अम्बेडकरनगर, अलविदा डा संत प्रसाद गौतम : जाना एक बहादुर योद्धा का

अम्बेडकर नगर 10 जून. जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा संत प्रसाद  गौतम के देहांत पर  जिला बुधवार को अस्पताल परिसर मे गहरी शोक संवेदनाएँ प्रकट की गयीं. डा गौतम कोविड 19 कोरोना वायरस  से संक्रमित हो गए थे. लखनऊ में इलाज़ के दौरान मंगलवार की दोपहर उनकी मृत्यु हो गई. प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से  उनका लखनऊ के बैकुण्ठ धाम पर अन्तिम संस्कार किया ।

जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र व पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी ने  उनके चित्र पर पुष्प अर्पण करते हुए दो मिनट का मौन रखकर भावभीनी श्रद्धांजलि दी । ड़ा गौतम के  देहांत की खबर से जिला अस्पताल सहित प्रशासनिक अमले में स्तब्धता फैल गई।

माना जाता है कि प्रवासी मज़दूरों की स्कैनिंग व सैम्पल कलेक्ट करने कार्य काफी दिनों तक जिला अस्पताल में ही जारी रहा, जिसके कारण जिला अस्पताल के सी एम एस सहित कई कर्मचारी भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए. 

ज़िलाधिकारी राकेश मिश्र ने अपने फ़ेस बुक पेज पर डा गौतम को इन शब्दों में अलविदा कहा है .

जाना एक बहादुर योद्धा का

हाँ सर ,, हाँ सर ,,

मोबाइल कॉल को रिसीव करने की आवाज़ होती ,, कभी रात के २ बजे और कभी भोर के ५ बजे भी ,, ।देखिए लाइन बहुत लम्बी हो रही है ,, लोग घंटों से खड़े हैं , अभी स्क्रीनिंग पटल बढ़वाता हूँ सर ,, ज़बाब होता , मेरे पहुँचने से पहले ही वह उपस्थित मिलते ,, नाम सन्त प्रसाद गौतम ,, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ,, काम विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम के मुखिया ,, ३० लाख आबादी के ज़िले के हज़ारों मरीज़ों ,, सैंकड़ों गर्भवती महिलाओं को २४*७ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाना एवँ आपातकालीन सेवायें,,,।

 कभी भी कोई पहुँचे ,,वह उपस्थित मिले ,, एक आदर्श चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करायी ,, जिसके लिए उन्हें व जनपद को प्रशंसा मिलती । फिर कोरोना का दौर आया ,, दिन रात प्रवासी मज़दूरों का आगमन , पैदल ,, साइकिल ,, बस ,, ट्रक ,, श्रमिक ट्रेनें ,. चौबीसों घंटे कोरोना की जाँच चलती रहती ,, सबके भोजन ,,, विश्राम , परिवहन की ज़िम्मेदारी में जिले का हर अधिकारी और कर्मचारी लगा हुआ था ,, डॉक्टर गौतम के ज़िम्मे Covid hospital की भी ज़िम्मेदारी थी ,, जहां संक्रमित मरीज़ भर्ती हैं,, उन्ही में से एक मरीज़ के कमरे में round के दौरान डॉक्टर गौतम संक्रमित होते है पर सेवा के भाव में साथी डॉक्टर जान नहीं पाये कि वह लगातार असहज हो रहे ,, 

बात जब मालूम हुई ,, संक्रमण फेफड़े में था ,, तुरंत विशेषज्ञों की टीम लगती है ,, परन्तु अंग एक के बाद एक साथ देना छोड़ रहे है ,, हम सभी रो रहे हैं ,, पर हर कोई काम में लगा है!

आज हर उम्मीद को तोड़ती ख़बर आयी ,, हम सब लखनऊ भागे ,, अंतिम विदाई , पूरा परिवार था ,, पर body bag में सील्ड देह थी ,, अंतिम दर्शन ,, मुख देखना नहीं हो सका ,, विद्युत् शव-दाह गृह के कर्मचारी अपने विशेष वस्त्र पहनने लगे ,, हमें भी अपने पाँव , सर ,,हाथ मुँह , सब ढकना था ,, 

वहाँ सबकी पहचान खो गयी सहसा ,, आपस में एक दूसरे को पकड़कर विलाप करता परिवार ,, 

सड़क के इस पार ही खड़ा रह गया ,, बेटी ने रोते हुए मुझसे कहा ,, बहुत बिज़ी रखा आप लोगों ने ,, पिता की सेहत ख़राब होती रही ,, मैंने हाथ जोड़ लिए ,, और क्या कहता ,!

समय का यह दौर ,, मै सोचना था ,, निकल जाएगा एक दिन , भूल जाऊँगा सब कुछ ,, डॉक्टर गौतम का यूँ जाना इसे अब भूलने भी नहीं देगा ,,, मै लखनऊ से वापस मुख्यालय लौट रहा हूँ ,,

कल हम सभी उस लड़ाई को आगे बढ़ाएँगे ,, जिसे डॉक्टर गौतम ने जी जान से लड़ा ,, अलविदा डॉक्टर सन्त प्रसाद गौतम , आप को हम भूल नहीं पाएँगे,,

राकेश मिश्र / ९ जून २०

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