SGPGIMS के डॉक्टर विवेक आनंद सारस्वत: विलक्षण शिक्षाविद एवं सज्जन व्यक्तित्व के स्वामी

SGPGIMS के Gastroenterology विभाग के HOD प्रो. विवेक आनंद सारस्वत के सेवा काल का आज (30 सितम्बर) अंतिम दिन था . 24 वर्षों तक एक संकाय सदस्य के रूप में और 9 वर्षों तक विभागाध्यक्ष के रूप में उन्होंने संस्थान की सेवा की है.उन्होंने संस्थान को अपने जीवन के बहुमूल्य 33 वर्ष दिए हैं.

उनकी सेवानिवृत्ति के साथ ही उन तीन दशकों का भी अंत हो रहा है, जब विभाग का उत्कृष्ट रूप से नेतृत्व उनके संस्थापकों प्रो. एस आर नायक, प्रो. गौरदास चौधरी व प्रो. सारस्वत द्वारा किया गया. अब नेतृत्व की बागडोर विभाग के ही पूर्व प्रतिष्ठित छात्र प्रोफेसर यू सी घोषाल के हाथों में है. संयोगवश यह परिवर्तन उस समय हो रहा है, जब गैस्ट्रोलॉजी विभाग के प्रथम व सर्वोत्कृष्ट छात्र प्रोफेसर आर के धीमन संस्थान के निदेशक पद पर आसीन हैं.

प्रोफेसर सारस्वत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली से गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 1988 में संस्थान के गैस्ट्रो विभाग में सहायक प्रोफेसर पद पर कार्यभार संभाला. अपने संस्थापक पिता प्रोफेसर एस आर नायक के दूरदर्शी एवं कुशल नेतृत्व व जापान भारत सहयोग एजेंसी (JICA) के द्वारा प्राप्त सहायता राशि से संस्थान का गैस्ट्रोएंटोलाजी विभाग एक छोटे से समय में देश के बेहतरीन गैस्ट्रो केंद्र के रूप में विकसित हुआ.

विभाग की सबसे बड़ी उपलब्धि भारत में गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी विषय में 3 साल के प्रशिक्षण के साथ पहला डी एम कोर्स प्रारंभ करना है. प्रोफेसर सारस्वत ने उत्तर प्रदेश में इसोफीजियल मैनोमेट्री, पीएच मेट्री, थैरापियूटिक ई आर सी पी, ई यू एस की शुरुआत की. साथ ही उनकी शैक्षणिक उपलब्धियां भी उल्लेखनीय रहीं. अनेक high-impact जर्नल्स में उनके पब्लिकेशन आये, जिससे विभाग व संस्थान की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई. विभाग की स्थापना से सन 2004 तक शिक्षण व प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत व उनके कुशल संचालन में भी प्रोफेसर सारस्वत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में लिवर प्रत्यारोपण कार्यक्रम की स्थापना के अत्यंत प्रारंभिक प्रयासों के क्रम में प्रोफेसर सारस्वत ने यूनाइटेड किंगडम में (बर्मिंघम 1994 से 1995 व लंदन 2002) में विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया.

उनके लंबे कार्यकाल में उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया, जिसमें सन 2009 में इन्डियन सोसायटी आफ गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी द्वारा सर्वोत्कृष्ट शोध के लिए प्रोफेसर एस आर नायक पुरस्कार, पी एन चट्टानी ओरेशन( ISG), एन मदनगोपालन ओरेशन (INASL) व INASLके Presidential Oration भी शामिल हैं.

उन्होंने भारतीय गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी में भी अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. वे Indian Society of Gastroenterology के अध्यक्ष रहे, SGEI के उपाध्यक्ष रहे व उन्होंने INASL के सचिव व अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया.

डाक्टर विवेक आनंद सारस्वत एक कुशल चिकित्सक, एण्डोस्कोपिस्ट व एक बेहतरीन शिक्षक रहे हैं. गहन परिश्रम, एकाग्रचित्तता  अटूट लगन व दृढ़ संकल्प उनके व्यक्तित्व के ऐसे गुण हैं, जिनके कारण वे जिस विषय को अपने हाथ में लेते हैं, उसे सफलता से पूर्ण करते हैं, चाहे वह मुश्किल क्लिनिकल समस्याएं हों या जटिल प्रक्रियाएं. उनकी इस काबिलियत के उनके सहयोगी, विद्यार्थी व रोगी सभी कायल रहे हैं. उनका क्लीनिकल समस्याओं व शिक्षा के प्रति अत्यंत व्यवस्थित व योजनाबद्ध तरीका सभी के द्वारा सराहा गया है.

प्रो. सारस्वत की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि यह रही है कि उन्होंने संस्थान के गैस्ट्रोएन्ट्रोलाजी विभाग को देश के एक बेहतरीन गैस्ट्रो केंद्र के रूप में स्थापित करने, उसका संवर्धन करने, उसे संवारने और उसकी प्रतिष्ठा को बनाए रखने में अपना अमूल्य योगदान दिया. पिछले एक दशक में संस्थान के गैस्ट्रो विभाग को भारत के शीर्ष तीन विभागों में स्थान प्राप्त हुआ है.

इस विभाग ने 110 से अधिक प्रशिक्षित विद्यार्थियों को तैयार किया है, जो संपूर्ण देश और विश्व में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान का परचम लहरा रहे हैं. ये पूर्व-छात्र हैं- संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन, पांच शैक्षणिक संस्थानों के विभागाध्यक्ष- प्रो आर के धीमन, प्रो ए एस पुरी, प्रो रोहित गुप्ता, प्रो बी सी शर्मा, प्रो एस के दधीच, जिन्होंने संस्थान को गौरवान्वित किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button