सहारा पर जालसाजी की जाँच का खतरा
4 करोड़ जमाकर्ताओं से लिये 86,000 करोड़ रुपये
सहारा इंडिया एक नयी जालसाजी के मामले में जाँच के संकट में फंसती दिख रही है।
सहारा समूह ने तीन नयी सोसाइटीज बनायी थीं और करीब चार करोड़ जमाकर्ताओं से 86,673 करोड़ करोड़ वसूले।
वसूली करने वालों में एक और सोसाइटी भी है जो सहारा ने 2010 में बनायी थी।
सहारा ने यह काम उस वक्त किया जब समूह की दो कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराया था और इसके प्रमुख सुब्रत रॉय गिरफ्तार किये गये थे।
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यह खबर इंडियन एक्सप्रेस ने छापी है।
सरकार ने जाँच के लिए लिखा
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सरकार ने सहारा के इस अत्यधिक संदिग्ध अनियमितताओं के सिलसिले की जांच के लिए कहा है।
सरकार ने कहा है कि इन सोसाइटीज के मामले में अनियमितताओं ने जमाकर्ताओं की मेहनत की कमाई को गंभीर खतरे में डाल दिया है।
विनियामकों ने कहा कि इसमें से कम से कम 62,643 करोड़ रुपये की धनराशि महाराष्ट्र के लोनावाला में एम्बी वैली परियोजना में निवेश की गयी। यह वही परियोजना है जिसे 2017 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अटैच किया गया था।
कृषि मंत्रालय के दायरे में हैं ये चारों सोसाइटीज
ये चार सोसाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ एक्ट के तहत बनायी गयी हैं और कृषि मंत्रालय के दायरे में आती हैं।
इन सोसाइटीज के नाम सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (2010 में स्थापित); हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड; सहारयन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड हैं।
इसके बाद सहारा के जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए संपत्ति की नीलामी के कई विफल प्रयासों के बाद 2019 में जारी किया गया था।
18 अगस्त को कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने कॉरपोरेट फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस द्वारा सहारा समूह की एक जांच शुरू करने के लिए कॉर्पोरेट मामलात के मंत्रालय को लिखा है।
अग्रवाल सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार भी हैं।
सोसाइटीज ने दिखाया काल्पनिक मुनाफा
अग्रवाल ने एमसीए को लिखे अपने पत्र में कहा कि ये चारों सोसाइटी ने एम्बी वैली लिमिटेड के शेयरों के सौदे में “काल्पनिक मुनाफा” दिखाया है।
उन्होंने लिखा है कि “ये संस्थाएं शेयरों की बिक्री से आय दिखाती हैं जबकि इस तरह के हस्तांतरण केवल समूह संस्थाओं के भीतर ही हुए हैं।
अग्रवाल के पत्र में कहा गया है कि “इन चार सहकारी समितियों में करोड़ों भारतीय नागरिकों द्वारा जमा की गई गाढ़ी कमाई को क्षति का गंभीर खतरा है।
इस तरह की सभी जमा राशि अब सहारा समूह की कंपनियों खासतौर पर एम्बी वैली की दया पर है, इसलिए सार्वजनिक हित में जांच के आदेश देना समीचीन है…”।