विजय दिवस: इस दिन पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था

-पंकज प्रसून

सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ जो 13 दिनों तक चला। जिसमें भारत की विजय हुई। अपने अपमान, निरादर और शोषण के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान ने मुक्ति संग्राम छेड़ रखा था। जिसकी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मदद की। और पूर्वी पाकिस्तान आज़ाद हो कर नया देश बन गया। जिसका नाम पड़ा बांग्लादेश।

उस जीत की याद में दोनों देश हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाते हैं । इस दिन भारत और बांग्लादेश के लोग उस संग्राम में मारे गये सैनिकों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। 16 दिसंबर को 93,000 सैनिकों के साथ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल अमीर अब्दुल्ला ख़ान नियाज़ी ने भारतीय सेना के कमांडर जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था ।

इसके साथ ही 26 March 1971से चल रहा मुक्ति संग्राम समाप्त हुआ ।्बांग्लादेश इस दिन को बिजोय दिवस  और भारत इसे विजय दिवस के रूप में मनाता है।

पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम की शुरुआत तब  हुई

जब पाकिस्तान  वहां के बांग्ला भाषी लोगों पर बेपनाह जुल्म ढाने लगा । 1970 में हुए आम चुनावों में शेख़ मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी के कुल169 में से167 सीटें जीतने के बावजूद पाकिस्तान के हुक्मरानों ने चुनाव परिणाम को मानने से इंकार कर दिया। और शेख़ मुजीबुर्रहमान को सत्ता हस्तांतरित करने से इंकार तो किया ही उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया।

आत्मसमर्पण करने से एक दिन पहले14 दिसंबर 1971को पाकिस्तानी सेना ने ढाका के मशहूर बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें मार डाला और ढाका के निकट रायेरबाजार और मीरपुर में उनकी लाशों का ढेर लगा दिया था।

पाकिस्तानी सेना ने बंगाली आबादी ख़ास तौर से हिंदुओं का नरसंहार किया । कोई एक करोड़ लोग वहां से भाग कर भारत आ गये। जिससे यहां शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या हो गयी। यह भी खबर है कि युद्ध के दौरान ताजमहल भी पाकिस्तानी सेना के निशाने पर था।इसलिये उन दिनों ताजमहल को बचाने के लिये उसे पत्तों से ढक दिया गया था।

इस वर्ष उस विजय की स्वर्ण जयंती मनायी जा रही है। बांग्लादेश सरकार ने  मुक्ति संग्राम में शामिल 61महिलाओं को वीरांगना घोषित किया है। जिनमें 15  पटुआखाली से,13 सिलहट से, 12 नाटोर से और ठाकुर गांव,बरगुना,कुशटिआ और गोपालगंज से प्रत्येक से दो हैं। किशोरीगंज, मौलवी बाजार,पिरोजपुर ,बोगरा,

ब्राह्मण बेरिया, मैमनसिंह, खुलना, फरीदपुर,सतखीरा, खगराछडी,  मदारीपुर और बारीसाल से एक एक हैं। नि:संदेह आजाद बांग्लादेश ने काफ़ी तरक्की की है। वह अल्प विकसित देश से बढ़कर विकासशील देश तो हो ही गया है। इसके पूरे आसार हैं कि वह जल्द ही विकसित देशों में शुमार होने लगेगा। लेकिन पूर्ण लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश बनने में उसे अभी काफ़ी अड़चनों को पार करना बाकी है।

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