उत्तर प्रदेश विधान सभा प्रेस गैलरी बजट सत्र में क्यों बंद है!

पत्रकारों की ज़िम्मेदारी है कि मतदाताओं को सही जानकारी दें

उत्तर प्रदेश विधान सभा प्रेस गैलरी बजट सत्र में क्यों बंद है ? क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के समाचार संकलन के लिए पत्रकारों को प्रेस गैलरी के प्रवेश पत्र नहीं दिये गये.

संसद और विधानसभाओं की कार्यवाही की सच्ची खबरें मतदाताओं तक पहुँचाने के लिए प्रेस दीर्घा होती है, जहां बैठकर पत्रकार समाचार संकलन करते हैं.

पत्रकारों की ज़िम्मेदारी है कि वे मतदाताओं यानी करदाताओं को सही जानकारी दें कि उनके निर्वाचित प्रतिनिधि सदन में कैसे अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रहे हैं.

दुनिया में मीडिया को यह अधिकार बड़े संघर्ष, कष्ट और बलिदान के बाद हासिल हुआ है.

भारतीय संविधान में नागरिकों को अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार है, लेकिन प्रारम्भ में प्रेस मीडिया का अलग नहीं था. आज़ादी के कुछ सालों बाद 1956 में संसद ने Parliamentary Proceedings ( Protection of Publication ) Act क़ानून पास किया. यह विधेयक प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दामाद फ़ीरोज़ गांधी ने पेश किया था, इसीलिए इसे फ़ीरोज़ गांधी ऐक्ट के नाम से भी जाना जाता रहा है. इस क़ानून के बन जाने से संसद की कार्यवाही छापने पर पत्रकारों पर कोई मुक़दमा नहीं हो सकता था.

लेकिन इमर्जेंसी के दौरान इंदिरा गांधी ने यह क़ानून समाप्त कर दिया, ताकि संसद में सरकार की आलोचना की खबरें मीदया में न प्रकाशित हों. लेकिन जनता ने इंदिरा गांधी को 1977 लोक सभा चुनाव में सत्ता से बाहर कर दिया.

संविधान में प्रेस को अधिकार

मोरार्जी देसाई की जनता पार्टी सरकार ने 1978 में संविधान संशोधन कर अनुच्छेद 361 A जोड़ा . इससे पत्रकारों को यह अधिकार और दायित्व दिया गया कि वे संसद और विधान सभाओं की कार्यवाही की सही जानकारी दें और इसके लिए उन पर सिविल या आपराधिक कोई कार्यवाही नहीं हो सकती.

इससे पहली बार पत्रकारों को विधान मंडलों और संसद में समाचार संकलन का अलग से संवैधानिक अधिकार मिला.

उत्तर प्रदेश विधान सभा में प्रेस गैलरी बंद

परंतु इस समय उत्तर प्रदेश में पत्रकारों को प्रेस दीर्घा के साथ – साथ सेंट्रल हाल तक जाने की भी सुविधा नहीं है. सेंट्रल हाल में सत्ताधारी और विपक्षी दलों के विधायक पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हैं.

विधान सभा में विरोधी दल समाजवादी पार्टी के नेता राम गोविंद चौधरी ने बजट सत्र के पहले दिन यह मामला उठाया था कि प्रेस दीर्घा ख़ाली क्यों है , पत्रकार क्यों नहीं बैठे हैं?

जवाब में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कोरोना काल के कारण पत्रकारों के लिए अलग व्यवस्था की गई थी और इस बारे में जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा।

 नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने राज्यपाल के अभिभाषण के बाद पूछा कि विधानसभा में पत्रकार दीर्घा से पत्रकारों को क्यों दूर रखा गया है और क्या कोविड-19 केवल पत्रकारों को ही प्रभावित करता है, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और नेता विपक्ष को नहीं? 

 बहुजन समाज पार्टी के विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता अराधना मिश्रा ने भी  चौधरी की इस बात का समर्थन किया। 

विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कोरोना काल में पत्रकारों की सहमति से यह निर्णय लिया गया था कि मीडिया के लिए बैठने की अलग व्यवस्था कर दी जाए और उसी हिसाब से अलग व्यवस्था की गई थी। उन्होंने कहा कि पत्रकारों ने कोई आपत्ति नहीं जताई है।

 वर्मा और मिश्रा ने इसपर कहा कि कुछ पत्रकारों को अनुमति दी जानी जाए, जिससे कि वे सदन की कार्यवाही सही ढंग से देखें और उसकी रिपोर्टिंग करें। 

विधानसभा अध्यक्ष ने इसके जवाब में कहा कि इसपर कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में विचार कर लिया जाएगा।

लेकिन अभी तक निर्णय न होने से पत्रकारों में बेचैनी है. इस विषय पर पत्रकारों में काफ़ी रोष है. रोष इस बात पर भी है पत्रकार संगठनों ने औपचारिक रूप से कोई कार्यवाही नही की .

सोशल मीडिया में इस विषय पर विरोध प्रदर्शन पर विचार चल रहा है.

विधान परिषद में पत्रकारों को प्रेस दीर्घा के पास

पता चला है कि वहीं बग़ल में विधान परिषद में पत्रकारों की कोरोना जाँच करके प्रेस दीर्घा के प्रवेश पत्र दिए गए हैं, इसलिए विधान सभा में प्रेस गैलरी बंद रखने का मामला और भी समझ से बाहर है.

आज RDT SHOW में दैनिक जनसत्ता के पूर्व स्थानीय सम्पादक अंबरीष कुमार ने इसी विषय पर ( विधान सभा प्रेस गैलरी क्यों ख़ाली है!) बीबीसी के पूर्व संवाददाता राम दत्त त्रिपाठी से चर्चा की.राम दत्त त्रिपाठी उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाद्दाता समिति और यूपी प्रेस क्लब के अध्यक्ष तथा पत्रकारों के सबसे बड़े संगठन इंडियन फ़ेडेरेशन ओफ़ जर्नलिस्ट्स के सचिव भी रहे हैं. राम दत्त त्रिपाठी इमर्जेंसी में जेल में भी रहे हैं.

चर्चा में यह सवाल में भी आया कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में सच खबरें लिखने के लिए कई पत्रकारों पर मुक़दमा क़ायम करके जेल भेजा गया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button