उत्तराखंड में आपसी सद्भाव और मेलजोल क़ायम

40 दिवसीय सद्भावना यात्रा 20  मई को  देहरादून में समाप्त

उत्तराखंड का जनमानस तमाम तरह के कुप्रचार और नफरती के अभियान के बावजूद अपने परम्परागत सद्भाव और आपसी मेलजोल से शांति से चल रहा है। यह बात उत्तराखंड में सम्पन्न हुई 40 दिन की राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा में व्यापक रूप से देखने को मिली है। लोग शांति की बात करते हैं और अहिंसा पर टिके रहना उनका स्वभाविक गुण है।
यह यात्रा सामाजिक सद्भाव भाईचारे और एकता की की जमीनी हालत देखने के नजरिए से बहुत सफल रही है जनसामान्य का जो सहयोग और स्नेह मिला उससे यात्रीदल बहुत अभिभूत रहा है
उत्तराखंड में 8 मई को आरंभ होकर यह 40 दिवसीय सद्भावना यात्रा 20  मई को  देहरादून में समाप्त हुई। उत्तराखंड को दोनों मण्डलों, कुमाऊं और गढ़वाल में करीब करीब 20-20 दिन चली इस यात्रा का आरंभ कुमाऊं मण्डल के हल्द्वानी शहर से हुआ तो इस का समापन गढ़वाल मण्डल स्थित प्रदेश की राजधानी देहरादून में हुआ। 
इस राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा में ऐतिहासिक संस्मरणों, प्रकरणों, के परिप्रेक्ष्य में उत्तराखंड की विरासत और उत्तराखंड के जन नायकों के योगदान को केन्द्र में रखकर समाज में सद्भावना समन्वय, अहिंसा और परस्पर सौहार्द और सामाजिक एकजुटता का संदेश देने का कार्य किया गया ।
इस यात्रा का अभी तक का अनुभव बेहद सकारात्मक रहा है, लोगों ने स्वेच्छा से इसमें भागीदारी की है और अपने अपने विचारों से राष्ट्रीय सद्भावना के विचारों को मज़बूत किया है। यात्रा में जगह जगह सांस्कृतिक रैली, पैदल मार्च, एकल और बहु पक्षीय जनसंवाद, गोष्ठी, नुक्कड़ सभा, पोस्टर व बैनर प्रदर्शनी, पुस्तक/साहित्य प्रदर्शनी और पत्रकार गोष्ठियों के माध्यम से राष्ट्रीय सद्भावना का संदेश पहुंचाया गया।
इस यात्रा का मार्ग ऐसा निर्धारित किया गया है कि जिसमें उत्तराखंड के सभी जिलों और अंचलों में सद्भावना का संदेश पहुंचाया जा सके, इस दृष्टि से इस सद्भावना यात्रा में तक नैनीताल, उधमसिंहनगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, टिहरी, पौड़ी और देहरादून जिलों के विभिन्न अंचलों तक अपना संदेश पहुंचाया है। उपचुनाव के मद्देनजर चम्पावत जिले को छोड़ दिया गया है। जबकि चारधाम यात्रा के रूट की व्यस्तता के कारण रूद्रप्रयाग की यात्रा को अभी स्थगित रखा गया है।
यात्रा के आरम्भिक चरण उत्तराखंड की तराई दिनेशपुर और रामनगर में सद्भावना को केन्द्र में रखकर जो सांस्कृतिक जुलूस निकाले गए वह पूरी यात्रा में निकाले गए, जिनका जबरदस्त प्रभाव स्थानीय जनता में देखा गया, जुलूस के मार्ग में स्थानीय नागरिकों और दर्शकों ने स्वेच्छा से जुलूस में लगाए जा रहे सौहार्द और एकता के नारों का न केवल स्वागत किया बल्कि स्वयं भी नारे लगाने वालों में शामिल हुए। “हम सब की कामना, सद्भावना सद्भावना,” हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में हैं भाई भाई” जैसे नारों को जनता ने बहुत पसंद किया इन नारों को रास्ते में चलने वालों और दूकानों में बैठे लोगों ने भी दोहराया,इसी तरह “जय जगत पुकारे जा सर अमन पे वाले जा” जैसे सर्वोदय गीत को भी पसंद किया गया। सांस्कृतिक जुलूसों में स्थानीय जनता की सहभागिता उत्साहजनक रही।
हल्द्वानी से दिनेशपुर, रामनगर, नैनीताल, तल्ला रामढ़, मल्ला रामगढ़, नथुवाखान, छतोला, सतखोल मुक्तेश्वर, भटेलिया, जैंती, कांडे गांव, सालमपट्टी, दन्या, पिथौरागढ़, अस्कोट, जौलजीबी, मुन्यारी नाचनी, मुवानी, धरमधर, रीमा,कपकोट,भराड़ी, बागेश्वर, कौसानी, चनौदा, अल्मोड़ा, कठपुड़िया, द्वारसौं, मजखाली, रानीखेत, द्वाराहाट, चौखुटिया, गनाई, गैरसैंण, नागचूलाखाल, देघाट, मौलेखाल, खुमाड़, सल्ट, थलीसैंण, पौड़ी, श्रीनगर, बिलेश्वर, सिल्यारा आश्रम, लस्याल, बिनकखाल, बूढ़ा केदार, चानी, उत्तरकाशी, नई टिहरी, चम्बा, जौल गांव,खाड़ी,गैंडों गांव, गरखेत, नौगांव, चकराता, कालसी, विकासनगर, रामपुर, कोटद्वार, लैंसडाउन, सतपुली,पौखाल,बिस्फी गांव (द्वारीखाल), बिना, अठूरवाला, डोईवाला, दूधली में गोष्ठी, नुक्कड़ सभा, व्यक्तिगत सम्पर्क करते हुए और 80 पड़ावों पर गोष्ठियां नुक्कड़ सभाएं करते हुए और सांस्कृतिक जुलूस निकालते हुए देहरादून पहुंची। 
इस यात्रा ने जिस तरह राज्य के छोटे छोटे कस्बों, गांवों और अंचलों कस्बों, चोटियों और घाटियों को 40 दिन की यात्रा में में करीब 4500 किमी की चल कर नापा है, वह यात्रा की सघनता को समझाने के लिए काफ़ी है। जबकि उत्तराखंड की पूर्व से लेकर पश्चिम तक लम्बाई करीब 400 किमी है, सड़क से यह दूरी 600 किमी तक हो जाती है। और जिसे पूरा करने में 24 घंटे या एक दिन लगता है। यात्रा का करीब 10 हजार लोगों से सम्पर्क हुआ, जिसमें करीब 800 लोग ऐसे थे जिन्होंने यात्रा के दौरान कार्यक्रमों के आयोजन में यात्रियों आवास भोजन आदि में सहयोग किया। 
सद्भावना यात्रा के दौरान व्यक्तिगत सम्पर्क, संवाद, सामूहिक चर्चा, गोष्ठियां पत्रकार वार्ता, पोस्टर बैनर प्रदर्शनी, सर्वोदय और गांधी साहित्य के स्टाल और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से राष्ट्रीय सद्भावना का संदेश लोगों तक पहुंचाया गया है।
 नैनीताल, पिथौरागढ़ अल्मोड़ा, मुवानी, कौसानी, गैरसैंण, देघाट, सल्ट, पौड़ी, श्रीनगर, बालगंगा घाटी, उत्तरकाशी, नई टिहरी, चम्बा, जौनपुर जौनसार, विकासनगर रामपुर और देहरादून में बुद्धीजीवियो, सामाजिक कार्यकर्ताओं गांधीजनों, अध्यापकों, छात्रों व पत्रकारों की गोष्ठी में  सद्भावना यात्रा के सम्भावित लक्ष्यों पर विशद विचार विमर्श हुआ था, सहभागियों ने इसे समय की मांग बताया था और कहा कि यात्रा से उत्तराखंड की समन्वयवादी सद्भावना मजबूत होगी। 
यात्रा के दौरान उत्तराखंड के जननायकों के कार्यों को रेखांकित किया गया। यात्रा में जिन जननायकों का ज़िक्र बार बार आया उनमें वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का नाम प्रमुख है, लोगों ने गढ़वाल के दूरस्थ क्षेत्र में रहने वाले और ब्रिटिश सेना के इस फौजी की इंसानियत के लिए की गई कुर्बानी को बहुत याद किया। धार्मिक संकीर्णता से परे विशुद्ध मानवीय मूल्यों और इंसानियत की ख़ातिर वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ने जिस तरह पेशावर के किस्साख्वानी बाजार में निहत्थे आंदोलनकारी पठानों पर गोली चलाने से इंकार किया था उसे लोगों ने भविष्य के लिए भी एक मिसाल बताया था और कहा कि समाजिक सद्भावना के लिए वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली का यह कारनामा हमारे समाज को प्रेरणा देने का काम करता रहेगा।
यात्रा में उत्तराखंड के सांस्कृतिक धार्मिक और भाषाई विविधता में एकता के बारे में लोगों से संवाद स्थापित किया गया। यह महसूस किया गया कि उत्तराखंड में विविधता की फितरत है, यहां का भूगोल, जलवायु और सांस्कृतिक विविधता हमें एकता का संदेश देती है,  उत्तराखंड में करीब डेढ़ दर्जन भाषा और बोली बोलने वाले हैं जो आपसी सदभाव से रहते हैं।यात्रा में यात्री दल ने उत्तराखंड की भाषाई, भौगौलिक, धार्मिक सांस्कृतिक विविधता में एकता का प्रत्यक्ष अनुभव भी किया है। यात्रा में सामाजिक जातिगत और धार्मिक मुद्दों को पर जन सामान्य से बातचीत करके वर्तमान परिस्थितियों में समन्वय और सद्भाव की बात की गई। गोष्ठी और आपसी विमर्श में धर्मनिरपेक्षता की संवैधानिक व्यवस्था पर जोर देते हुए उसे हर हाल में बढ़ाया जाने पर बल दिया। 
यात्रा में असंगठित मजदूरों व महिलाओं की स्थिति , किशोर- किशोरियों व युवाओं के मुद्दे व समस्याओं, निराश्रित महिला पुरुषों के साथ ही साथ सड़कों जंगलों में घूमते हुए निराश्रित पशुओं की दुर्गति पर चिंता दिखाई दी।, पलायन और खाली होते गांवों, प्राकृतिक संसाधनों और पशुधन की हिफ़ाज़त जैसे मुद्दों और मौजूदा हालात पर भी विचार विमर्श हुआ। 
प्रदेश की बागबानी और फलपट्टियों और घाटी की कृषि  जहां जलवायु परिवर्तन से फलोत्पादन कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव को प्रत्यक्ष अनुभव किया गया। नए होते बंजर खेतों और बगीचों की जमीनों पर बनने वाले होटल रिजोर्ट और बड़े बड़े निर्माण से स्थानीय  संरचना पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को भी महसूस किया गया। इसको लेकर स्थानीय निवासियों ने अपनी चिन्ताओं को यात्रीदल के साथ साझा किया था। बागबानी, कृषि उत्पादन, फलोत्पादन, दुग्ध उत्पादन और स्वरोजगार के अच्छे प्रयोगों और अनुभवों को दूसरे स्थानों पर साझा भी किया गया।
नथुवाखान और जैंती की सालम पट्टी में पिथौरागढ़, आदि के स्वतंत्रता सेनानियों के क्षेत्रों में उनके कार्यों और प्रभावों का अनुभव लेकर दूसरे इलाकों में शेयर किया गया। यात्रा में ऐसा सालम में एक गांव ऐसा भी मिला जहां  लगभग 32 स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के आंदोलन में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। स्वतंत्रता आंदोलन में ब्रिटिश सरकार के ज़ुल्म से गांव के गांव खाली हो गए थे। इन इलाकों के जननायकों के योगदान को यात्रा में जगह जगह याद किया गया।

स्वतंत्रता सेनानियों के गांव हुड़ैती में सद्भावना यात्रा का स्वागत


पिथौरागढ़ में स्वतंत्रता सेनानियों के गांव हुड़ैती में सद्भावना यात्रा का स्वागत में स्थानीय निवासियों ने राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा की मूल भावना का समर्थन किया। यह भी कहा कि जननायकों ने सभी वर्गों और धर्मों के लिए देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की यादों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हुड़ैती गांव में एक राष्ट्रीय स्मारक और एक पुस्तकालय बनाने की मांग की।
राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा का दन्या, अस्कोट, जौलजीबी, मुन्यारी, नाचनी, मुवानी , पांखू, हिमदर्शन धरमधर कपकोट, बागेश्वर, में स्वागत किया गया, और वहां स्थानीय मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। मुवानी में पीपलतड़ के रहवासी केन्द्र में स्थानीय समुदाय द्वारा आत्मनिर्भरता क्षेत्र में किए जारहे कार्यों और उनके अनुभव यात्री दल ने साझा किए।

अनासक्ति आश्रम कौसानी

अनासक्ति आश्रम कौसानी में वरिष्ठ सर्वोदयी और राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा की संरक्षिका राधा बहन के सानिध्य और अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम बहुत प्रभावकारी रहे,जिसमें पोस्टर- बैनर प्रदर्शनी, गोष्ठी और सांस्कृतिक जुलूस में विद्यालय की छात्राओं, स्थानीय निवासियों व्यापार मण्डल के प्रतिनिधियों के अलावा पर्यटकों ने भी भागीदारी की। राधा दीदी ने राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा को समय की ज़रूरत बताते हुए समाज,देश की एकता और सद्भावना और विश्व बंधुत्व की भावना बढ़ाने पर जोर दिया।
जैंती, पिथौरागढ़, मुन्सयारी मुवानी धरमधर बागेश्वर, कौसानी चनौदा, बालगंगा घाटी और खाड़ी  में, यात्री दल को सर्वोदयी और गांधी जनों से मिलकर उनके अनुभव शेयर किए और वरिष्ठ जनों से आशीर्वाद लिया। पर्वतीय ग्राम स्वराज मण्डल की मंत्री कर्मयोगी देवकी देवी, और लक्ष्मी आश्रम की वरिष्ठ गांधीवादी राधा बहन, जमना लाल बजाज पुरुस्कार प्राप्त वरिष्ठ सर्वोदयी धूम सिंह नेगी और कोटद्वार में शशिप्रभा बहन का सानिध्य और आशीर्वाद मिला। 

नुक्कड सभाएं

अभी तक यात्रा के दौरान सबसे प्रभावकारी नुक्कड सभाएं रहीं जिनमें यात्रीदल ने विभिन्न विषयों पर आमजन से सम्भाषण किया और सद्भावना की आवश्यकता को लोगों के सामने रखा। गोपाल भाई के जन गीतों से आरंभ होने वाली नुक्कड़ सभाओं में यात्रीदल के संयोजक भुवन भट्ट, उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन चिपको आंदोलन के साहब सिंह सजवाण ने अपनी बात रखी वहीं अल्मोड़ा, कठपुड़िया,, द्वारसौं, मजखाली, रानीखेत, द्वाराहाट,और चौखुटिया गनाई में राज्य आंदोलनकारी व जुझारू नेता पीसी तिवारी ने राज्य के विभिन्न मुद्दों पर जनपक्ष की बात रखते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि सद्भावना के माहौल में ही राज्य का विकास हो सकता है। और लोगों से विभाजनकारी साम्प्रदायिक तत्वों के ख़िलाफ़ खड़े होने का आह्वान किया।

उत्तराखंड सद्भावना यात्रा

द्वाराहाट में हुई नुक्कड़ सभा में यात्रा के संयोजक उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के महान योगदान को याद करते हुए द्वाराहाट की महान विभूतियों विशेषकर स्व हरिदत्त काण्डपाल द्वारा सार्वजनिक जीवन में स्थापित उच्च मापदंडों की चर्चा की।

उत्तराखंड आंदोलनकारियों के लिए श्रद्धा का केन्द्र रहे गैरसैंण में राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा का स्वागत करते हुए जुझारू नेता कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने सभी विभाजनकारी और साम्प्रदायिक शक्तियों का मुकाबला करने का आह्वान किया।
यात्री दल में सम्मिलित पद्मश्री बसंती बहन ने अपने हर सम्बोधन में लैंगिक सद्भावना को स्वस्थ्य समाज की निशानी बताते हुए जल जंगल जमीन की लूट और नशे के बढ़ते प्रचलन को देश और प्रदेश के लिए घातक बताया और इसे रोकने की अपील की। जगह जगह उनके कोसी नदी घाटी में किए गए कार्यो व अनुभवों को सुना और सराहा गया। स्कूलों में छात्र छात्राओं को इस बात से ख़ास ख़ुशी हुई कि उनके बीच पद्मश्री से सम्मानित बसंती बहन  पहुंची हैं।
सल्ट खुमाड़ में राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा का स्थानीय निवासियों ने बहुत जोश़ के साथ स्वागत किया। स्थानीय श्रमयोग की टीम और रचनात्मक महिला मंच द्वारा सल्ट की वीर बलिदानियों की स्मृति में बने शहीद स्थल में आयोजित सभा में सल्ट की जनता की ओर से राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा का स्वागत किया गया, श्रमयोग के अजय जोशी ने सल्ट के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को विलक्षण बताते हुए राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा को समय की आवश्यकता और स्वतंत्रता सेनानियों और बलिदानियों के आदर्श के अनुरूप बताया। पौड़ी, श्रीनगर, उत्तरकाशी, चम्बा, और विकासनगर आदि में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने सद्भावना यात्रियों का स्वागत किया और गोष्ठियों का आयोजन किया।
मुक्तेश्वर, जैंती, खुमाड़, दन्या, पिथौरागढ़ देवायल सल्ट, बालगंगा घाटी में आयोजित कार्यक्रमों में स्थानीय निवासियों,अध्यापकों और छात्रों ने यात्री दल द्वारा लगाई पोस्टर बैनर प्रदर्शनी से यात्रा के उद्देश्यों को समझा, और उत्तराखंड के जन नायकों द्वारा समय समय पर किए गए जन आंदोलनों की जानकारी प्राप्त की।

सर्वोदय/गांधी साहित्य की प्रदर्शनी


यात्रा के दौरान जहां जहां अवसर मिला वहां वहां सर्वोदय/गांधी साहित्य, तथा अन्य साहित्य की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
नुक्कड़ सभाओं, सांस्कृतिक जुलूसों और गोष्ठी के कार्यक्रमों में लोकगायक गोपाल भाई, साहब सिंह सजवाण, मनोज, पीसी तिवारी,  सतीश धौलाखण्डी, ने जनगीत गाकर जन चेतना जगाने का प्रयास किया।
पूरे उत्तराखंड में प्लास्टिक कचरे के खतरे पर भी चर्चा हुई, लोगों का कहना था कि कचरे के कारण पहाड़ का सौंदर्य और पर्यावरण पर संकट आ गया है और सरकार के पास इस समस्या को दूर करने के लिए न दृष्टि है और ना ही इच्छा है‌।
यात्रा के अन्तिम पड़ाव देहरादून के पास यात्री दल खाराखेत पहुंचा, जहां की खारी नदी में स्थानीय  सत्याग्रहियों ने नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था। यात्री दल ने वहां दाड़ी मार्च के सत्याग्रहियों को याद किया। 
इस यात्रा के आयोजक उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन और यात्रा के संयोजक भुवन पाठक ने इस यात्रा को जो जनसहयोग मिला है उसका सभी सहयोगी सामाजिक कार्यकर्ताओं, और जनसंगठनों, का आभार व्यक्त किया है। 
इस यात्रा में अभी तक जो लोग सम्मिलित रहे हैं उनमें उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन यात्रा संयोजक भुवन पाठक, चिपको आंदोलनकारी साहिब सिंह सजवाण, पद्मश्री बसंती बहन, उत्तराखंड आंदोलनकारी पीसी तिवारी, सामाजिक मुद्दों पर मुखर व आंदोलनकारी प्रभाव ध्यानी सर्वोदय मण्डल से रीता इस्लाम, सुरेन्द्र बरोलिया,नरेंद्र कुमार, राजीव गांधी फाउन्डेशन से विजय महाजन, परमानंद भट्ट, हिदायत आज़मी, जीत सिंह, लक्ष्मी, प्रयाग भट्ट, रजनीश और रेवा अरुण सम्मिलित रहे।
इस्लाम हुसैन काठगोदाम



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