वृक्षारोपण : पौधे, मैडम और बाबू

वृक्षारोपण : पौधे, मैडम और बाबू . सरकारी वृक्षारोपण अभियान पर बुलन्दशहर से संदीप कुमार सिंह का व्यंग्य लेख.

प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी सरकार ने सभी विभागों को वृक्षारोपण करने के लिए आदेश जारी किए। कुछ विभागों ने सरकारी आदेश के डर से, कुछ विभाग प्रकृति-प्रेमी होने के कारण और कुछ विभाग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के उद्देश्य से वृक्षारोपण किए। लेकिन कुछ विभागों को न तो सरकारी आदेश का डर था और न वे प्रकृति-प्रेमी थे, इसलिए उन्होंने वृक्षारोपण का नायाब तरीका निकाला। सरकारी आदेशानुसार सौ पौधे पीपल के तथा एक हजार अन्य प्रकार के पौधे लगाने का लक्ष्य प्रत्येक संस्था, कार्यालय को दिया गया। 

वृक्षारोपण के सम्बन्ध में एक संस्था में बैठक बुलाई गई। प्राचार्य मैडम ने सबसे अपने-अपने सुझाव देने के लिए कहा। 

‘‘सौ पौधे पीपल के लगाने हैं? पीपल का पेड़ तो बहुत बड़ा होता है। एक पौधे से भी काम चल सकता है। लेकिन उसके लिए भी अधिक जमीन होनी चाहिए। कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन के आस-पास लगाने नहीं देगा क्योंकि इसके बढ़ने पर जमीन घिर जाएगी।’’वर्मा जी ने कहा।

‘‘मैडम एक बार पीपल का पेड़ कहीं लग गया तो उसे कोई काट नहीं सकता क्योंकि बहुत सारे लोगों का मानना है कि उसमें दैवीय शक्तियाँ होती हैं। यदि कोई उसे काटता है तो उसके साथ अनहोनी घटनाएं हो जाती हैं।’’ दुबे जी ने कहा। 

‘‘पीपल का पौधा लगाने के बाद उसकी पूजा-पाठ करनी होती है। सुबह पौधे में जल चढ़ाना होता है और शाम को दिया-बाती करनी होती है। यदि पूजा-पाठ न किया गया तो पीपल के पेड़ में भूतों का डेरा हो जाता है और वे पेड़ को लगाने वाले तथा उसके परिवार को किसी न किसी तरह से परेशान करते हैं। आप तो जानती ही हैं कि अपने चपरासी तो हमें ही पानी नहीं पिलाते, पीपल की तो बात ही अलग है।’’ सिंह साहब ने कहा।

‘‘इसकी जड़े कई-कई मीटर फैल जाती हैं, जिससे आस-पड़ोस के घर भी गिर जाते हैं। इस पेड़ की वजह से किसी का घर गिरा और उसमें कोई भी व्यक्ति हताहत हुआ तो उसकी जिम्मेदारी भी हमारी ही होगी।’’बाबू ने कहा।

अभी पिछले वर्ष एक पड़ोसी के पीपल के पेड़ के गिरने से एक व्यक्ति घायल हो गया, दोनों परिवारों में झगड़ा हो गया और कई व्यक्ति घायल हो गए। पुलिस आई और सभी को पकड़ के ले गई। आज तक मुकदमा चल रहा है। 

‘‘हम किसी पीपल के पौधे के साथ फोटो खींचकर वेबसाइट में डाल देते हैं, कोई यह थोड़े देखता है कि पेड़ हमने लगाया या किसी और ने।‘‘बाबू ने कहा।

बड़े बाबू हाँ में हाँ मिलाते हुए कहने लगे। ‘‘देखो जी, कागज का पेट ही तो भरना है।’’

मैडम को ये बात पसन्द आ गई और ऐसा ही किया गया।

‘‘चलो पीपल के पौधे तो लग गए! अब और पौधों का क्या किया जाय?‘‘ मैडम ने कहा।

‘‘और पौधों के लिए पहले गड्ढ़े खोदने होंगे, फिर नर्सरी से पौधे लाना होगा और कल सभी लोग आकर पौधे लगवा देंगे।’’ वर्मा जी ने कहा।

‘‘गड्ढ़े कौन खोदेगा?’’ मैडम ने पूछा।

     ‘‘गड्ढ़े तो कोई नहीं खोदेगा‘‘ बाबू ने कहा।

     ‘‘गड्ढ़े चपरासी नहीं खोदेंगे?’’ मैडम ने पूछा।

‘‘मैडम गर्मी बहुत है, कोई भी चपरासी इतनी गर्मी में गड्ढ़ा खोदने के लिए तैयार नहीं होगा। कई चपरासियों के घुटनों में दर्द भी रहता है।’’ बाबू ने कहा।

जिन सरकारी संस्थाओं और कार्यालयों के मुखिया अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं करते हैं उन संस्थाओं और कार्यालयों के चपरासियों के घुटने में दर्द होना आम बात है।  

‘‘फिर गड्ढ़े कैसे खोदे जाएंगे?’’ मैडम ने पूछा।

‘‘गड्ढ़े ट्रैक्टर से खुदवाना पड़ेगा।’’ बाबू ने कहा।

‘‘कितने पैसे लगेंगे?’’ मैडम ने पूछा।

‘‘कम से कम पाँच हजार रुपये’’ बाबू ने कहा।

पाँच हजार गड्ढ़े खोदने के और दो हजार नर्सरी से पौधे लाने में खर्च होगें। 

‘‘इतने पैसे वृक्षारोपण में खर्च हो जाएंगे?’’ मैडम ने पूछा। 

नहीं, इतने पैसे किस निधि से निकलेंगे? कोई ऐसी तरकीब निकालो कि तेल न लगे और पूड़िया भी निकल आएं।

‘‘मैडम पिछले वर्ष भी बहुत सारे पौधे लगाए गए थे। आज उनमें से बहुत कम बचें हैं। ऐसे वृक्षारोपण का क्या फायदा? सरकार पौधे तो बहुत लगवाती है लेकिन उनमें से बचते बहुत कम हैं। इससे अच्छा तो सरकार प्रत्येक कर्मचारी को  प्रत्येक वर्ष 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस के दिन केवल एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित करे और कम से कम छः महीने उसकी देखभाल जरूरी कर दे। कुछ वर्षो बाद हर जगह पेड़ ही पेड़ नजर आएंगे।’’ सिंह साहब ने कहा।

‘‘बाबू जी कोई तरकीब निकालिए।’’मैडम ने कहा।

‘‘मैडम जैसे हमने पीपल के पौधे लगाए हैं, वैसे ही इन पौधों को भी लगा देते हैं।’’ बाबू ने कहा।

संदीप कुमार सिंह , असि0 प्रो0, हिंदी , देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय , गुलावठी, बुलंदशहर, उ0प्र0

ईमेल-sandeepksingh1782@gmail.com

मोबाइल-9456814243

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button