यमुना में जहर घोलने के लिए कौन जिम्मेदार

यमुना में जहर घोलने के लिए कौन जिम्मेदार . इस समय छठ महापर्व की भूम है चारों तरफ जिसमें नदियों और जलाशयों में जाकर के लोग पूजा करते हैं अपनी इसके अलावा इलाहाबाद प्रयागराज में कुंभ की तैयारियां चल रही हैं संगम के तट पर गंगा और यमुना नदियों को और जलाशयों को हमारे देश में बहुत सम्मान के साथ देखा जाता है उनकी पूजा की जाती है बल्कि जिनसे भी हमको जीवन मिलता है उन सबकी हम प्रकृति के उसम पूजा करते हैं चाहे पीपल हो नदियां हो पहाड़ हो बहुत सारे ऐसे तत्व है जिनका हम सम्मान करते हैं पूजा करते हैं लेकिन जो यह नगरी और औद्योगिक सभ्यता है इसने विकास की अंधी दौड़ में और खास कर जो अनियोजित शहरीकरण हुआ है उस हमारे जलाशय और नदियां खास करके बर्बाद हो रहे प्रदूषित हो रहे कई तो सूख गई है

और सबसे बड़ी बात तो जिन गंगा यमुना को हम लोग मां का दर्जा देते हैं सम्मान देते हैं उनको नहीं बख्शा . हम अपना मल मूत्र मैला फकते हैं प्रवाहित करते हैं ऐसा ही एक मामला यमुना नदी का है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अभी कड़ी फटकार लगाई है सरकारों को नगर निगमों को मैं आपको याद दिला दूं कि यमुना नदी करीब 15000 फीट की ऊंचाई से यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और करीब 1400 किलोमीटर की यात्रा करके इलाहाबाद प्रयाग में गंगा के साथ उनका संगम होता है संगम प जैसा कि मैंने बताया आजकल तैयारियां चल रही है यमुना जी

उत्तराखंड हरियाणा दिल्ली होते हुए उत्तर प्रदेश आती है और इन चार राज्यों में है जहां हम उनसे पीने के लिए जल निकालते हैं सिंचाई के लिए नहर निकालते

2:44

हैं लेकिन हम इस तरह इस निर्ममता से जल निकालते हैं कि

2:50

उसमें बिल्कुल जल छोड़ते ही नहीं और आगरा शहर तक आते आते तो शायद नाम मात्र का रहता

3:00

हो यमुनोत्री का जल तो रहता हो अन्यथा सारा या तो व नीचे रिवर बेट से रिचार्ज

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होता है और या फिर वह नदीय जो तमाम नाले

3:12

है इनका प्रदूषण होता है और उसमें जो हिंडन नदी है जो आती है वहां गाजियाबाद से

3:18

उसका भी सारा पश्चिम यूपी का प्रदूषण है व शहरी आता है और यमुना में जीव जंतु भी अब

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मर गए हैं मछलिया तो बची नहीं तो सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जो फटकार

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लगाई है और 58 करोड़ का जुर्माना बरकरार रखा है जो नेशनल ग्रीन लने

3:40

लगाया उस पर आज हम बातचीत करेंगे और बातचीत के लिए हमारे साथ हैं डॉक्टर संजय

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कुलश्रेष्ठ जो आगरा में पीडियाट्रिक सर्जन है बच्चों के मतलब डॉक्टर

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है और डॉक्टर कुलश्रेष्ठ की याचिका पर ही

4:01

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 58 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगाया था आगरा नगर

4:08

निगम पर और उसके खिलाफ अपील में आगरा नगर निगम सुप्रीम कोर्ट गया था और जहां बहुत ी

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टिप्पणियां की है उन्होंने अपने फैसले में ना केवल रा

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है बल्कि यह भी कहा है कि पूरे देश में हमने

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नदियों को नरक बना दिया है तो सवाल यह है कि नदियों को कौन नरक बना रहा है डॉक्ट

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साब आपका स्वागत है कुल

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जी

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बना देखि म र पर देखे तो तीन कैटेगरी है जो जिम्मेदार है इस नर बनाने के लिए एक तो

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जनता या कहे शहर की जनता जो इसको इस्तेमाल करती वो सेम हम लोग ही है एक पहला तो और

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दूसरा हम कह सकते हैं कि इंडस्ट्री जैसा आपने कहा और तीसरा जो मुख्य है वो सरकारी

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अथॉरिटी एजेंसी जिन पर जिम्मेदारी है कि जो गंदगी इसमें जा रही है नदी में उसको

5:14

रोके और यदि पहुंच गई है तो उसको साफ करें तो इसमें जो मेरा मानना है कि जनता के

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द्वारा जो होता है और जो इंडस्ट्री के द्वारा होता है उसमें उनसे कहीं ज्यादा जो

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अथॉरिटी की जो यता है जिससे की गंदी जा रही है यमुना में उसको रोक नहीं पाते और

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जो पहुंच जाती है उसको व साफ नहीं कर पाते और जो गंदगी जा रही है उसम सबसे ज्यादा

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क्वांटम यह है कि जो शहर होते हैं और शहर के जो वेस्ट निकलता है वेस्ट निकलता है

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देखिए सीवर की फॉर्म में मलम निकलता है दूसरा वेस्ट निकलता है जो वेस्ट वाटर जो

5:53

सरफेस और जो और अन्य कारण से जो वेस्ट बनता है पानी शहरो का वो जाता है तो और

5:59

तीसरा सॉलिड वेस्ट भी निकलता है लेकिन अफसोस की बात है कि सॉलिड वेस्ट और ये जो वेस्ट वाटर निकलते हैं जो वहां कहना चाहिए

6:06

जो के तो पहुंच रहे हैं तो अथॉरिटी को जो रोकने का प्रयास करना चाहिए जैसे हमारे आगरा की आबादी शहरी आबादी मान लीजिए 20 22

6:14

लाख है तो जो जनता वहां इस्तेमाल कर रही है नदी किनारे है वो मजबूत त्याग कर रही

6:19

है गंदगी कर रही है मूर्तिया वित कर रही है वो एक अलग चीज है पर क्वांटम देखें तो

6:24

अथॉरिटी की वजह से क्वांटम बहुत तेजी से बढ़ रहा है और सीवर हमारे आगरा की बात

6:30

करें तो 400 एमएलडी में से काफी सीवर तो सीधा जा रहा है 130 एमएलडी तो जो कमेटी ने

6:38

पाया य सीधा गिर रहा है और जो इनडायरेक्ट गिर रहा है जो सी ट्रीटमेंट प्लान के जरिए

6:43

भी जा रहा है उनका भी शोधन पूरी मात्रा में नहीं हो रहा उनके बाद कना है जो ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं

6:52

वो भी कारगर नहीं है इफेक्टिव नहीं है ठीक से

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तो ये ये एक जिम्मेदारी है और जब पहुंच गया है उसको तो उसका भी शोधन करना चाहिए समय समय प जब आप शहर के नालों को हर साल

7:07

साफ करते हैं तो शहर की नदियों को चलिए आप साफ कीजिएगा अब उसम प्लास्टिक बोतल सॉलिड

7:13

चीजें नालों से बिना किसी फिल्टर के पहुंच रही है हमको अफसोस होता है कि जो जो

7:19

पिक्चर है वो अभी भी ज प तो है और डेढ़ दो साल जो पिटीशन की सुनवाई हुई उसके दौरान

7:25

भी कोई ऐसा फर्क नहीं लगा कि अंतर आया हो उसमें तो वो हम देख रहे हैं कि ये जो बेस

7:31

जाके गिर रहा है शहरों का इसकी रोकथाम और इसका उपचार आज एक प्राथमिकता होनी चाहिए

7:37

इंडस्ट्रीज का जो वेस्ट है जो जा रहा है वो एक इंपोर्टेंट चीज है उसम तो अथॉरिटी

7:42

को एक्टिव होना ही चाहिए लेकिन मेरा मानना हैन जो म्युनिसिपल वेस्ट है वो भी बहुत

7:48

ज्यादा पूरा दिल्ली शहर का और ये हिंड नदी के जरिए और भी तमाम जो शहर है नीचे बुल

7:54

शहर और ये सबका ये सब भी तो आ रहा है वहां हां देखिए ये जो आता है हर शहर के आगे

8:01

बराज बन जाता है तो आगरा से पहले जो जो जो शराब फैक्ट्रियां है जो

8:08

कागज वाली फैक्ट्रियां है ये सबका भी आ रहा है हां डाई फैक्ट्री इन सब का भी आ

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रहा है और जो एक मुख्य कमी ये है कि इसमें डाइल्यूशन नहीं हो पाता जैसे डाइल्यूशन

8:19

होने से काफी चीजें एक बार को जर्ब हो जाती है जैसे अब आगरा से पहले बारात बन गया मथुरा में तो आगरा में केवल बरसात के

8:26

दौरान दो तीन महीने पानी रहेगा नदी में उसके बाद उसम केवल जो शहर के नाले आ रहे वही कंट्रीब्यूट करते हैं व मतलब सूख जाती

8:33

है प्रैक्टिकली ना से ऊपर जो है ओखला बराज है

8:39

और उसके ऊपर हथनी कुंड बराज है हरियाणा में

8:45

क जी जी तो हथनी कुंड बैराज के बाद जो है वह वजीराबाद बैराज है तो इन सबसे धीरे

8:53

धीरे पानी निकाल लिया जाता है तो दिल्ली के बाद यमुना में को कोई यमुनोत्री का

9:00

पानी आता है या केवल नाले और रिचार्ज का ही आता है आपको लगता है कि यमुनोत्री का जो ग्लेशियर का पानी आता है कुछ लगभग लगभग

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कुछ नहीं बचता वो केवल नालों का कंट्रीब्यूशन होता है जो शहर का निकल रहा है वे वो आके मिल जाता है और वो थोड़ा

9:16

बहुत व एक गोकुल बराज है गोकुल बराज में वहा रोक लिया जाता है फिर प्रैक्टिकली

9:21

आगरा को कोई पानी नहीं मिलता ये अफसोस की बात है कि पिछले कई सालों से आगरा वासी या

9:27

आगरा वासियों को नोत्री के पानी का एक पर भी हिस्सा नहीं मिलता कोई हिस्सा नहीं

9:33

मिलता सिर्फ दिल्ली का मथुरा का मलम मल

9:39

मूत्र नालों का पानी मिलता है और इसकी वजह से हम लोग यमुना का पानी

9:44

ना पी के गंगाजल आ रहा है बुलंद शहर से पडला फाल से अफसोस की बात है देश की इतनी

9:50

लंबी नदी उसका पानी आगवा से इस्तेमाल कर पा रहे गंगा का पानी आता है पाइपलाइन से

9:56

हम लोग वो पानी पी रहे हैं मजबूरी में क्योंकि जो यह पानी जो है यह वाटर बक्स के

10:01

शोधन के बाद भी पीने योग नहीं है सरकारी अथॉरिटी ने इसको एनवायरमेंट मिनिस्ट्री ने

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इसको अयोग्य घोषित कर दिया है कि ये शोधन के बावजूद भी नहीं पी सकते इसको केवल इंडस्ट्रियल परपस के लिए या

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केवल कितना दुख का विषय है कि यमुना जी जिनको हम सूर्य पुत्री कहते हैं और उनको

10:22

हम अपना मल मूत्र पिला रहे हैं और आगरा वासियों को तो वो मतलब किसी लायक नहीं

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बसता बल्कि उससे बीमारियां जन्म हो रही है आपको कुछ बता सकते हैं आप तो डॉक्टर हैं

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कि किस किस तरह की बीमारियां इस पोल्यूटेड वाटर से हो रही है वहां आगरा में सब सबसे

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ज्यादा जो इसमें बीमारी फैल रही है वो इंफेक्शन वाली फैल रही है और दूसरी है कि

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केमिकल वाली होती है तो इंफेक्शन वाली हेपेटाइटिस है जैसे लिवर की जंडिस वगैरह

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काफी मात्रा में है डायरिया इनसे काफी फैलता है क्योंकि कंटेम है हम हम कह सकते

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है कि सीजन में टाइफाइड की मात्रा वायरल हेपेटाइटिस की मात्रा अत्यधिक होती है और

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क्योंकि हम इनको बहुत रिलेट नहीं कर पाते लेकिन इनकी अगर सर्वे करेंगे तो वो इडेंस इनसे जोड़ी जा सकती है क्योंकि यही पानी

11:13

शोधन के बावजूद भी पीने योग नहीं होता तो ये एक बहुत बड़ा संकट है और केमिकल वाला

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भी एक अच्छा फैक्टर है जो डाई इंडस्ट्री है और जो अन्य तरह के केमिकल आते हैं वो भी इसमें एक तरह का बीमारी फैलाते है और

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जानवरों में भी फैलाते है ऐसा नहीं हैय इंसान के साथ हो जानवरों में बीमारी फैलती है और जानवरों से फिर वापस इंसानों में

11:32

आती है इस तरह की बीमारिया और करीब पाच सात करोड़ की जनता है आग म यमुना के

11:38

किनारे इसम 20 लाख तो आगरा शहर की है तो

11:44

आपको य आपने कहा कि बुल शहर से गंगा जल आता है पीने के लिए तो क्या वह सबको मिल

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पाता है गरीबों को अमीरों को सबको मिल पाता है वो देखिए आगरा की बात करें तो आगरा के

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वार्ड अगर सारे वार्ड में देखें तो केवल 60 70 फीस वार्ड ऐसे जिनको पाइपलाइन के

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जरिए पानी जिनको सरफेस वाटर मिलता है पाइपलाइन के जरिए और करीब 30 4 फी आबादी

12:11

अभी भी ग्राउंड वाटर पर निर्भर है जिनको सीधा पाइप से नहीं मिलता या जिनको ग्राउंड वाटर इकट्ठा करके दिया जाता है तो गंगाजल

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केवल ग्राउंड वाटर भी तो वहा पोल्यूटेड है हां हा हा हम हमने ग्राउंड वाटर के लिए भी

12:26

हमने एक पिटीशन दाखिल की थी और उसम भी ज कमेटी ने एग्जामिन किया था तो उन्होंने पाया था कि इसमें फ्लोराइड की मात्रा

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इसमें कैल्शियम की मात्रा नाइट्रेट की मात्रा जो फर्टिलाइजर से आ रही है अत्यधिक है और कमेटी ने घोषित कर दिया था कि

12:40

ग्राउंड वाटर पीने योग्य नहीं है और गवर्नमेंट एजेंसी को सरफेस वाटर को जलाशय

12:45

का और नदियों का पानी जनता को देना चाहिए पर चिंता की बात है कि अभी इस पर को संज्ञा नहीं लिया गया है अभी भी वो

12:52

ग्राउंड वाटर पीने को मजबूर है और सबसे बड़ी बात ये है जो मुझे दुख होता है कि जो गरीब तबका आपने नाम लिया देखिए जो पैसे

12:59

वाले हैं वो डायरेक्ट ले लेते हैं नहीं तो सबमर्सिबल लगा के ग्राउंड वाटर दे लेते हैं उनके पास फिल्टर है आरो है वो पी लेते

13:06

हैं अब आज के समय में हैंड पंप और कुए खत्म हो चुके हैं क्योंकि पानी खींच लिया गया और लेवल बहुत नीचे चला गया है तो जब

13:14

हैंड पंप खत्म हो गए कुए खत्म हो गए तो वो बेचारे उनके पास इतना पैसा नहीं होता ना इतना स्पेस होता है घरों में कि वो समर्स

13:21

लगा सके वो मजबूर हो गए पैसे से पानी लेने के जो बेचारा दिन भर में 00 कमा रहा

13:27

है जी पैसे से से तो पानी लेने के लिए वो मजबूर हो गए हमने देखा कि बहुत सारे लोग

13:32

सीधे भी जाके यमुना जी में नहाते हैं धोते हैं अभी भी मजबूरी है उनकी बहुत सारे लोग

13:39

उनको इस्तेमाल करना पड़ता है वो जो प्रदूषित जल है जो बहुत हानिकारक

13:44

है देखिए कुछ तो वो रिचुअल है उनकी आस्था है वो बेचारे सोचते कि आए तो डुबकी

13:50

लगाएंगे ही लगाएंगे तो बीमारी फैलती भी है और कुछ की मजबूरी है जो यमुना किनारे जो बेचारे गांव है जहा पानी नहीं मिल रहा और

13:56

जहां अप्रोच नहीं है तो मेरे बस कहने मतलब ये कि एक अमीर आदमी को अगर पानी पीने का

14:01

खर्चा ज्यादा अख रहेगा नहीं अगर उसको खरीदना पड़े और वो गरीब आदमी जो 00 महीने

14:07

कमा रहा है उसका अगर हजार डेज रुप पानी में खर्च हो जाए जो कभी पहले नहीं हुआ करता था तो उसकी तनख का दज में व हजार रप

14:14

बहुत मान्य रखता है उसको अपने और भी खर्चे करने है बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलिंग के लिए तो उसमें पानी का कंट्रीब्यूशन

14:20

उसके लिए बहुत बड़ा मान्य रखता है तो ये एक बड़ी चीज है विचारणीय कि गरीब तक का सबसे ज्यादा सफर कर रहा है पीने पानी की

14:27

समस्या से अभी आदमी को चिंता नहीं है मानता है गरीब तबका सबसे ज्यादा सफर कर रहा है

14:35

तो मैं आपसे जानना चाहूंगा कि गरीब जो है वोटर तो है आज के सिस्टम में वह अपने

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जनप्रतिनिधि चुनता है जिनका काम है पॉलिसी बनाना या डेवलपमेंट की देखरेख करना तो

14:48

वहां के चुने हुए जनप्रतिनिधि क्या कर रहे हैं आगरा के चाहे वो सांसद हो विधायक हो

14:53

या पार्षद हो वो लोग क्या कर रहे हैं मेयर है क्या कर रहे हैं लोग आपने तो पिटीशन किया आप चिंतित है नागरिक चिंतित है वो

15:01

लोग क्या कर रहे हैं जिनका काम है आपने बहुत सही बात पूछी है देखिए हम लोग अपना

15:08

प्रोफेशन छोड़ के अपना काम छोड़ के हमको वहां अगर दिल्ली चक्कर लगाने पड़ते हैं

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पूरे दिन का हमारा आने जाने खर्चा होता है प्रैक्टिस का भी नुकसान होता है लेकिन मजबूर हो गए क्यों मजबूर हो गए क्योंकि

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जनप्रतिनिधि या जो जिम्मेदार लोग हैं उन परे कोई असर नहीं पड़ रहा और अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि पर्यावरण या नेचर या

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पर्यावरण मुद्दे अ चुनाव का मुद्दा नहीं बन पा रहे पिछले कई सालों से सरकारें आती

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जाती रहती है और उनका ध्यान इस पर नहीं है उनकी अन्य मुद्दे उनके लिए प्राथमिकता है

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जनता भी निष्क्रिय है जनता भी कई बार देश और धार्मिक मुद्दों में उलझ जाती है पर्यावरण के मुद्दों में आगे नहीं आती

15:45

जनप्रतिनिधि समझते हैं कि ठीक है भाई उनके लिए मुद्दा नहीं है वोट उनको मिल रहे हैं जीतम रही है तो देखा जाएगा और जो

15:51

जनप्रतिनिधि जो पार्टियां ये कह के आती है कि हम सबसे ज्यादा हमें आस्थावान है हम

15:58

धर्म रखते और इनका ध्यान रखेंगे इसी मुद्दे प जीतती वो भी ध्यान नहीं देती है

16:03

पहले य था कि डबल इंजन सरकार है ट्रिपल इजन सरकार है

16:09

यहां के पार्षद भी एक ही पार्टी के है राज्य में भी एक ही पार्टी है देश में भी वही पार्टी है लेकिन अफसोस की बात है कि

16:15

यमुना का हाल बद से बदतर होता जा रहा है यहां तक की बराज वगैरा हमने बोलिए हमने

16:21

तीन मुद्दे उठाए थे वहा तीन प्रार्थना की थी इसकी नदी की गहराई बढ़ाई जाए नदी में

16:28

बराज बनाया जाए जाए और सारे पानी को एसटीपी के जरिए जोड़ा जाए तो एसटीबी वाले मुद्दे प बात हुई थी लेकिन अफसोस की बात

16:35

है बरा की घोष होने के बाद भी उद्घाटन होने के बाद भी अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई है बारात बनने से क्या है कि

16:41

डाइल्यूशन हो जाता है जो हमने एक मुद्दा उठाया था कि जो मछलियां मर गई मछलियों के मरने से क्या होता है कि जो कीड़े लारवा

16:48

वगैरह न खाती थी उनके कारण कीड़े पड़ रहे और ज वो कीड़े ताजमहल को हरा कर रहे हैं

16:54

गंगी कर रहे वजा की तो ये मुद्दा भी जोड़ा था वहां मछलिया जल जीवन खत्म हो गया एकदम

17:01

से मछलियों के मरने का साफ संकेत है कि वो

17:06

पानी जहरीला हो गया है तो खत्म हो

17:12

गई उसमें ऑक्सीजन खत्म हो गई वह पानी किसी लायक नहीं रह गया अच्छा मैं आपसे जानना

17:18

चाहता हूं कि आपने मुकदमा किया एनजीटी ने उस पर जुर्माना कर दिया 58 करोड़ कुछ लाख

17:24

का सुप्रीम कोर्ट ने उसको बहाल रखा तो आपको क्या लगता है इस जुर्माने से क्या

17:30

होगा ये उलटे तो जनता का ही पैसा अगर नगर निगम देता पोलूशन बोर्ड को देता भी है तो

17:37

उससे क्या लाभ होना है हां एक्चुअली हम लोग मैं तैयार था

17:45

इसमें आगे जवाब और आगे उसके लिए अपनी बातों को रखने के लिए लेकिन वो पहली तारीख

17:52

में ही उन्होने उनको प्रथम दृष्ट उनको उसम बहुत उसम मेरिट नहीं लगी तो उन्होने रिजेक्ट कर दिया यदि आगे जाता उनकी सील

17:59

अपील में और हमको और आर्गुमेंट का मौका मिलता तो यही बात उठाते आप जो कह रहे हैं यह कुछ ऐसा फाइन है जिसम की पैसा आपकी एक

18:07

जेब से निकाल के दूसरी जेब में रख दिया जाए एक सरकारी एजेंसी से दूसरे निगम

18:15

जनता और ये मेरा पैसा है सरकार का भी नहीं है ये टैक्स पेर का पैसा है आपर के पैसे

18:21

से आप केवल एक खाना पूरी कर रहे हैं कि एक एजेंसी से दूसरी एजेंसी को पहुंचा रहे हैं

18:26

तो इसमें कुछ कॉस्ट भली टोकन मनी उन ऑफिसर के उन एजेंसी पर लगनी चाहिए थी जो इस

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जिम्मेदार है अगर उनकी जेब से कुछ नहीं देना पड़ा तो उनको क्या फरक पड़ेगा और य

18:37

पैसा सर जो लोग जनजीवन खतरे में डाल रहे हैं बीमारियों के कारण इतने लोग की मृत्यु

18:44

हो रही है कायदे से तो उनको जेल जाना चाहिए जुर्माने से क्या

18:50

मतलब देखिए कोर्ट ने एनजीटी ने बड़ा सिलसिले उन्होने पॉइंट डिवा आखिर में यह

18:57

भी कहा था कि इसमें काफी कुछ पैसा वेस्ट भी हुआ है इसमें क्रिमिनल लायबिलिटी भी है

19:03

उन्होंने प्रिवेंशन ऑफ मनी ल्री एक्ट का भी हवाला दिया हालांकि उन्होंने डायरेक्टली उस पर कोई ऐसा उन्होंने कहा कि

19:10

इसमें ये सब भी बनता है यहां तक कि चले गए थे क्योंकि वो बहुत नाराज थे उन्होंने

19:15

उन्होंने जो कमेटी ने मान लिया कि हां हमारा इतना सीवर डायरेक्ट गिर रहा है हमारी ये खामिया है उसके बावजूद भी डेढ़

19:21

साल में कोई संज्ञान नहीं लिया तो उनको काफी बुरा लगा उन्होंने कहा हमारी कोई मतलब हमारी तक की बात नहीं सुन रही सरकारी

19:28

एजेंसी तो उनको काफी अफसोस हुआ तो उन्होंने इतना डिटेल में इतना मेटिकल

19:34

जजमेंट खा है कि सुप्रीम कोर्ट को कहीं कोई गुंजाइश लगी ही नहीं पहली बार में ही

19:39

इसम कोई गलत हुआ या एनजीडी ने कोई ऐसे कोई छोड़े अपने निर्णय में कि कहीं उनको

19:46

चैलेंज किया जा सके अगर ये आता तो मैं जरूर इस मुद्दे को उठाता वहा सुप्रीम कोर्ट में जो आप बता रहे हैं ये टैक्स

19:52

पेयर से आप एक तरह से खाना पूरी कर रहे है 800 करोड़ से लेक 2000

19:59

एक पहलू और भी है कि नगर निगम नगर निगम को

20:04

तो सरकारों ने पावरलेस कर दिया है जैसे और देशों में सिटी गवर्नमेंट का कांसेप्ट है

20:11

जितने लोकल मसले हैं वह सिटी गवर्नमेंट यानी मेयर और नगर निगम उसको निपटा आता

20:17

हमारे यहां तो सिस्टमिकली सरकार ने जो सेंट्रलाइजेशन किया है उसमें एक तो जो नगर

20:24

आयुक्त होता है व सीधे राज्य सरकार से गवर्न होता है वैसे भी मेयर की और

20:30

पार्षदों की नहीं सुनता दूसरे सिस्टम हम लोग ने जो विकास प्राधिकरण का बना दिया है

20:36

कि वो नई नई कॉलोनिया नदियों के किनारे बनाते हैं और उसमें सिवर डिस्पोजल का कोई

20:41

सिस्टम नहीं होता है तो बहुत बड़ा जो योगदान तो इन विकास प्राधिकरण का है जो

20:46

शहर का विनाश कर रहे हैं देखिए मैं य कह सकता हूं एक एपल देता

20:53

हूं जिन शहर में नदिया नहीं होती तो क्या व सीवर का इंम नहीं होता है क्या हर शर के

20:58

आसपास नदी है तो क्या नदी है तो आप उसको मिसयूज करेंगे अरे भाई जहां नदियां नहीं

21:05

होती है वहां भी तो आप विकास करते हैं कॉलोनी बनाते हैं सीवर का मैनेजमेंट करते हैं जो इंडस्ट्रीज है उनके लिए नियम है कि

21:12

इंडस्ट्री के आसपास जो भी एलेट निकलता है उनके लिए मैंडेटरी है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि इंडस्ट्रीज को अकेला बनाए

21:19

अगर कोई क्लस्टर है कोई जोन है तो वो मिलके बनाए और एफ ट्रीटमेंट प्लान बनाए ये उनके लिए मैंडेटरी है तो ऐसे ही विकास

21:26

प्राधिकरण की जिम्मेदारी है कि वो नदी को देखे ही नहीं नदी के अलावा कोई और किसी

21:31

डायरेक्शन में जाके उसका ट्रीटमेंट प्लान करें और उसका आगे जाके समुचित एग्रीकल्चर में पार्क बनाने में हमने उनको काफी

21:38

एडवाइस दी थी अब ली में एल का ट्रीटमेंट का वन को विकसित करने में है ग्रीन बैड

21:45

बनाने में है एग्रीकल्चर लड बनाने के लिए है तो आप इस तरह से प्रोजेक्ट बनाइए जो विकास होगा और नदी जाएगा ही नहीं डॉक्टर

21:53

साहब कानपुर में एक प्रोजेक्ट ऐसा था कि उसमें गंगाजल मिक्स करके और व खेतों के

21:59

लिए और ग्रीन के लिए देखें देंगे लेकिन हो क्या रहा है कि वहां पर गंगाजल तो बिल्कुल

22:06

नहीं उसमें मिक्स करते हैं शुद्ध श सीवर का जहरीला केमिकल युक्त चमड़ो का जो उसमें

22:11

सारा हार्मफुल जो है वह क्रोमियम युक्त जो है वह पानी जा रहा है और उससे लोग बीमार

22:18

पड़ रहे हैं फसले खराब हो रही पेड़ खराब हो रहे हैं जानवर उसमें बीमार पड़ रहे हैं

22:23

तो मुझे लगता है कि यह इसको ठेलना जो है मैंने एक यह भी देखा कि कुछ र मिलो ने भी

22:29

अपना जो है वो उसको ठेल दिया खेतों में तो मुझे लगता है कि वो उसका नहीं है एक तो यह

22:36

जो अंधाधुन शहरीकरण हो रहा है और लोग जिनको जरूरत नहीं है यह केवल निवेश के लिए

22:43

इन्वेस्टमेंट के लिए और पैसा कमाने के लिए घर खरीदते चले जा रहे हैं विकास प्राधिकरण और प्राइवेट बिल्डर मुझे लगता है इस कुछ

22:51

रोक लगनी चाहिए जो जो अनियोजित जो मतलब अनियंत्रित विकास है उतना ही ने चाहिए

22:59

जितनी की जरूरत है खैर मैं एक सवाल आपसे ये भी जानना चाहता हूं कि इसमें तो कायदे

23:04

से पोलूशन बोर्ड को जिम्मेदार ठहरा जाना चाहिए और प्रदूषण बोर्ड भी इसका सबसे बड़ा

23:11

गिटी है उनका तो काम ही है उनको और आप पैसा दिला रहे जिनका काम है रोकना वहां इतना भ्रष्टाचार है जो पोल्यूशन बोर्ड के

23:18

लोग जाते हैं नमूना लेने मैंने एक बार देखा था वोह दूर से नमूना लेते हैं जहां

23:23

गंदगी होती है वहां नहीं लेते हैं तो जिनका काम है रोकना उन्हीं को आप ने पैसा

23:28

दिलवा दिया तो आपने तो उनको और भला कर दिया मैं आपको एग्जांपल देता हूं हमारे

23:34

एनजीटी के इसी केस में उन्होंने एक रिपोर्ट दाखिल करी पोलूशन बोर्ड वालो ने 40 नालों के सपल

23:43

लिए जो एसटीपी से होकर नहीं आ रहे थे 40 नालो के और जो नाले सीधे सीवर के साथ गिर

23:49

रहे हैं उस पानी का इन्होने दिखाया था जीरो बैक्टीरिया एक नाला नहीं

23:59

मैंने गंगा यमुना गंगा यमुना गोमती हिंडन तमाम नदियों का मैं खुद मौके पर जाकर

24:06

स्टडी करने गया था तो मैंने देखा कि पोलूशन बोर्ड के लोग ही वहीं से बेईमानी

24:11

शुरू होती है जो और खास करके फैक्ट्री वाले वही से मतलब पानी का सपल लेने में

24:18

होता है क्या ये संभव है कि सीधा नाला गिर रहा है उसम बैक्टीरिया जीरो हो ऐसा हो

24:23

सकता है एक में नहीं दो में नहीं 40 नालो में हो ऐसा तो मैंने वहा यही कहा माननीय ट्रिब्यूनल से कि सर यह तो डिस्टल वाटर

24:31

में होता है जो हम लोग इस्तेमाल करते हैं डिस्टल वाटर में भी हो सकता है वरना आप कहीं का पानी ले लीजिएगा अपने घर के नल का

24:39

ले लीजिएगा दो चार बैक्टीरिया मिल जाएंगे तो ये इसमें कुछ डाउट लगता है और हम लोग जैसे हमें कोई अगर रिपोर्ट डाउटफुल लगती

24:46

है तो ब डॉक्टर हम उसको रिपीट कराते हैं या उससे कहते हैं लेब वाले से भाई इसको जरा तुम रिव्यू करो इसमें रिपोर्ट सही

24:52

नहीं लग रही तो इनको ध्यान में नहीं आया कि 40 नालो में नेगेटिव रिपोर्ट है आप एक नेशन लेवल ग्रीन ट सबमिट कर रहे हो ये क

25:00

जीरो बैक्टीरिया है तो बहुत ट लगाई उन्होने ल ने बो आप पी लेंगे इस पानी को जिसको जीरो बैक्टी बता रहे तो वहा म ऐसी

25:07

चीज हैना देखिए साब य एनजीटी वगैरह भी दिखाने

25:14

हाथी के दात होते हैं दिखाने वाले और बल्कि यह खुद इंडस्ट्री को ही फैसिलिटेट

25:21

करते हैं तमाम पेड़ काटने की परमिशन देते हैं तमाम और जो चीजों को प्रोजे अप्रूव

25:26

करते हैं उसे जनता का कोई भला नहीं होने वाला मैं एक आखिरी एक बिंदु बड़ा

25:31

इंपॉर्टेंट है नमामी गंगे प्रोजेक्ट के नाम पर गंगा यमुना हिन गोमती तमाम की सफाई

25:38

पर अरबों रुपया खर्च हुआ उसका आगरा पर कोई असर

25:43

पड़ा देखिए मैं एक जनरल बात कहता हूं पैसे से जो अर्बन समस्या है चाहे पानी की हो

25:51

नदी की हो ट्रैफिक की हो केवल पैसा कितना भी आप शहर में पंप कर दीजिएगा हजारों

25:56

करोड़ वो समस्या नहीं ठीक हो सकती जबकि ब्यूरोक्रेटिक बिल ना हो पॉलिटिकल बिल ना

26:02

हो और जब तक नियमों का एग्जीक्यूशन ना हो नियम बनाने से पैसा डालने से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला देखिए 3000 2000 करोड़

26:09

हमारा आगरे में खर्च हो चुका है अभी 58 करोड़ क्या भला कर देगा आगरे का पता नहीं इस 58 करोड़ से क्या पर्यावरण सुधर जाएगा

26:16

नद सु सुधरेगी पता नहीं 000 का जो करोड़ का फायदा नहीं हुआ कुछ वहां दिखा नहीं तो

26:21

इसका क्या होगा तो ये समय बताएगा लेकिन पैसे से हम लोग केवल क्ति पूर्ति करते हैं

26:27

चाहे कोर्ट हो पेड़ की जगह 100 की जगह ह पेड़ लगा दीजिएगा तो पैसा इसका सलूशन नहीं है विल

26:35

चाहिए पॉलिटिकल ब्यूरोक्रेटिक बिल और नियमों का अच्छी तरह से उनका पालन है तभी

26:41

कुछ हो पाएगा पैसे के कोई मतलब नहीं है ये तो पैसा साइफन हो जाएगा करप्शन में भ्रष्टाचार में चला जाएगा और सिस्टम में

26:49

भी मुझे लगता है कि एक जगह होना चाहिए कि बक स्टप शेयर सारी

26:55

जिम्मेदारी हमको लगता है कि जो नगर निकाय है नगर निगम उनको एंपावर करना चाहिए उनको

27:01

जो पंगु बना दिया है तो और यह तमाम संस्थाएं केवल बहाना बनाने के लिए है कि

27:07

राज्य सरकार जाने पोलूशन बोर्ड जाने एनजीटी जाने फिर सुप्रीम कोर्ट जाने तो ये गेंद इधर से उधर उछल रती है मुझे लगता है

27:14

कि अगर केवल सिटी गवर्नमेंट बनाए तो कम से कम नागरिक जाके मेयर का पार्षद का जो है

27:21

वोह कुर्ता तो खींच सकते हैं वह कहते हैं हमें पावर नहीं है तो सिटी गवर्नमेंट को

27:27

मजबूत बना मुझे लगता है ताकि एक ही एजेंसी जिम्मेदार रहे मुझे लगता है यही इसका

27:32

सलूशन है अदर वाइज तो फर वो सब बहानेबाजी करते हैं कि साहब उन्होंने कर दिया उन्होंने कर दिया एसटीपी उन्होंने लगाया

27:39

उन्होने हरे पेड़ काटने की परमिशन नहीं दिया कॉलोनी प्राधिकरण ने बना दिया और फिर

27:46

एनजीटी चले गए ये सब समय की बर्बादी होती है और कुछ होता नहीं तो एक अथॉरिटी नगर

27:51

निगम को ही जैसे और देशों में होता है कि नगर निगम जो है वो वही पावरफुल होता है

27:57

मेयर को सारी शक्तियां होती है ताकि वो अपने शहर की प्लानिंग और उसकी समस्याओं को

28:03

जो है वो देख सके और जिम्मेदार माना जाके आपको लगता है कि इस तरह करने से कुछ फायदा

28:10

होगा हां देखिए जिसको भी जिम्मेदारी दी जाए हमारे जो यूपी के कानून के हिसाब से

28:16

जो नियम थे तो एनजीटी ने पाया कि नगरपालिका का

28:22

जो कहना चाहिए जो सीईओ समझ लीजिएगा जो सारी चीज एग्जीक्यूट होती है वो नगर

28:28

आयुक्त है इसलिए उन्होने जो परिभाषा के बतौर उन्होने उनको जिम्मेदार राया या वो

28:34

जिससे काम कराएंगे अगर वो नगर आय किसी अपनी सब्सिडरी एजेंसी से काम कराते हैं

28:40

प्राइवेट से कराते हैं तो वो सब जिम्मेदार हो जवाब देही जरूरी है अगर पैसा बस गया

28:48

पैसा विकास प्राधिकरण और पोलूशन बोर्ड और जो जल निगम है जो नमाम गे में काम कर रहा

28:54

है वो तो नगर आयुक्त के अंडर में नहीं है इन्होने एक अलग अलग संस्थाए बना दिया जो पैसा आ

29:01

रहा है व जल निगम को दे दो बाजार नगर निगम को दे दो जहां जमीनों से इनकम होनी

29:09

है तमाम बिल्डर को इनकम होनी है वो विकास प्राधिकरण तो नगर निगम को इन्होने केवल

29:16

झाड़ू पोछा पकड़ा दिया है नगर निगम के पास पावर ही नहीं है देखि इने

29:24

विस्तार उतनी विस्तार से नहीं जानता लेकिन मैं बस कह सकता हूं कि जो आम आदमी है वो

29:30

इसको इतना नहीं ज्ञान है लेकिन ये जो हमारे जनप्रतिनिधि है जो एमपी है जो अपनी राज्य सरकार है इसमें अपनी खामियों को खुद

29:37

ही ढूंढना चाहिए और उन खामियों को दूर करें और जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी बने पैसा बेस्ट होने प बड़ा

29:43

दुख होता है यदि हमारे घर का अपना पर्सनल पैसा अगर वेस्ट होता है अपने घर में तो हमें कितना बुरा लगता है और पैसा एक बार

29:49

वेस्ट हो गया अब किसी अधिकारी से कीजिए कि साब ये पैसा बेकार गया आप तो कोई बात नहीं दोबारा कर लीजिएगा अगर कहीं क्षति हो गई

29:56

या पानी की या सड़क की तो दोबारा बरा देंगे दोबारा बना देंगे आप उनसे कहते हैं कि सबब दोबारा आप इसम जांच कराए किसकी वजह

30:03

से पैसा बेकार गया अरे वो नहीं हो पाएगा आप दोबारा करवा लीजिएगा दोबारा करवा लीजिएगा पैसा और ले लीजिएगा दोबारा कमीशन

30:09

मिल जाएगा दोबारा इनकम हो जाएगी सबकी मत कहिए जिम्मेदारी के लिए मत कहिए

30:16

आप हमसे पैसा ले लीजिएगा अपने भारत में इतना पैसा है कहने को ये डेवलपिंग कंट्री है इतना पैसा है जितना डेवलप कंट्री के

30:23

पास नहीं है बशत वो पैसा सही तरी से उसका 10 पर भी इस्तेमाल हो जाए वे होता है वे प

30:28

किसी की जवाब देही नहीं है आप कुछ कह नहीं सकते अब देखिए इका दुका लोग हम जैसे चले गए कोर्ट प रना कौन जाना चाहता है किसी के

30:35

पास नहीं हमको तो ये लगता कि भाई कुदरत के साथ इतना गलत हो रहा है हमारी जिंदगी तो निकल गई काफी कुछ अब जो थोड़ी बहुत जिंदगी

30:40

नई जनरेशन है तो इनके लिए कुछ अपना बच जाए कुछ हो जाए तो हो जाए बट हमको क्या करना है देख हमारी जिंदगी निकल गई हमने वो समय

30:47

देखा है जब छोटे बच्चे थे लगता है कि हमको जन्मत जागृत करना

30:52

चाहिए क्योंकि कोर्ट कचेहरी से कुछ होगा नहीं समय बर्बादी है जब आपके जैसे हजार

30:58

दोज लोग जब उठ खड़े होंगे आगरा में तब शायद सरकार और जनप्रतिनिधियों के कान में

31:04

जिसको कहते हैं जू रगी तो जनमत जागृत करना चाहिए लोगों को अपना संगठन बनाक और अपने

31:10

जनहित के मुद्दों पर संघर्ष करना चाहिए बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्ट साहब आपसे बातचीत करके बहुत अच्छा लगा आप जनहित के मामले

31:17

में आपने अपना इतना परिश्रम खर्च किया अपना इतना अपना समय दिया और आपने इस मुद्दे को उठाया आपसे बातचीत करके बहुत

31:24

अच्छा लगा बहुत-बहुत धन्यवाद नमस्कार h [संगीत]

Note : This script generated by Computer AI so forgive spelling mistakes

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