कोरोना मुसीबत में हुज़ूर पूछते हैं – हम आपके हैं कौन ?

कोई है जो सरकार को झकझोरे?

राम दत्त त्रिपाठी, राजनीतिक विश्लेषक, लकनऊ 

 पूरी दुनिया देख रही है कि भारत के लाखों सम्मानित नागरिक , महिलाएँ, छोटे- छोटे बच्चे सड़कों पर थके हारे भूखे प्यासे व्यवस्था के हाथों अपमानित और प्रताड़ित हो रहे हैं.

उनकी चीख पुकार , करूण क्रंदन को अनसुनी करती व्यवस्था मुँह चिढ़ा रही है, “हम आपके हैं कौन?”

भारतीय नागरिक citizens शायद Covid19  से ज़्यादा  सड़क हादसों, road accidents भूख और हताशा में ख़ुदकुशी से मरेंगे. फिर उनकी आत्माएँ संसद भवन Parliament और विधान सभाओं Legislature में अपने कष्ट का हिसाब माँगेंगी.

उनको दूर – दर्शन से सम्बोधित करने की सुविधा तो मिलेगी नही. 

सबसे पहले तो इस व्यवस्था ने उनके लिए एक नया शब्द गढ़ लिया , Migrant Labours प्रवासी श्रमिक , यानि वही गिरमिटिया मज़दूर जिनके लिए मोहन दास करम चंद  गांधी अफ़्रीका में खुद पिटे, लात और लाठी खायी , जेल गए.  सम्पन्न राज्य इन्हें शायद बँ बंधुवा  मज़दूर bonded labour  समझते हैं.

कृपया इसे भी देखिए : https://mediaswaraj.com/weeping_father_delhi_son_died_bihar/

बिहार के राजा  Bihar Chief Minister ने फ़रमान सुना दिया कि जो जहां है वहीं रहे.

उत्तर प्रदेश वाले महराज  Uttar Pradesh Chief minister का हुक्म है कि कोई पैदल, साइकिल से सड़क पर न चले, और चले तो मार खाने के लिए तैयार रहे.

तथाकथित सम्पन्न राज्यों  के मालिक  लोग चाहते हैं कि ये तब तक अपनी कोठरियों में भूखे प्यासे पड़े रहें, जब तक खदान, कारख़ाने, होटल नहीं खुल जाते. सस्ते मजूर  भी तो चाहिए हुज़ूर को.

करोड़ों यात्रियों को रोज़ ढ़ोने  वाली भारतीय रेल Indian Railways के मालिक Railway Minister रोज़ टीवी पर  कह रहे हैं कि  पहले राज्य हमको सूची दे कि किस स्टेशन से कितने मज़दूर चढ़ने हैं, एडवांस किराया जमा करें तब हम ट्रेन देंगे. वह भी इन नागरिकों को पहले कलेक्टर साहब की लिस्ट में अपना नाम डलवाना पड़ेगा और अपने खर्चे से कोरोना निगेटिव का प्रमाणपत्र  देना  पड़ेगा Coronavirus Negative Certificate from doctor on payment   

कई रोज़ से कोई कह रहा था कि  हमें हज़ार बसें चलाने की अनुमति दो . तो महराज  ने गुगली फेंक दी. कह दिया पहले बसों के फ़िटनेस सर्टिफिकेट  नम्बर, ड्राइवर, कंडक्टर की सूची दो. और बसें लखनऊ पहुँचाओ. 

 

प्रियंका गांधी  Priyanka Gandhi  राजनीति में नयी हैं. उनको  पता नहीं है कि महराज  के पास एक काबिल टीम इलेवन है , जो गोल – गोल जलेबी बनाने और काग़ज़ के घोड़े दौड़ाने में माहिर है.

नियम क़ानून के पाबंद इन “सिविल सर्वेंट ” अथवा लोक सेवक से कोई  पूछे आप सड़कों पर लोगों को भूसे की तरह भरकर ढ़ो रहे ट्रकों और गाड़ियों की फ़िटनेस  vehicle fitnesses चेक करते हो क्या?

उनके चालक और कंडक्टर के नाम नोट करते हो क्या? उनको सवारी ले जाने का लाइसेंस दिया है क्या? या वह सिस्टम की कमाई का ज़रिया हैं, इसलिए उन्हें छूट है. 

बड़े सरकार आप अपनी रैलियों में वोटरों  political rally voters crowd  की भीड़ ढ़ोने के लिए लिस्ट बनाते हो क्या? या सीधे परिवहन निगम को  बसें चलाने का आदेश दे देते हो और  आर टी ओ से ज़बरदस्ती निजी गाड़ियाँ पकड़वाकर गाँव गाँव से लोगों को पैसा देकर उठवा लेते हो. तब इनकी   ख़ातिरदारी और अब “प्रवासी मज़दूर”.

लगता ही नहीं कि  यह वही व्यवस्था है जो करोड़ों लोगों को एक दिन में कुम्भ में त्रिवेणी संगम/गंगा  स्नान Kumbh Festival Prayagraj  holy bathing  कराकर सकुशल वापस भेज देती है.  लाखों काँवरियों के लिए रास्ते – रास्ते पलक पाँवड़े बिछाती है और उन पर helicopter आसमान से फूल बरसाती है. 

ऐसा लगता है की यह वह भारत नहीं है जिसके नागरिकों को देश में कहीं आने जाने का अधिकार है. यह हर  ज़िले और राज्य में जाने आने के लिए परमिट सिस्टम कब से और किस क़ानून से लागू हो गया? 

अगर आप सचमुच  चिंतित थे कि ये जिन शहरों में हैं, व्यवस्था होने तक वहीं रहें तो ख़ाली पड़े स्कूलों, स्टेडियम और उन्हीं कारख़ानों , खदानों में जहां वह काम कर रहे थे रुकने, खाने- पीने और सोने का इंतज़ाम कर देते.  

अब भी समय है. सरकार चार करोड़ यात्री रोज़ ढ़ोने वाली ट्रेनें और सारे राज्यों की Public Transport Corporation परिवहन निगम की बसें , अनुबंधित और निजी बसें बहाल कर दीजिए.

हर यात्री को खादी का एक गमछा, पानी,  बिस्कुट ,और सैनिटाइज़र की एक शीशी पकड़ा दीजिए. 

याद दिला दें कि  इस कोरोनासंकट काल में उत्तर प्रदेश में sanitiser record production in UP सैनिटाइज़र का रिकार्ड़ उत्पादन हुआ है, बुनकर गमछे बना रहे हैं, घर- घर महिलाएँ मास्क बना रही हैं.

हुज़ूर  इसके लिए भी आप टेंडर tender की लम्बी प्रक्रिया न बना दीजिएगा जैसे व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण PPE के लिए हुआ था. . नहीं तो कहावत है का बरसा जब कृषि सुखानी.

हाँ एक प्रार्थना अपने नागरिक भाइयों से कृपया कोरोना की सनसनी खेज़ खबरें sensational news मत देखिए. रिमोट आपके हाथ में हैं. वरना ये आपको और हताश, निराश कर देंगी. हताशा में  मनोरोग बढ़ते हैं. 

कोरोना Coronavirus से संक्रमित  चाहे जितने हों  मरते बहुत कम हैं. उससे कहीं ज़्यादा डायरिया, तपेदिक, इंसेफ़्लाइटिस, हार्ट अटैक से मरते हैं. और चमचमाती सड़कों expressway accidents पर दुर्घटनाओं में भी. 

देश के लाखों people’s representatives जन   प्रतिनिधि , जो जनता के पैसे से वेतन, भत्ते और पेंशन ले रहे हैं,  उनसे भी विनम्र अनुरोध है कृपया सरकार  और सिस्टम को झकझोरें.  संविधान में आपके  भी अधिकार  और कर्तव्य हैं.

 

नोट : ये लेखक के निजी विचार हैं.. इस न्यूज़ पोर्टल  का सहमत होना आवश्यक नहीं है.

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