शीत सत्र रद्द होने पर विपक्ष ने उठाए सवाल

नई दिल्ली: देश के किसान सड़कों पर हैं. वो संसद से पास तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. विपक्ष भी उनकी आवाज बुलंद कर रहा है. मुखर होते इस आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने इस बार शीतकालीन सत्र न बुलाने का फैसला किया है. सरकार के इस कदम पर विपक्ष हमलावर है. वो सरकार के इस फैसले को किसान आंदोलन पर चर्चा के डर का असर बता रहा है. दूसरी ओर सरकार सत्र न बुलाने के पीछे कोरोना को वजह बता रही है.

संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है, ‘कोरोना महामारी के लिहाज से सर्दी के महीने काफी अहम हैं. हाल ही में कोरोना केस में इजाफा हुआ है, खासकर दिल्ली में. अभी हम दिसंबर के मध्य में हैं और जल्द ही कोरोना वैक्सीन की उम्मीद की जा रही है.’

विपक्ष ने शीतकालीन सत्र पर उठाया सवाल

यानी शीतकालीन सत्र न कराने के पीछे सरकार ने स्पष्ट तौर पर कोरोना महामारी को कारण बताया है. दूसरी ओर विपक्ष के अपने सवाल हैं. कांग्रेस ने कहा है कि जब कोरोना काल में बाकी काम हो रहे हैं तो सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस मसले पर ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मोदी जी, कोरोना काल में NEET/JEE व IAS की परीक्षाएं संभव हैं. स्कूलों में कक्षाएं, यूनिवर्सिटी में परीक्षाएं संभव हैं. बिहार-बंगाल में चुनावी रैलियां संभव हैं. तो संसद का शीतकालीन सत्र क्यों नहीं? जब संसद में जनता के मुद्दे ही नहीं उठेंगे तो लोकतंत्र का अर्थ ही क्या बचेगा?’

सत्र पर नहीं की विपक्ष से चर्चा

विपक्ष की तरफ से ये आरोप भी लगाए जा रहे हैं कि सरकार ने सत्र को रद्द करने का फैसला लेने से पहले चर्चा तक नहीं की है. राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप जयराम रमेश ने बताया कि राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद से इस मसले पर चर्चा नहीं की गई है.

सरकार विपक्ष को सत्र में नहीं देना चाहती मौका

विपक्ष भले ही कोरोना काल में एहतियात के साथ सत्र बुलाने की मांग कर रहा हो लेकिन सरकार उसे कोई मौका नहीं देना चाहती. ऐसे समय में जब उसने किसान आंदोलन से निपटने के लिए हर तरफ से जोर लगाया हुआ हो, संसद का सत्र बुलाना धरने पर बैठे किसानों को ही मजबूत करेगा. किसानों का मुद्दा ऐसा है कि पूरा विपक्ष सदन में सरकार के खिलाफ एकजुट हो सकता है. यहां तक कि एनडीए के सहयोगी भी इस मुद्दे पर सरकार के समर्थन में उस तरह नहीं आएंगे जैसा कि वे दूसरे मुद्दों पर आते रहे हैं. इसलिए सत्र भले ही कोरोना की वजह से टाला जा रहा हो सरकार को इसमें राहत ही दिख रही है.

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