दो अक्टूबर से देश बचाओ यात्रा

बेरोज़गारी, संप्रदायिकता और क़ीमतों की बेलगाम बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ एक राष्ट्रीय संवाद में घोषणा की गयी कि आगामी २ अक्टूबर से देश बचाओ यात्राओं का तीन स्थानों से आरम्भ किया जाएगा – साबरमती आश्रम (गुजरात), सेवाग्राम (महाराष्ट्र) और भिथिहरवा आश्रम (बिहार). सभी यात्राओं का गांधी समाधि (राजघाट, नयी दिल्ली) पर ३० जनवरी २०२३ को एकसाथ समापन किया जाएगा. इसके साथ ही बेरोज़गारी की समस्या और समाधान के बारे में देश के सामने २ अक्टूबर को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए जन-आयोग का गठन किया गया. इसमें अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार (अध्यक्ष), न्यायविद प्रशांत भूषण, अनुपम (युवा हल्ला बोल) और बबिता ( बेरोज़गार युवा आंदोलन) शामिल हैं.

समागम ने माँग की है कि देश की सुरक्षा को कमज़ोर करनेवाली ‘अग्निपथ’ योजना वापस ली जाए और इसका विरोध करनेवाले नौजवानों पर से मुक़दमे हटाए जाएँ. नागरिक संवाद के प्रतिनिधियों ने अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ आत्महत्या करनेवाले पवन की स्मृति में दो मिनट का मौन भी रखा. इस संवाद में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र और बिहार के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

दिल्ली स्थित कंस्टिट्यूशन क्लब में आयोजित आंदोलन संवाद का शुभारम्भ छात्र-युवा संघर्ष वहिनी के संस्थापक संयोजक शुभमूर्ति ने कहा कि भारतीय समाज में नौजवानों को सरकार की तरफ़ से बेरोज़गारी के सवाल पर अप्रत्याशित विश्वासघात का सामना करना पड़ रहा है. 

इससे लोकतन्त्र भी ख़तरे में पड़ गया है. अपने बीज वक्तव्य में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इमेरजेंसी राज से मौजूदा हालत की तुलना करते हुए बताया कि आज राष्ट्रीय जीवन में साम्प्रदायिक ताक़तों का भय फैलाया जा रहा है और पूरी संवैधानिक व्यवस्था सरकार के दबाव में है. अपने उद्घाटन वक्तव्य में अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने बताया कि मोदी सरकार के नासमझी की नीतियों से अर्थव्यवस्था संकटग्रस्त है और इसका एक परिणाम बेरोज़गारी और ग़ैर-बराबरी में बेहिसाब वृद्धि है. सिटिज़न फ़ॉर देमोक्रेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संगय्या हिरेमथ ने बताया कि किसानो, मज़दूरों और युवा आंदोलन की एकता से देश हिंदू -मुसलमान के अलगाव का समाधान कर सकेगा. इसमें हमें गांधी और जयप्रकाश के दिखाए रास्ते पर चलने की ज़रूरत है. सर्व सेवा संघ की जागृति राही ने भारतीय राजनीति में महिलाओं के साथ जारी भेदभाव को ख़त्म करने की ज़रूरत पूरी करने को एक बड़ी प्राथमिकता बताया. इंडियन पीपुल्स फ़्रंट के अध्यक्ष अखिलेंदर प्रताप ने देश की समस्याओं को वित्तीय पूँजी से जुड़े कारपोरेट और हिंदू साम्प्रदायिक संगठनों के गाँठजोड का परिणाम बताया और सभी ग़ैर-साम्प्रदायिक दलों और नागरिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे को सबसे बड़ी ज़रूरत माना. अपने अध्यक्षीय भाषण में समाजशास्त्री आनंद कुमार ने सत्ताधीशों द्वारा नफ़रत की राजनीति को बढ़ावा देना देशविरोधी प्रवृत्ति बताया और नागरिक हस्तक्षेप से जुड़ने का आवाहन किया. सत्र संचालन वाहिनी के संस्थापक सदस्य मदन जी ने किया. 

संवाद का दूसरा सत्र संविधान और लोकतंत्र रक्षा से जुड़े नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच विचार विमर्श का रहा. इसमें रामशरण, अनुपम, बबीटा, संतप्रकाश, अभिमन्यु, संदीप दीक्षित, सुनीलम, विजय प्रताप, कल्पना शास्त्री, मणिमाला, प्रबल प्रताप, अमित, धनंजय आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा. छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के दो पूर्व राष्ट्रीय संयोजक भक्तचरण दास और राकेश रफ़ीक ने भी संवाद में योगदान किया. 

सम्मेलन के अंत में प्रतिनिधियों ने वाराणसी में १३-१४ अगस्त को आयोजित साम्प्रदायिक सद्भावना सम्मेलन में हिस्सा लेने का सर्वसम्मत निर्णय लिया.

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