी से लेकर अयोध्या तक आस्था स्थलों और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की तस्वीर दिखाई जाएगी। सम्मेलन के अगले दिन 18 दिसंबर को सभी महापौर को बस से अयोध्या लाकर दर्शन कराने की कार्ययोजना बनाई जा रही है।
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