पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ प्रदेशव्यापी विरोध सभाएं

उपभोक्ता विरोधी एवं कर्मचारी विरोधी निजीकरण का फैसला निरस्त करने की मांग

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के आह्वान पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में आज दूसरे दिन भी  राजधानी लखनऊ सहित गोरखपुर, वाराणसी, मेरठ, कानपुर, आगरा, मुरादाबाद, सहारनपुर, बुलंदशहर, प्रयागराज अयोध्या, आजमगढ़, बांदा, बस्ती, बरेली, अलीगढ, झाँसी, अनपरा, ओबरा, परीछा, सहित प्रदेश के सभी जनपदों व् परियोजनाओं में बिजली कर्मचारियों/ संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने विरोध सभा की।

ध्यान रहे कि निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में पूर्वांचल के सभी जनपदों में विगत 01 सितम्बर से विरोध सभाओं का क्रम चल रहा है।

संघर्ष समिति ने सरकार से व्यापक जनहित में निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की माँग की है।

मध्यांचल मुख्यालय लखनऊ पर हुई विरोध सभा में वक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन व निजीकरण का फैसला वापस न लिया गया और इस दिशा में सरकार की ओर से कोई भी कदम उठाया गया तो ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियंता उसी समय बिना और कोई नोटिस दिए अनिश्चित कालीन आंदोलन प्रारंभ करने हेतु बाध्य होंगे जिसमें पूर्ण हड़ताल भी सम्मिलित है।

वक्ताओं में  संघर्ष समिति के पदाधिकारियों प्रभात सिंह, जय प्रकाश, सुहेल आबिद, केके वर्मा, विजय गुप्ता, दीपक चक्रवर्ती, वैभव अस्थाना, एसके विश्वकर्मा, सागर शर्मा, एएन सिंह, पोलेन्द्र सिंह चौहान, बीके प्रजापति, संजीव वर्मा, अखिलेश सिंह, अभिनव तिवारी, महेन्द्र राय, शिवम त्रिपाठी, आशीष सिंह शामिल थे।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह प्रभावी हस्तक्षेप करने की कृपा करें जिससे निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त हो सके और उनके कुशल नेतृत्व में बिजली कर्मी  पूर्ववत पूर्ण निष्ठा से बिजली आपूर्ति  और सुधार के कार्य में जुटे रह सकें।

संघर्ष समिति ने यह भी कहा है कि निजीकरण का निर्णय संघर्ष समिति और ऊर्जा मंत्री की उपस्थिति में विगत 5 अप्रैल 2018 को हुए समझौते का खुला उल्लंघन है जिसमें लिखा गया है कि बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए बगैर  प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र का कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा।

निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा हो

संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार और प्रबंधन से विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की भी मांग की।

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों का कहना है कि दिसंबर 1993 में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का निजीकरण किया गया और अप्रैल 2010 में आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट फ्रेंचाइजी को दी गई और यह दोनों ही प्रयोग विफल रहे हैं।

इन प्रयोगों के चलते पावर कार्पोरेशन को अरबों खरबों रुपए का घाटा हुआ है जो बढ़ता ही जा रहा है।

संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन आंदोलन चलाया जाएगा जिसमें पूर्ण हड़ताल भी सम्मिलित होगी।

निजीकरण के विरोध में व्यापक जन जागरण करने हेतु संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारी 21 सितम्बर से 20 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश में  मंडल मुख्यालयों पर विरोध सभाएं कर कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को जागरूक करेंगे। इसके

साथ ही प्रदेश भर में जन प्रतिनिधियों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिए जाएंगे।

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