उत्तर प्रदेश में भाजपा की खींचतान निर्णायक दौर में, मुख्यमंत्री योगी दिल्ली में

अनुप्रिया पटेल भी अमित शाह से मिलीं

राम दत्त त्रिपाठी
राम दत्त त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी की आंतरिक कलह अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गयी है. अब जल्दी ही तय हो जाएगा कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश का अगला विधान सभा किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. यह भी कि अगर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने रहते हैं तो उनके मंत्रिमंडल और पार्टी संगठन में क्या फेरबदल होगा. 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज अचानक दिल्ली पहुँचकर गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की. खबरें हैं कि श्री योगी कल शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष  जे पी नड्डा से मिलेंगे. 

याद दिला दें कि राष्ट्रीय स्वयं संघ और भारतीय जनता पार्टी के नेता पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन का कामकाज दुरुस्त करने में लगे हैं. 

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार में मंत्री, विधायक, संसद और ज़िला सतर के कार्यकर्ताओं में मुख्यमंत्री योगी के कामकाज की शैली को लेकर असंतोष और शिकायतें हैं. 

नाराज़गी का एक बिन्दु यह भी है कि मुख्यमंत्री अपनी सरकार के मंत्रियों, विधायकों अथवा सांसदों से राय मशविरा करने के बजाय केवल अफ़सरों के ज़रिये सरकार चला रहे हैं . यह भी कि प्रशासन में वह स्वजातीय अफ़सरों को ज़्यादा महत्व देते हैं .

यह शिकायतें हाल में कोरोना महामारी के दौरान और बढ़ गयीं जब उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र चरमरा गया. बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई. इलाज के लिए बेड, इंजेक्शन और दवाइयाँ मिलने में तो परेशानी हुई ही, शवों के अंतिम संस्कार के लिए भी लम्बी क़तारें लग गयीं. ढेर सारी लाशें गंगा नदी में उतराती मिलीं. बहुत से लोगों ने नदी किनारे बालू में शव दफ़न कर दिए. 

हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में पार्टी को कई ज़िलों में करारी हार का सामना करना पड़ा .

इसके बाद से ही पार्टी नेतृत्व उत्तर प्रदेश के बारे में ज़्यादा चिंतित हो गया बताया जाता है .

समझा जाता है कि योगी सरकार के कामकाज के तरीक़ों को लेकर पहले से दिल्ली चिंतित थी. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भरोसेमंद नौकरशाह अरविंद कुमार शाह को दिल्ली से लखनऊ भेजा, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उन्हें महत्व नहीं दिया. कहा जाता है कि उन्होंने शर्मा मंत्रिमंडल को मंत्रिमंडल में लेने से मना कर दिया. 

कहा जाता है कि दिल्ली को शक है योगी आदित्यनाथ आगे चलकर प्रधानमंत्री मोदी का विकल्प बनने का सपना देख रहे हैं. यद्यपि श्री योगी ने इससे इनकार किया है. श्री योगी और अमित शाह के बीच संवादहीनता की खबरें भी थीं. 

योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

एक दिन पहले जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अथवा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव की अनुपस्थिति भी गौर तलब है. पार्टी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव योगी आदित्यनाथ के समर्थक माने जाते हैं. 

लेकिन श्री योगी आज अचानक दिल्ली पहुँचकर अमित शाह के घर पर क़रीब डेढ़ घंटे रहे. उम्मीद है श्री शाह ने उन्हें दिल्ली की मंशा बता दी है. 

श्री योगी शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले हैं. 

इस बीच बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी गृहमंत्री अमित शाह से भेंट की . संभव है मंत्रिमंडल विस्तार में अपना दल को भी जगह मिले .

बीजेपी की चुनावी व्यूह रचना में पिछड़ी किसानी जातियों और दलित समुदाय की भूमिका भी महत्वपूर्ण है .

प्रेक्षकों का कहना है कि अब उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव के बीजेपी की रणनीति जल्दी ही अंतिम रूप ले लेगी. 

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