विनोबा का जीवन अहिंसा की तलाश को समर्पित था : सुश्री शीला बहन
विनोबा विचार प्रवाह
हरदोई। विनोबा जी का जीवन अहिंसा की तलाश को समर्पित था। मनुष्य जीवन ईश्वर साक्षात्कार के लिए मिला है। इसलिए मजाक में भी असत्य नहीं बोलना नहीं चाहिए।
यह विचार ब्रह्मविद्या मंदिर की अंतेवासी सुश्री शीला बहन ने विनोबा की 126वीं जयंती पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि विनोबाजी ने अपने जीवन के साथ निर्वाण से भी शिक्षा दी। उनके देवलोक गमन पर पूरे ब्रह्मविद्या मंदिर का वातावरण शांत और मधुर था। विनोबाजी ने कहा था कि जैसे जयंती मनाते हैं वैसे ही मयंती भी मनाना चाहिए। इसलिए ब्रह्मविद्या मंदिर में विनोबाजी के निर्वाण दिवस पर मित्र मिलन आयोजित किया जाता है। सुश्री शीला बहन ने कहा कि उनके जीवन में मां का बहुत महत्व था। मां के निधन के बाद भी विनोबाजी का संपर्क उनके साथ सतत बना रहा। गोरक्षा आंदोलन का आदेश उन्हें अपनी मां से ही मिली। उन्होंने बताया कि विनोबाजी ने अपनी मां के लिए भगवद्गीता का मराठी में भाष्य किया और उसे गीताई नाम दिया। सुश्री शीला बहन ने कहा कि विनोबाजी में स्त्री-पुरुष भेद नहीं था। उन्होंने अपना जीवन लोकसेवा के लिए समर्पित कर दिया। विनोबाजी दूसरों की चरण रज लेने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने अपने मित्रों को भी आध्यात्मिक क्षेत्र में ऊंचा उठाने में सहायता की। सुश्री शीला बहन ने विनोबाजी के अनेक प्रसंगों की जानकारी दी। सुश्री मनोरमा बहन ने विनोबाजी की भक्ति पर प्रकाश डाला। वे स्वयं का उद्धार नहीं चाहते, बल्कि समूह की मुक्ति चाहते हैं। प्रारंभ में ब्रह्मविद्या मंदिर की बहनों ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की। विष्णु सहस्रनाम और नाम संकीर्तन से समारोह का समापन हुआ। ग्यारह दिनों तक चली विनोबा विचार प्रवाह संगीति में विदुषी बहनों के प्रवचन हुए। ऑनलाइन आयोजन में देश-विदेश के अनेक सर्वोदय सेवकों ने भागीदारी की। ऑनलाइन संगीति का संयोजन श्री संजय राय ने किया। विनोबा सेवा आश्रम के संयोजक श्री रमेश भैया ने संगीति का संचालन किया। आभार डॉ.पुष्पेंद्र दुबे ने माना।