यूपी चुनाव : बीजेपी के एक तिहाई विधायकों के टिकट कटने की संभावना
100 से ज्यादा बीजेपी विधायकों का भविष्य अधर में
यूपी चुनाव निकट हैं। बीजेपी लगातार प्रदेश में जीत सुनिश्चित करने के लिये प्रयास कर रही है। ऐसे में पार्टी से जो बातें अब सामने आ रही हैं, उसके मुताबिक बड़े पैमाने पर मौजूदा बीजेपी विधायकों का टिकट कट सकता है। उनकी जगह नये चेहरों को पार्टी मौका देने की फिराक में है। पार्टी इसका कारण उन विधायकों के प्रति जनता में व्याप्त असंतोष को बता रही है।
बीजेपी भाजपा संसदीय बोर्ड इस हफ्ते अपने मौजूदा विधायकों को लेकर एक बड़ा निर्णय लेना है । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत राज्य के अन्य नेता आज यानि मंगलवार को देश की राजधानी दिल्ली पहुंच रहे हैं। इस दौरान वे पश्चिमी यूपी में होने वाले पहले दो चरणों के चुनावों में उम्मीदवारों को लेकर अपने सुझाव देंगे।
बता दें कि बीजेपी की राज्य चुनाव समिति की बैठक सोमवार को लखनऊ में हुई थी। अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन सचिव बीएल संतोष के साथ बैठक आयोजित की जायेगी। हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के भी कोरोना संक्रमित होने के बाद यह बैठक कैसे आयोजित की जायेगी, इस पर फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
जहां बीजेपी को अपने कल्याणकारी योजनाओं और मजबूत कानून व्यवस्था की वजह से बड़े स्तर पर जनता का साथ मिलने की उम्मीद है, वहीं रणनीतिकारों का मानना है कि अलग- अलग कारणों से कई विधायकों के खिलाफ असंतोष पार्टी को कुछ ऐसी जगहों की सीट भी हरा सकता है, जिन्हें बीजेपी की सुरक्षित सीटों में से माना जाता रहा है।
100 से ज्यादा बीजेपी विधायकों का भविष्य अधर में
पार्टी के पोल इंचार्ज और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पिछले कुछ समय से लगातार यूपी दौरा कर रहे हैं। उन्होंने अलग -अलग क्षेत्रों के नेताओं से मिलकर मौजूदा विधायकों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की। साथ ही यह भी जानने की कोशिश की कि 2017 में जहां भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, उसका मुख्य कारण क्या था? इसी क्रम में उन्हें समझ आया कि जनता को योगी आदित्यनाथ से शिकायत नहीं है बल्कि उन्हें 100 से ज्यादा ऐसे विधायकों के बारे में मालूम हुआ है, जिन्हें लेकर जनता में असंतोष व्याप्त है। यही वजह है कि पार्टी आगामी चुनाव में कुछ ऐसे नये चेहरों को टिकट देने की योजना बना रही है, जिन्हें लोग बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं या जिनके बारे में जनता की धारणा नकारात्मक नहीं है।
बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक पार्टी को यकीन है कि पश्चिमी और मध्य यूपी में पार्टी 2017 जैसी जीत का इतिहास फिर से दोहरायेगी। हालांकि, पार्टी को इस बात का भी एहसास है कि पिछले चुनाव में ओमप्रकाश राजभर और उनकी पार्टी सुभासपा जो कि बीजेपी के साथ थी, इस बार उसने विपक्षी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है, जिसका इस क्षेत्र में आधार काफी मजबूत है। वहीं, सपा ने बीजेपी के धुरविरोधी माने जाने वाले मुसलमानों को एकत्र कर इस क्षेत्र में बीजेपी को हराने की पूरी तैयारी की हुई है।
बीजेपी को यकीन है कि सपा के साथ गठजोड़ को लेकर राजभर अब भी कई मुद्दों पर उलझन में होंगे। जबकि बीजेपी इस बात से इंकार नहीं करती कि गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ और बलिया जैसे जिले के 15 से 20 विधानसभा सीटों पर राजभर का संगठन चुनाव को एक निर्णायक छोर पर ले जाने की कूबत रखता है। उनकी पार्टी का उनकी जातियों के बीच गजब की पकड़ है। उनका मुकाबला करने के लिये ही बीजेपी ने राज्य में अनिल राजभर जैसे मंत्रियों को आगे किया है, जो कि पश्चिमी यूपी के इलाकों में पार्टी के इंचार्ज बनाये गये हैं।
खबरें हैं कि बीजेपी के राज्य उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह ने कुछ दिनों पहले ओम प्रकाश राजभर से भेंट एनडीए में वापस लौट आने के लिये कहा था। राजभर ने बीजेपी से गठबंधन में कम से कम 25 सीटें मांग लीं, जो कि बीजेपी नेतृत्व को मान्य नहीं हो सकती थी।
हालांकि, अब भी बीजेपी की ओर से लगातार यह कोशिश की जा रही है कि राजभर को एनडीए में वापस लाया जा सके। दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की अपना दल और संजय निषाद की निषाद पार्टी के साथ सीटों का बंटवारा तय हो चुका है।
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वहीं, बीजेपी के रणनीतिकारों के लिये पार्टी के 100 से ज्यादा वैसे विधायक भी चिंता का कारण बने हुये हैं, जिनकी वजह से जनता में असंतोष व्याप्त है और जिनकी वजह से पार्टी की छवि उन इलाकों में नकारात्मक बनी हुई है। ऐसे विधायकों को लेकर पार्टी में यह चर्चा चल रही है कि इन सभी की जगह नये चेहरों को टिकट दिये जायें।
अगर ऐसा हुआ तो यकीनन एक तिहाई मौजूदा विधायकों का टिकट कट जायेगा। बीजेपी के एक नेता का कहना है कि पार्टी में यह बदलाव चुनाव नामांकन से ठीक पहले किये जायेंगे, वह भी टिकट बांटने के नाम पर, ताकि इससे पार्टी में बहुत ज्यादा उथल पुथल का माहौल न बन पाये। और मौजूदा विधायक अपना टिकट काटने को लेकर बहुत ज्यादा विरोध न जता सकें।