सुप्रीम कोर्ट ने सीएए प्रदर्शनकारियों की ज़ब्त प्रापर्टी और पैसा लौटाने का आदेश किया
उत्तर प्रदेश में सी ए ए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों की जप्त की गई प्रॉपर्टी और वसूल किया गया पैसा वापस किया जाए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश।
2019 में सी ए ए कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में कई जगह हिंसा हुई थी। इसमें जो भी नुकसान सरकारी या निजी संपत्ति को हुई थी उसका हर्जाना प्रदर्शनकारियों से लिया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने 274 लोगों को नोटिस जारी कर उनके प्रॉपर्टी जप्त किए थे या उनसे पैसा लिया था।
राज्य सरकार के वकील गरिमा प्रशाद ने बताया की इसका कोई आंकड़ा नहीं है की कितना पैसा वसूला गया है लेकिन ये करोड़ों में है।
आज सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया की उन सब का पैसा वापस किया जाए और जप्त की गई प्रॉपर्टी को उनके मालिकों को वापस किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश इसलिए आया क्योंकि आज उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया की उसने प्रदर्शनकारियों को जारी किया नोटिस वापस लेने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने इस बाबत 14 और 15 फरवरी को सभी आरोपी प्रदर्शनकारियों को सूचना भेजी है की उनके खिलाफ मामला वापस लिया जाता है।
राज्य सरकार ने ये फैसला इसलिए लिया क्योंकि राज्य सरकार ने ये माना की प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई नहीं हुई थी।
2019 में लागू नियम के मुताबिक किसी से भी सरकारी या निजी संपत्ति नष्ट होने का हर्जाना लेने के लिए एक प्रक्रिया है। उस प्रक्रिया के तहत हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज ये तय करते है की किससे कितना हर्जाना लेना है। लेकिन उत्तर प्रदेश में इस नियम का पालन नही हुआ था और सरकार ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को संपत्ति जप्त करने और हर्जाना लेने का अधिकार दे दिया था।
फिर 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार नया कानून ले कर आई जिसमे हर्जाना वसूलने और प्रॉपर्टी जप्त करने का नियम बनाया गया।
आज राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया की अब सरकार 2020 के कानून के तहत कार्रवाई करना चाहती है। इस कानून के मुताबिक एक ट्रिब्यूनल बनाया जायेगा जो ये तय करेगा की प्रॉपर्टी नष्ट करने के लिए कौन जिम्मेदार है और किससे कितना हर्जाना वसूलना है।
इसलिए आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा की सारा मामला फिर से ट्रिब्यूनल में शुरू किया जाए। लेकिन अब तक जो भी प्रॉपर्टी जप्त हुए हैं या प्रदर्शनकारियों से हर्जाने के तौर पर पैसा लिया गया है वो वापस किया जाए।
राज्य सरकार के वकील गरिमा प्रशाद ने बताया की इसका कोई आंकड़ा नहीं है की कितना पैसा वसूला गया है लेकिन ये करोड़ों में है।