पगड़ी और हिजाब

यह गीत  सुनकर सिखों ही नहीं आम हिन्दू मुसलमान भारतीयों का भी खून खौलने लगता था। तब पगड़ी या टोपी पहनना आम चलन था।

आजादी के आन्दोलन का  एक मशहूर गीत था “पगड़ी संभाल जट्टा..”। यह गीत  सुनकर सिखों ही नहीं आम हिन्दू मुसलमान भारतीयों का भी खून खौलने लगता था। तब पगड़ी या टोपी पहनना आम चलन था। औरतों के लिए भी सिर ढककर रहना सभ्यता की निशानी समझा जाता था। इंदिरा जी भी सर ढक कर रहती थीं। नंगे सिर नंगे पैर जाना काफी अपमानजनक माना जाता था। क्या किसी ने नंगे सिर सीताजी का चित्र देखा है ?
              फिर आज हिजाब को लेकर हंगामा क्यों हो रहा है ? हिजाब और नकाब मे फर्क है। हिजाब में सिर्फ सर ढका जाता है, चेहरा नहीं। नकाब चेहरा ढकने के काम आता है। आज हम जिस मास्क का उपयोग करते हैं उससे भी चेहरा ढक जाता है। इससे व्यक्ति के पहचान मे कठिनाई हो सकती है। पर क्या मास्क लगाने पर आपत्ति की जानी चाहिए?
            यदि एक हिरणी को कुछ भेड़िये घेर लें और कहें कि तुम्हारी चमड़ी हमारे जैसी क्यों नहीं है तो हिरणी को क्या करना चाहिए ?  सिखों को सेना में भी पगड़ी पहनने का अधिकार है। क्या उसे छीन लेना चाहिए ? जैन मुनियों और नागा साधुओं मे को नंगे रहने की परंपरा है। इसको भी जबर्दस्ती क्या बदला जा सकता है ? पिछले दिनों एक स्कूल में यह तय किया गया कि छात्र और छात्राएं एक ही तरह का ड्रेस पहनेंगी। क्या यह उचित है ? 
            यह मुद्दा ठीक चुनाव के समय क्यों उछला यह भी सोचने का सवाल है। एक कालेज से शुरू हो कर हफ्ते भर मे कई भाजपा शाषित राज्यों में फैल जाना इसके राजनैतिक षड्यंत्र को उजागर करता है। उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसका मतदाताओं पर कुछ असर भी पड़ा है। मतदान के बाद लिए गये इंटरव्यू मे मतदाताओं ने इसका उल्लेख भी किया है। इस घृणित आन्दोलन से भाजपा को कुछ चुनावी लाभ भले ही मिल जाये, राष्ट्रीय एकता और अंतरराष्ट्रीय सम्मान को चोट जरूर पहुंचेगी।।।
रामशरण 

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