दिल थाम के रखिए,तूफाँ गुजर जाने के बाद
डॉ.आर.अचल पुलस्तेय
इन दिनों दिल के दौरे कार्डिएकअटैक या कार्डिएक अरेस्ट से मरने की खबर आम सी हो गयी है। कार्डियोलाजिस्ट चिकित्सकों का भी कहना है कि हृदयरोगियों की संख्या अचानक बढ़ गयी है।
किसी शायर ने कहा है “दिन थाम के रखिए तूफाँ के गुजर जाने के बाद” । मतलब यह कि तूफान के समय अफरा-तफरी का माहौल होता है,बहुत कुछ खत्म हो रहा होता है।इस बीच कुछ भी बचाने के लिए लोग कोशिश कर रहे होते हैं।मकानें गिर रही होती है,बाग उजड़ रहे होते हैं।परन्तु तूफान गुरजने के बाद बहुत सारे मकान जर्जर हो चुके होते है,जिन्हें ठीक समझकर लोग रहने लगते है,फिर धीरे-धीरे मकान गिरने लगता है,एक बार भी ध्वस्त हो जाते हैं।ऐसा भी होता है कि अफरा-तफरी में तूफान से बचने के लिए उपाय भी खतरे बन जाते हैं।
कोविड काल की भयावह त्रासदी गुजर चुकी है,काफी कुछ सामान्य हो चुका है।लगभग दुनियाँ के अधिकांश आबादी का वैक्सिनेशन हो चुका है।अब बूस्टर डोज भी दिये जा रहे हैं।इस बीच कार्डिएक अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से मरने की खबर आम सी हो गयी है। कार्डियोलाजिस्ट चिकित्सकों का भी कहना है कि हृदयरोगियों की संख्या अचानक बढ़ गयी है। कामेडियन राजू श्रीवास्तव की जिम करते हुए अचानक गिरने की खबर काफी वायरल हुई थी।इसी तरह योगा करती बीएचयू की एक छात्रा की मौत भी चर्चा में रही,गरबा खेलते,रामलीला खेलते,आरती करते,नाचते हुए अचानक गिर कर मरने की खबरे भी सुनने को मिल रही हैं। कुछ विशेषज्ञों कहना है कि कोविड के समय प्रभावित हृदय और फेंफड़ो के कारण भी ऐसा सम्भव हो सकता है, परन्तु इस संदर्भ में बड़े पैमाने पर डाटा उपलब्ध होने पर ही निश्चित रुप में कुछ कहा जा सकता है। हालाँकि कोरोना की दूसरी लहर के समय कुछ चिकित्सकों ने इस बात की आशंका भी जतायी थी।
इसी समय मीडिया स्वराज के एक कार्यक्रम में आईएमएस बीएचयू के हृदयरोग विभागाध्यक्ष प्रो.ओमशंकर एवं आयुर्वेद के प्रो.जे एस त्रिपाठी,प्रो.बी.के.द्विवेदी के साथ एक गोष्ठी में भी यह आशंका जाहिर की गयी थी। कोविड संक्रमण से उबरे लोगों को लगभग 6 महीने तक हृदय व फेफड़े के प्रति सजग रहने के लिए अगाह किया गया था।इस कार्यक्रम का संयोजन मैं स्वयं कर रहा था।
अखबारों में पढ़े या समाचार देखें तो आज कल अचानक मरने की खबरें तो दिख रही हैं,लगभग हर आदमी के किसी न किसी दूर-करीब के रिश्तो में अचानक मरने की दुखद खबरें मिल जा रही है।अचानक हृदय रोग विशेषज्ञों के पास मरीजों की लाइन भी बढ़ने के खबरें हैं,जो सोचने को मजबूर कर रही हैं,एक भयावह वर्तमान के साथ भविष्य के प्रति भी चिंतित करती हैं ।
इस संबंध में कुछ महामारी विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि लगभग हर आदमी महामारी के चपेट में आ चुका है।यदि नहीं आया है बचाव के लिए सेल्फ मेडिकेशन में लिए गये स्टेरायड भी इस स्थिति के कारण हो सकते है।कभी-कभी हड़बड़ी में बचाय के उपाय भी आदमी को ले डूबते हैं।
इस स्थिति के संदर्भ में विश्व प्रतिष्ठित साइंस जर्नल “नेचर” के 4 अगस्त 2022 अंक में सायमा-मे -सिद्दिक की एक केश रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। जिसके अनुसार एक अमेरिकन कार्डियोलाजिस्ट स्टुअर्ट दिसम्बर 2022 में वैक्सिन की पहली खुराक लेने के बाद बुखार आकर जल्द ही उतर गया परन्तु अगले दो सप्ताह तक खाँसी,शरीर में दर्द,ठंड महसूस होने के लक्षण बने रहे।इस बीच स्टुअर्ट न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में अपनी डयूटी करते रहे।क्रिसमस के दिन काफी स्वस्थ महसूस करने लगे थे,लेकिन सुस्ती के महसूस होती रही,सीढ़ीयाँ चढ़ने,तेज कदमों से चलने पर साँस फूलने लगती थी।इस स्थिति से निपटने में स्टुअर्ट को कई महीने लग गये। इन लक्षणों ने हृदयरोग विशेषज्ञ प्रो.स्टुअर्ट को चिंचित कर रही थी,क्योंकि कोविड-19 से उबरने के बाद महीनों तक हृदय के प्रभावित रहने की संभावना थी।जो उचित चिकित्सकीय देख भाल के न होने पर जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती थी।
प्रो.स्टुअर्ट ने स्वयं के अनुभव को अपने सहकर्मियों को बताया और आगे अध्ययन के लिए कहा।जिसमें वृद्ध चिकित्सा विभाग में अध्ययन के शुरु किया गया,जिसमें पाया गया कि ऐसे हालात से बहुत सारे मरीजो को गुजरना पड़ रहा है।कोविड-19 से स्वस्थ होने के बाद कार्डियोवैस्कुलर समस्यायें एक साल तक बनी रह रही है।जिससे हर्ट अटैक व कार्डिएक अरेस्ट के खतरे बने हुए हैं।जो लोग पहले किसी हृदय रोग से पीड़ित थे उनके साथ यह खतरा अधिक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हल्के संक्रमण के बाद जो लोग पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे है उनमें ये जटिलताएं वर्षो तक बनी रह सकती हैं,जो हर्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन रही हैं।छोट-छोटे कई अध्ययनों से ऐसा संकेत मिलते है कि कोविड से अरबों लोग संक्रमित हो चुके है,जिसमें बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें पता भी नहीं चल सका है।इस हालात में कोरोना महामारी के बाद कार्डियोवैस्कुलर महामारी की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता हैं।
फिलहाल इस संदर्भ में अधिक आंकड़े एकत्र किये जा रहे हैं।व्यापक आँकड़े आने का बाद ही निश्चित तौर पर कुछ कहा जा सकता है। शोधकर्ता यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि सबसे अधिक जोखिम में क्या है, दिल से जुड़ी ये परेशानियां कब तक जोखिम बनी रह सकती हैं और इन लक्षणों का क्या कारण हो सकता हैॽ
इस अध्ययन से जुड़े एक अन्य प्रो.काट्ज कहते हैं कि “हम नहीं समझते कि यह जोखिम आजीवन बना रह सकता है या कुछ दिन बाद खत्म हो सकता है।दिल का दौरा या स्ट्रोक या अन्य हृदय संबंधी घटनाएँ कैसे रहेगी, अभी हम कुछ नहीं कह सकते हैं। यहाँ वैज्ञानिक भी प्रकृति को देख रहे हैं।
सेंट लुईस विश्वविद्यालय वाशिंगटन के महामारी वैज्ञानिक ज़ियाद अल-एली के नेतृत्व में शोधकर्त्ताओं ने 150,000 से अधिक लोगों पर किये गये तुलनात्मक अध्ययन में इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि असंक्रमित लोगों की तुलना में तीव्र संक्रमित लोगों में दिल की सूजन और फेफड़ों में खून का थक्का जमने,डायबेटिज के अनियंत्रित होने की समस्यायें पायी गयी हैं।
सेंट लुईस विश्वविद्यालय वाशिंगटन के महामारी वैज्ञानिक ज़ियाद अल-एली के नेतृत्व में शोधकर्त्ताओं ने 150,000 से अधिक लोगों पर किये गये तुलनात्मक अध्ययन में इस निष्कर्ष पर पहुँचे है कि असंक्रमित लोगों की तुलना में तीव्र संक्रमित लोगों में दिल की सूजन और फेफड़ों में खून का थक्का जमने,डायबेटिज के अनियंत्रित होने की समस्यायें पायी गयी हैं।
इस संदर्भ में वैज्ञानिकों का एक समूह वैक्सिनेशन को लेकर भी सशंकित है। अमेरिका से सॉन फ्रांसिस्को से प्रकाशित एक प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल क्यूरियस के जनवरी 2022 अंक में “कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट आफ्टर कोविड-19 वैक्सिनेशन” पर एक केएस रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।जिसमें शोधकर्ता मदीहा सुभान वलीद,फिलिस सुएन आदि की टीम ने एक 56 वर्षीय व्यक्ति का अध्यनन किया है।जिसके पास कोविड-19 संक्रमण या पूर्व में किसी प्रकार के कार्डियोवेस्कुलर या कार्डियोपल्मोनरी रोग का इतिहास नहीं था,परन्तु बूस्टर डोज लेने के बाद अचानक कार्डियोपल्मोनरी अटैक हुआ।हाँलाकि इस रोगी को त्वरित चिकित्सा के दौरान बचा लिया गया,फिर भी इस वैक्सिन के प्रतिप्रभाव की संभावना को बल मिलता है। शोधकर्ताओं का कहना है,इस संबंध में अधिक अध्ययन और आंकड़ों की जरूरत है।कोई विकल्प न होने की स्थिति में वैक्सिन लेने से मना नहीं किया जा सकता है।
कनाडा के अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि दूसरे चरण के वैक्सिनेशन के बाद युवाओं में मायोकार्डाइटिस,पेरिकार्डाइटिस(हृदय में सूजन) पायी गयी।अलग-अलग किये गये 46 अध्ययन 8000 लोगों पर किया गया है।बूस्टर डोज के बाद अधिक संख्या में लोग प्रभावित पाये गये हैं।इस तरह के विचार अनेक वैज्ञानिकों के हैं।इसके संबंध इस विचार के वैज्ञानिको ने वैक्सिनेशन का अन्तराल बढ़ाने की राय दे रहे हैं।हाँलांकि इस तरह सूचनायें आम नहीं हो पा रही है,आज भी वैक्सिनेशन पर सरकारों द्वारा जोर दिया जा रहा है।परन्तु इन रिपोर्ट के आधार पर कुछ चिकित्सको,अधिवक्ताओं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाम्बे हाई कोर्ट में महापालिका द्वारा वैक्सिनेशन को मेंडेटरी किये जाने के विरुद्ध याचिका डाली है।जिसमें कोर्ट में उन अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया गया है।
फिलहाल सारे खतरों को देखते हुए इस समय हृदय और फेंफड़ो के प्रति सजग रहने का समय है। चिकित्सकों,शोधकर्ताओं के अनुसार कोविड संक्रमित व वैक्सिनेटेड लोगों के अलावा भी साँस फूलने,ब्लड प्रेशर के असंतुलन जैसे लक्षण मिलते ही अपने चिकित्सक से अवश्य सम्पर्क करना चाहिए।साथ ही सरकार और चिकित्सक संस्थानों को भी अलर्ट रहने की जरूरत है,अन्यथा हालात बिगड़ने पर कोविड जैसी अफरा तफरी मच सकती है।
(*लेखक-ईस्टर्न साइंटिस्ट शोध पत्रिका के मुख्य संपादक,वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस के संयोजक सदस्य एवं लेखक और विचारक है।)
नमस्कार,
ज्ञान वर्धक लेख।
लेखक को धन्यवाद और शुभकामनाएं।