कोरोना की रोकथाम में गांव सरकार का दायित्व
-चंद्रशेखर प्राण
रोजी रोटी की तलाश में महानगर गये ग्रामीण कामगारों के बड़े पैमाने पर अव्यवस्थित वापसी के बाद गांवों में कोरोना का संकट पहले से अधिक गहरा गया है ।वैसे भी कोरोना को लेकर गांवों में विशेष जागरुकता व सावधानी की आवश्यकता थी ।क्योकि इस महामारी से बचाव का जो सबसे कारगर तरीका “सामाजिक दूरी ” के रुप में सर्वमान्य हुआ है वह प्रारंभ से ही गांव जीवन के स्वभाव व संरचना के विपरीत रहा है ।अत:इसके लिये विशेष जागरुकता व सावधानी की आवश्यकता थी।
इस पलायन ने इस संकट को और गहरा दिया है । इसके चलते “अपनी गांव सरकार ” अर्थात “ग्रामपंचायत” की भूमिका व दायित्व और अधिक बढ़ जाता है ।केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर इस के बचाव व नियन्त्रण का कार्य किया जा रहा है लेकिन यह प्रभावी तभी होगा जब ग्राम पंचायतें उसमें सहयोग करेंगी तथा आगे बढ़ कर अपने स्तर पर भी वहाँ की परिस्थिति व आवश्यकता के अनुरुप जागरुकता व बचाव का कार्य करेंगी ।लेकिन यहां यह विशेष रुप से ध्यान देना होगा कि सभी प्रयास केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित गाईड लाईन व निर्देशों के अन्तर्गत ही हो ।
“अपनी गांव सरकार “के स्तर से जो कार्य व सहयोग किया जा सकता है उस संदर्भ में सबसे पहली कार्यवाही अपनी गांव सरकार “(पंचायत) के संगठनात्मक ढांचे को सक्रिय व प्रभावी बनाना होगा।
इसके अन्तर्गत ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्यों तथा उसकी “स्वास्थ एवं कल्याण समिति”को सक्रिय करना प्राथमिक जरुरत है ।हो सकता है वर्तमान समय में यह इस समिति को सक्रिय कर पाना सम्भव ना हो ।ऐसी स्थिति में अलग से “महामारी बचाव व समन्वयन समिति”का गठन किया जाना चाहिये ।
यहां यह अवगत कराना चाहेंगें कि “उत्तरप्रदेश पंचायत राज नियमावली” के नियम 49 के अनुसार विशेष परिस्थितियों में पंचायत को अलग से “कार्यकारी समिति” बनाने का प्रावधान है ।
अत: प्राथमिकता के स्तर पर ग्राम प्रधान स्वयं अपनी अध्यक्षता में अथवा किसी अन्य सक्रिय सद्स्य के नेतृत्व में इसे गठित करे ।ग्राम पंचायत व ग्राम सभा के उपयुक्त व सक्रिय सद्स्योँ को इसमें शामिल किया जाय ।इसमें पंचायत स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य,शिक्षा व ग्रामीण विकास विभाग के कार्यकर्ताओं व कर्मचारियों को भी जोडना होगा ।
यदि ग्रामपंचायत के क्षेत्र में कई पुरवे या गांव शामिल हैं तो आवश्यकतानुसार इसकी उपसमितियां बनाई जा सकती है ।
दूसरी महत्वपूर्ण कार्यवाही महामारी बचाव व समन्वयन समिति को सक्रिय रुप से अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा ।इसके अन्तर्गत समिति के प्रत्येक सदस्य को बीमारी से बचाव एवं रोकथाम की सही एवं पूर्ण जानकारी रखना होगा ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में सही जानकारी दी जा सके।
बीमारी की रोकथाम में मदद हेतु जारी किये गए स्वास्थ्य सेवाओं, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, विभिन्न हेल्पलाइन नंबरों तथा जनपद एवं जिले के नोडल अधिकारियों के नंबर रखना होगा साथ ही ग्राम स्तर इस बीमारी से बचाव एवं रोकथाम के लिये उचित माध्यमों का प्रयोग कर लोगों को जागरूक करने एवं बीमारी से जुड़ी सही जानकारी पहुंचाना एवं पालन सुनिश्चित कराना भी समिति की प्राथमिकता का हिस्सा होना चाहिये।
शासन के आदेश, निर्देश की जानकारी लोगों के बीच प्रसारित करना तथा जिला एवं जनपद मुख्यालय के लगातार संपर्क एवं समन्वय के साथ अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना है।
चूंकि यह बीमारी छुआछूत से फैलती है, इसलिये किसी भी प्रकार के सामाजिक, धार्मिक आयोजनों जिनमें भीड़ जमा होती है शासन के आदेशों के अनुसार पूर्णतः पाबंदी लगाना जरुरी होगा ।
इसी के साथ गांवों में आवश्यक वस्तुओं के अलावा अन्य सभी दुकानों के खोलने पर रोक लगाना तथा गांवों में जगह-जगह चौपालों पर लोगों के जमा होकर पत्ते आदि खेलना आम है, इस पर रोक लगाते हुए लोगों को अपने-अपने घरों में रहने के प्रेरित व निर्देशित करना समिति की विशेष जिम्मेवारी होनी चाहिये ।
समिति को यह ध्यान देना होगा कि कोई भी व्यक्ति अनावश्यक रूप से न तो गांव एवं घर से बाहर निकले और न ही बाहरी व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाये।
इसी के साथ उचित मूल्य की दुकान, किराना दुकान, सब्जी की दुकान, हेडपम्प आदि का उपयोग करते समय सामाजिक दूरी बनाये रखने की व्यवस्था बनाना एवं इसकी निगरानी करना तथा सामुदायिक सेवा स्थलों पर लोगों के बीच दूरी बनाकर रखने के लिये एक-एक मीटर से अधिक की दूरी पर चूना या चॉक से गोल घेरे बनाने का प्रयोग भी कर सकती है।
पेयजल के स्रोतों के सम्बन्ध में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।इसके लिये प्रत्येक व्यक्ति, उपयोग से पहले हेडपम्प के हेंडिल आदि को साबुन पानी सेअवश्य धोए ।इस बात की निगरानी करना और इसके लिये हेडपम्प के पास साबुन की उपलब्धता सुनिश्चित करना समिति की जिम्मेदारी होनी
अन्य राज्यों से गांव लौटने वाले सभी नागरिकों की पूर्ण जानकारी एक रजिस्टर में रिकार्ड करना तथा इनकी मेडीकल जांच सुनिश्चित कराना महामारी के बचाव के लिये अब बहुत जरुरी होगया है।
इसी के साथ यदि बाहर से आने वाले किसी व्यक्ति की जाँच नहीं हुई हो तो इसकी सूचना तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र/जनपद एवं जिला नोडल अधिकारियों को देना बहुत आवश्यक है ।
बाहर से आने वाले सभी व्यक्तियों का चाहे वे पूर्णतः स्वस्थ्य ही क्यों न हों अपने-अपने घरों में परिवार व समाज से 14 दिन तक अलग रहना सुनिश्चित करने के लिये उन्हे
राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार स्कूल, आंगनबाड़ी भवनों में रखने की व्यवस्था करनी होगी ।
इसी के साथ यह ध्यान रखना होगा की यदि किसी व्यक्ति में सर्दी, सूखी खांसी, तेज बुखार के लक्षण दिखायी दें, तो ऐसे व्यक्ति का इलाज सुनिश्चित करना और इन्हें भी 14 दिन तक अलग रहने की व्यवस्था बनानाभी जरुरी होगा ।अलग रखे गये व्यक्तियों के लिये शौचालय, साबुन से हाथ धोने हेतु साबुन व पानी की व्यवस्था तथा परिसर की सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा।
इस दौरान गांव में आवश्यक वस्तुएं जैसे राशन, दाल, तेल, मसाले, बीमार व्यक्तियों के लिये दवा आदि की उपलब्धता बनी रहे, इसकी लगातार निगरानी करना और व्यवस्था बनाना तथा
गांव के भूमिहीन, अति गरीब, मजदूरी पर आश्रित, महिला मुखिया, विकलांग परिवारों की सूची तैयार करना तथा उचित मूल्य की दुकान तथा सामुदायिक सहयोग से इन परिवारों के यहां आवश्यक वस्तुएं उपलबध कराने की जिम्मेदारी भी पंचायत को उठानी होगी।
इन सभी कार्यो के लिये स्थानीय स्तर पर संसाधन भी जुटाने होंगे ।इसके लिये सक्षम लोगों के सहयोग से गांव में वस्तु कोष की स्थापना करना तथा इस कोष में लोगों के सहयोग से प्राप्त सामग्री, अनाज, सब्जी, नगद राशि जरूरतमन्द परिवार को उपलब्ध कराना होगा।
उपरोक्त सुझाव ग्राम पंचायतों की सुविधा तथा इस महामारी के बचाव व नियन्त्रण को दृष्टि में रखते हुये दिया गया है ।अत:स्थानीय आवश्यकता व परिस्थिति तथा राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेशों -निर्देशों को दृष्टि में रखते हुए इसके अतिरिक्त भी कार्य किये जा सकते हैं । जिसमें केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जा रही सहायता व सुविधा के साथ साथ खेती किसानी के कार्य को भी ध्यान मे रखते हुए कुछ जिम्मेदारियां पंचायत को निभानी पड़ सकती है ।जिसके बारे में अपनी सीमाओं में आप स्वयं तय कर सकते हैं ।लेकिन हर परिस्थिति में “सामाजिक दूरी”के दिशा निदशों का पालन जरुरी है ।
उत्तरप्रदेश में पंचायतराज व्यवस्था के अन्तरगत कुछ ऐसे विशेष प्रावधान हैं जिसकी जानकारी गांव के लोगों व पंचायत प्रतिनिधियों को जानना बहुत आवश्यक है।उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम तथा उसकी नियमावली में ग्राम पंचायत व ग्राम प्रधान को ऐसी परिस्थिति में विशेष दायित्व व अधिकार सौंपे गये है ,जो इस प्रकार है-
▪संविधान द्वारा 11वीं अनुसूची के माध्यम से सौंपे गये 29 बिषयों के परिप्रेक्ष्य में अधिनियम की धारा 15 में पंचायत के कृत्यों के क्रमांक 23(ख) के अन्तर्गत महामारी के विरूध रोकथाम की जिम्मेवारी ग्राम पंचायत को भी दी गई है ।
▪पंचायत राज नियमावली के नियम 47 (ख) में ग्राम प्रधान को संक्रामक रोगों को नियन्त्रित तथा निवारित करने की विशेष शक्ति प्रदान की गई है।इसके अन्तर्गत वह नियत प्राधिकारी के निर्देशों के अधीन रहते हुए इस रोग के नियन्त्रण व निवारण के लिये जो आवश्यक हो वह कार्य कर सकता है ।
▪पंचायत राज नियमावली के नियम 240 के अनुसार पंचायत अपने कार्य व दायित्व के समुचित निर्वहन हेतु “ग्रामीण स्वयंसेवी बल” का गठन कर सकती है और इसके लिये “ग्राम कोष “से व्यय भी कर सकती है ।
▪ नियम 241जो इन स्वयंसेवकों के कृत्य से सम्बंधित है उसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा अकाल या अन्य विपत्ति के विरुद्ध नियन्त्रण व निवारण के मामले में पंचायत की सहायता करना मुख्य है ।
उपरोक्त प्रावधानों से स्पष्ट है की गांव के स्तर पर इस महामारी से निपटने की जिम्मेवारी ग्राम पंचायत की भी है ।जो यह महामारी देश व्यापी है अत:इस सम्बंध में स्थानीय स्तर पर की जाने वाली हर कार्यवाही केंद्र व राज्य सरकार के निर्देशों के अनुरुप हो ।