जब मनोज सिन्हा ने एक कश्मीरी पत्रकार की तत्काल मदद
सौरभ तिवारी
काशी हिंदू विश्वविद्यालय(बीएचयू) के छात्र रहे व पूर्व केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल पद पर अचानक हुई नियुक्ति ने सबको अचरज में डाल दिया। इसके साथ ही सियासी गलियारों में तमाम चर्चाएँ हैं। लेकिन मनोज सिन्हा की उपराज्यपाल पद पर हुई नियुक्ति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री की सोंची समझी रणनीति है। पिछले वर्ष 5 अगस्त को धारा 370 हटाने के बाद कई चुनौतियां सरकार के सामने खड़ी हैं जिसके लिए किसी गंभीर व राजनीतिक रुप से सुलझे हुए व्यक्तित्व कि तलाश थी जो मनोज सिन्हा पर जाकर खत्म हुई। मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री के विश्वासपात्र माने जाते हैं। पूर्वाचंल के आम जनमानस ने प्रधानमंत्री के बतौर प्रतिनिधि के तौर पर मनोज सिन्हा के द्वारा तमाम विकास कार्यों को नजदीक से देखा है उसपर कतई किसी को संदेह नहीं है, चाहे उनके समर्थक रहे हों या विरोधी। कहा जाता है कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जीसी मूर्मू को इस्तीफा देने को कहा गया ताकि मनोज सिन्हा को वहां भेजा जा सके। मनोज सिन्हा निश्चित तौर कश्मीर के अवाम कि परेशानियों से रुबरु होकर उसका निराकरण करेंगे ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
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बात वर्ष 2015 के ठंड के दिनों की है, आईआईटी बीएचयू कैंपस में स्थित स्वतंत्रता भवन सभागार में कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम का मुझे भी निमंत्रण मिला था। मेरे साथ मेरे मित्र ओमर रशीद जो कश्मीर के मूल निवासी और द हिंदू समाचारपत्र के पत्रकार थे, वो भी कार्यक्रम में शरीक हुए। कार्यक्रम में मनोज सिन्हा भी बतौर पूर्व छात्र शामिल हुए थे। तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, बीएचयू के तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी और मैं तथा ओमर रशीद(कश्मीरी मूल के पत्रकार) एक साथ खाने की मेज पर बैठकर देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चा में व्यस्त थे। उसी दौरान लखनऊ से अचानक ओमर रशीद का फोन आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश अखिलेश यादव का इंटरव्यू करने का समय कल सुबह 10 बजे निर्धारित किया गया है। ओमर रशीद ने यह समस्या मुझे बताई। मूल समस्या यह थी कि रेल टिकट भी नहीं था। मैंनें सारी बात बगल में बैठे मनोज सिन्हा(तत्कालीन रेल राज्यमंत्री) से बताई व मामले में मदद माँगी। इस पर मनोज सिन्हा पहले तो असहज हुए लेकिन जब मैंने बताया कि ओमर रशीद कश्मीरी हैं तो अगले ही पल अपने स्टाफ को फोन लगाने को बोला और अगले चंद मिनटों में कश्मीरी पत्रकार ओमर रशीद के वाराणसी से लखनऊ जाने की व्यवस्था एसी प्रथम श्रेणी ट्रेन में कर दी गयी।
कश्मीर वर्तमान में जिन राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है उसमें मनोज सिन्हा बेहद फिट बैठते हैं। उम्मीद है कि मनोज सिन्हा अनर्गल बयानों से बचेंगे और वर्तमान राजनीतिक संकट से कश्मीर को निकालने में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होंगे।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
(लेखक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं और उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हैं)