सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: अब अनाथ बच्चों को भी मिलेगा शिक्षा का अधिकार
नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025 –
देश की सबसे बड़ी अदालत ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जो भारत के लाखों अनाथ बच्चों की ज़िंदगी बदल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को साफ आदेश दिया है कि वे अनाथ बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत लाएं, ताकि उन्हें भी आस-पास के अच्छे स्कूलों में पढ़ने का पूरा हक मिल सके।
यह फैसला लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता और वकील पौलोमी पाविनी शुक्ला की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के बाद आया। सुनवाई कर रही खंडपीठ में जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन शामिल थे।
राज्य बनेगा इन बच्चों का ‘पालक पिता’:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन बच्चों के माता-पिता नहीं हैं, उनकी जिम्मेदारी अब राज्य की है। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि राज्य को ऐसे बच्चों का ‘पालक पिता’ (Parens Patriae) माना जाएगा। यानी राज्य को चाहिए कि वह उनकी देखभाल करे और शिक्षा सुनिश्चित करे।
चार हफ्तों में लागू हो आदेश:
सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों से कहा है कि वे चार हफ्तों के भीतर सरकारी आदेश (G.O.) जारी करें, जिससे यह कानून जमीन पर लागू हो सके। साथ ही, राज्य सरकारों को यह भी कहा गया है कि वे सर्वे करके यह पता लगाएं कि कितने अनाथ बच्चे अभी स्कूल से बाहर हैं, और उनकी पढ़ाई की व्यवस्था करें।
पौलोमी का बड़ा योगदान:
पौलोमी पाविनी शुक्ला ने अनाथ बच्चों की हालत पर लंबे समय तक रिसर्च किया है और इस विषय पर अपनी किताब “Weakest on Earth – Orphans of India” भी लिखी है। उनकी याचिका के चलते पहले ही कुछ राज्य सरकारें अनाथ बच्चों के लिए आरक्षण जैसी योजनाएं शुरू कर चुकी हैं।
उनके इस काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है और उन्हें “Forbes 30 Under 30”की लिस्ट में शामिल किया गया है।
कितने हैं अनाथ बच्चे?
UNICEF के अनुसार, भारत में 2 करोड़ से ज़्यादा अनाथ बच्चे हैं। लेकिन अभी तक इनकी कोई सरकारी गिनती नहीं हुई है। इस पर अदालत में पौलोमी ने यह मांग भी रखी कि जनगणना में अनाथ बच्चों की गिनती होनी चाहिए। इस पर केंद्र सरकार के वकील (Solicitor General) ने भी सहमति जताई।
निष्कर्ष:
यह फैसला ना सिर्फ कानून का, बल्कि इंसानियत का भी बड़ा कदम है। जब यह पूरी तरह लागू हो जाएगा, तो अनाथ बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ पाएंगे और एक बेहतर भविष्य बना सकेंगे।