योगी मंत्रिमंडल के विस्तार के पीछे बीजेपी की क्या मजबूरी है
यूपी विधान सभा चुनाव 2022
योगी मंत्रिमंडल के विस्तार के पीछे बीजेपी की क्या मजबूरी है . लगता है यूपी विधान सभा चुनाव 2022 की ज़मीनी हक़ीक़त को देखते हुए आख़िरकार मुख्यमंत्री योगी को अपने मंत्रिमंडल के विस्तार में विभिन्न जातियों को प्रतिनिधित्व देने को मजबूर होना पड़ा.
यूपी मंत्रिमंडल विस्तार में जिन्हें मंत्री मनाया गया है उनका विवरण
1) जितिन प्रसाद (शहाजहांपुर) – (ब्राह्मण – सवर्ण)
2) संगीता बलवंत बिंद (ग़ाज़ीपुर) – (मल्लाह ओबीसी)
3) धर्मवीर प्रजापति (आगरा) – (कुम्हार – ओबीसी)
4) पलटूराम (बलरामपुर) – (अनुसूचित जाति)
5) छत्रपाल गंगवार (बरेली) – (कुर्मी – ओबीसी
6) दिनेश खटिक (मेरठ) – (दलित – एससी)
7) संजय गोंड (सोनभद्र) – (अनुसूचित जनजाति – एसटी).
चर्चित नामों में रिटायर्ड अफ़सर ए के शर्मा, संजय निषाद और पूर्व बी जे पी अध्यक्ष लक्ष्मी कांत वाजपेयी को जगह नहिं मिल सकी. मतलब यह कि अब यू पी में योगी स्वतंत्र रूप से निर्णय ले रहे हैं.
इसके अलावा विधान परिषद के लिए सरकार ने भेजे नाम
चौधरी वीरेंद्र सिंह गुर्जर, शामली
गोपाल अंजान भुर्जी, मुरादाबाद
जितिन प्रसाद, शाहजहांपुर
संजय निषाद, गोरखपुर
इस तरह मंत्री मंडल विस्तार के ज़रिए पिछड़े और दलित समुदाय को यूपी विधान सभा के अगले चुनाव के लिए साधने की कोशिश हो रही है. समझा जाता है कि ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्य मुक़ाबला समाजवादी पार्टी से है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी पिछड़ों को एकजुट करने में लगे दिखायी देते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार कुमार भवेश चंद्रा कहते हैं कि,”भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में चुनावी तैयारियों को सबसे तेज गति से आगे ले जा रही है…सत्ता में वापसी के लिए पार्टी ने हर मोर्चे पर काम शुरू कर दिया है। मंत्रिमंडल विस्तार भी उसी दिशा में एक कदम है”
क्या इन कदमों से बीजेपी की चुनावी ताकत बढ़ेगी या क्या इससे सत्ता वापसी की संभावनाओं को अधिक मजबूत जमीन हासिल होगी? क्या बीजेपी की कोशिशें सही दिशा में जा रही हैं और क्या वह इनके जरिए विपक्ष के मंसूबे को ध्वस्त कर पाने में कामयाब होगी?
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार इस बारे में क्या सोचते हैं..चर्चा में शामिल हो रहे हैं..यूपी के जाने माने पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी, कुमार भवेश चंद्र, राजकुमार सिंह, रंजीव और सुरेंद्र दुबे.